छात्रों ने बूट पालिश करके जताया रोष

ALLAHABAD: यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) की सिविल सर्विसेस 2014 परीक्षा से सिविल सर्विसेस एप्टीट्यूट टेस्ट (सीसैट) को न हटाने संबंधि केन्द्र सरकार की घोषणा का असर मंडे को इलाहाबाद में भी देखने को मिला। हिन्दी पट्टी के छात्रों ने गवर्नमेंट के इस रुख पर नाराजगी जाहिर की है और कहा कि सरकार ने प्रतियोगियों के हाथ में झुनझुना थमाने का काम किया है। हालांकि, उन्होंने एक और मौका दिए जाने की घोषणा को स्वागत योग्य बताया है।

लम्बे समय से जारी है विरोध

बता दें कि सिविल सेवा परीक्षा से सीसैट को हटाने की मांग को लेकर प्रतियोगी छात्र देशभर में आन्दोलन कर रहे हैं। इनमें शामिल हिन्दी भाषी छात्रों का आरोप रहा है कि सीसैट का पैटर्न आने के बाद से हिन्दी भाषी छात्रों के चयन में लगातार गिरावट आ रही है। इलाहाबाद में भी सीसैट के विरोध में कई दिनों से जोरदार विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। वहीं अब सरकार के फैसले से प्रतियोगी और भी ज्यादा आक्रोश से भर गए हैं।

अनुमान था इसलिए सड़क पर उतरे

मालूम हो कि मंडे को कार्मिक राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने लोकसभा में बयान देकर कहा है कि सीसैट में पूछे जाने वाले अंग्रेजी के प्रश्नों के अंक मेरिट में नहीं जुड़ेंगे। इसके अलावा सरकार ने ख्0क्क् में सिविल सेवा परीक्षा देने वाले कैंडिडेट्स को ख्0क्भ् में एक और मौका देने का निर्णय लिया है। हालांकि, छात्रों को सीसैट पर इस तरह की घोषणा होने का पहले से ही अनुमान था। ऐसे में छात्र सड़क पर उतर आए और हिन्दू हास्टल चौराहे पर जाम लगाकर जमकर प्रदर्शन किया।

चौथे दिन भी जारी रहा अनशन

उधर, सीसैट के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का अनशन हिन्दू हास्टल चौराहे पर मंडे को भी जारी रहा। इस दौरान चक्काजाम के समर्थन में अनशनकारियों की पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से जमकर नोकझोंक हुई। अनशन में राज सिंह, विश्व प्रताप सिंह, आदित्य राय, विवेक कुमार सिंह अनुज शामिल रहे। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ भवन पर सीसैट के मुद्दे पर बूट पालिश करके अपना विरोध प्रकट किया। प्रदर्शन में जियो कोनैन रिजवी, राघवेन्द्र यादव, अजीत यादव विधायक, फैजुल हुदा, चन्द्रिका पटेल, लाला राम सरोज आदि शामिल रहे।

मैं इस फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। ऐसा लगता है कि सरकार ने प्रतियोगी छात्रों की पीड़ा को समझा ही नहीं। हमारा विरोध पूरे सीसैट पैटर्न को लेकर है और आगे भी जारी रहेगा।

अवनीश पांडेय, प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति

एक और मौका दिए जाने का फैसला स्वागत योग्य कहा जा सकता है। फिलहाल तो सीसैट को लेकर सरकार के रुख पर मैं यही कहूंगा कि यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।

सुधीर सिंह, प्रतियोगी छात्र

सीसैट पर रिपोर्ट सौंपने वाली अरविंद वर्मा समिति पर अंग्रेजियत का प्रभाव साफ समझ में आता है। सरकार को ऐसी समिति बनाकर रिपोर्ट तैयार करवानी चाहिए। जिसमें हिंदी भाषियों का भी बराकर का प्रतिनिधित्व हो।

कुंवर साहब सिंह, भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा

एक और मौका दिए जाने का मैं स्वागत करता हूं। प्रतियोगी लम्बे समय से संघर्ष करते आ रहे हैं। ऐसे में कुछ न सही से कुछ तो हो ही गया है। ऐसा मुझे लगता है।

राज सिंह, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

सरकार ने मध्यम मार्ग अपनाने की कोशिश की है। ऐसा लगता है कि वह परीक्षा से पहले एकाएक बड़े बदलाव के लिए तैयार नहीं है। सीसैट पूरी तरह से समाप्त होने तक आन्दोलन जारी रहेगा।

विवेक कुमार, आन्दोलनकारी छात्र