एआईपीएमटी के रिजल्ट में ऑल इंडिया 774वीं रैंक हासिल करने वाली इशिता सिंह की उम्र महज 19 साल है। 16 फरवरी 1997 में जन्मी इशिता की मेधा का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें इस साल सीपीएमटी में 230वीं, एम्स में 617वीं रैंक और सीएमसी लुधियाना में 43वीं रैंक मिली थी। केवीपीवाई बायोलॉजी में छात्रवृत्ति हासिल करने वाली वह इलाहाबाद की एकलौती स्टूडेंट हैं। ये सभी परिणाम इस साल मई में इंटरमीडिएट का रिजल्ट आने के बाद घोषित हुए हैं। इशिता ने इसी साल इंटरमीडिएट भी क्लीयर किया है।

720 में मिले 574 अंक

इशिता ने 12वीं की परीक्षा महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर से 95 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण की थी। उनके पिता डॉ। आनंद सिंह सर्जन हैं। डॉ। आनन्द मृत्युंजय नर्सिंग होम के मालिक भी हैं। उनकी मां आशा सिंह स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। इशिता को 720 अंकों की परीक्षा में कुल 574 अंक मिले हैं। फिजिक्स में 180 में 130, केमेस्ट्री में 180 में 122 एवं बायोलॉजी में 360 में 322 अंक हासिल हुए हैं। पैरेंट्स इशिता को मिली सफलता से गदगद हैं। स्पेशली चार महीने के भीतर बेटी को मिली छठीं सफलता ने उनमें जोश भर दिया है। इशिता की बड़ी बहन भी डॉक्टर है।

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के इंट्रेंस में टॉप थ्री में थीं पूजा

एआईपीएमटी के रिजल्ट में 2650वीं रैंक हासिल करने वाली पूजा केसरवानी भुसौली टोला खुल्दाबाद की रहने वाली हैं। पूजा ने बताया कि उन्होंने इससे पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए बीएससी का इंट्रेंस एग्जाम दिया था। जिसमें उन्हें 294 अंकों के साथ टॉपर्स की कैटेगरी में तीसरा स्थान हासिल हुआ था। पूजा का सपना शुरू से ही डाक्टर बनने का था। उनकी बहन दीक्षा केसरवानी भी पेशे से डॉक्टर हैं। उनके पिता ज्ञान चन्द्र वैश्य बिजनेसमैन हैं। पूजा को यह सफलता तीसरे प्रयास में हासिल हुई है। इससे पहले उन्हें एआईपीएमटी में 22 हजार तक रैंक मिली थी। जिसके चलते उन्होंने दाखिला नहीं लिया था। पूजा जवाहर नवोदय विद्यालय की छात्रा रही हैं। हाईस्कूल में उन्हें 87.4 एवं इंटरमीडिएट में 82.6 फीसदी अंक हासिल हुए थे।

किसान का बेटा बनेगा डॉक्टर- फोटो

एआईपीएमटी में किसान के बेटे शशांक सिंह ने भी जोरदार सफलता हासिल की है। ऑल इंडिया 2659 रैंक हासिल करने वाले शशांक के पिता सुरेन्द्र सिंह खेती करते हैं। शशांक ने बताया कि इससे पहले उन्हें सीपीएमटी के एग्जाम में 2772 रैंक मिली थी। काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च में उन्हें 1026 रैंक हासिल हुई थी। उन्होंने इसमें प्रवेश के लिए काउंसलिंग भी करवाई थी। लेकिन एआईपीएमटी से चयनित होने के सपने कारण उन्होंने एडमिशन नहीं लिया।

लगन, कड़ी मेहनत और मार्गदर्शन आधार

अपनी सफलता से हर्षित शशांक ने बातचीत में कहा कि इस परीक्षा में सफलता पाना कोई बड़ी बात नहीं है। जरुरत केवल लगन, कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन की है। उन्होंने तैयारी करने वाले छात्रों के लिए कहा कि फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी में अच्छी पकड़ के लिए एनसीईआरटी का गहन अध्ययन सफलता की राह आसान बनाता है। दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल करने वाले शशांक को हाईस्कूल की परीक्षा में 88.8 फीसदी और इंटरमीडिएट की परीक्षा में 93 फीसदी अंक हासिल हुए थे।