- नए सेशन के साथ ही बढ़ गई स्कूल बस व ऑटो की फीस

- यहां भी पैरेंट्स के पास नहीं है कोई सुटेबल आप्शन

ALLAHABAD: बढ़ी स्कूल फीस, बुक्स, बैग व दूसरे खर्चो के साथ पैरेंट्स को एक और बोझ उठाना है। नए सेशन के साथ ही बच्चों को घर से स्कूल ले जाने व लाने की ट्रेवेलिंग फीस भी बढ़नी तय हो गई है। स्कूल बस व ऑटो संचालकों ने महंगाई का रोना रोकर ट्रेवेललिंग चार्ज बढ़ाने का निर्णय लिया है।

क्या करें महंगाई भी तो बढ़ी है

नए सेशन से ऑटो व बस के किराए बढ़ने को लेकर ऑटो चालक अशोक कुमार दूबे बताते हैं कि सालभर से हर माह डीजल का दाम बढ़ रहा है। ऐसे में अभी तक जो किराया लिया जा रहा था उसमें खर्च भी निकलना मुश्किल हो रहा है। जिसके कारण ऑटो व बस चालकों के सामाने भी किराया बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। अभी तक पैरेंट्स से चार सौ से पांच सौ रुपए प्रति बच्चे की दर से किराया लिया जा रहा है। जिसमें ऑटो के फ्यूल व मेंटेंस का खर्च भी निकलना मुश्किल हो रहा है। इसलिए इनके किराए में वृद्धि की जा रही है।

दो सौ तक हो सकती है बढ़ोत्तरी

आटो संचालकों की माने तो इस बार ऑटो के मंथली रेंट में पचास से सौ रुपए तक की बढ़ोत्तरी करने की तैयारी है। जिससे पैरेंट्स भी आसानी से इनका खर्च उठा सकें। जबकि बस संचालकों द्वारा दो सौ रुपए तक प्रति बच्चे के रेट से किराया बढ़ाया जा सकता है। बढ़ा हुआ किराया जुलाई मंथ से लागू होगा। इस बारे भी अशोक बताते हैं कि नए सेशन के शुरू होने के बाद अभी तक पैरेंट्स अपने बच्चों को खुद ही स्कूल छोड़ने और लाने का काम कर रहे हैं। कुछ बच्चे ही ऐसे हैं, जिन्हें ऑटो या बस का यूज करना पड़ रहा है। लेकिन जुलाई से बच्चों को रेग्युलर स्कूल से लाने व ले जाने का काम बस व ऑटो चालक करेगे। इसलिए इनके बढ़े हुए रेट उसी समय लागू किए जाएंगे। अभी तक ऑटो का किराया सिविल लाइंस से मुंडेरा व प्रीतम नगर तक का चार से पांच सौ रुपए प्रति बच्चे की दर से वसूल किया जा रहा है। जबकि बस में चार से छह सौ रुपए लिए जा रहे हैं। स्कूल बस या ऑटो में अधिकतम किराया दूरी के हिसाब से तय किया जाता है।

टेंशन बढ़ना लाजमी है

मीरापुर में रहने वाले राकेश कुमार सिंह की बेटी भी सेंट मैरीज में पढ़ती है। ऑटो व बस के किराये बढ़ने के बारे में बात करने पर उन्होंने बताया कि ये बात सही है कि इनके रेट बढ़ने से मंथली बजट पर थोड़ी परेशानी होगी। लेकिन अब बच्चों को पढ़ाना है तो ऐसे खर्चो से समझौता भी नहीं किया जा सकता है।