सर्वे के आधार पर तैयार प्लान राइट्स ने पब्लिक के सामने रखा, मांगे सुझाव

पुराने शहर से दूरी पर हुआ एतराज, चौक, बहादुरगंज, मुट्ठीगंज व राजरूपपुर को कवर करने की मांग

ALLAHABAD: चुनिन्दा इलाहाबादियों ने गुरुवार को मेट्रो का संचालन शुरू हो जाने के बाद के इलाहाबाद की एक झलक गुरुवार को देगी। इलाहाबाद में मेट्रो के संचालन के लिए रूट्स का सर्वे करने वाली कंपनी राइट्स ने पब्लिक के सामने प्रजेंटेशन दिया और पब्लिक से सुझाव मांगे। उत्तर प्रदेश की कैबिनेट से ओके मिलने के बाद दो कॉरीडोर बनाने के साथ ही डीपीआर पर वर्किंग शुरू हो गई है। सर्वे के आधार पर बनाए गए प्लान को पब्लिक के सामने रखकर अफसर उनकी राय और सहमति जानना चाहते थे। इलाहाबादियों ने इसका स्वागत किया। इलाहाबाद विकास प्राधिकरण की ओर से गुरुवार को एनसीजेडसीसी सभागार में यह प्रोग्राम आयोजित किया गया। इलाहाबादियों ने प्लान को चेंज करने और पुराने शहर को मेट्रो स्टेशन रूट चार्ट में शामिल करने का सुझाव दिया। जिसे प्लान में शामिल करने का आश्वासन दिया गया।

आबादी के अनुसार बनेगा प्लान

एडीए वीसी बीसी गोस्वामी की अध्यक्षता में राइट्स कंपनी के जीएम पियूष कंसल ने मेट्रो प्रोजेक्ट का प्लान रखा। राजेश मैनी के साथ ही लखनऊ मेट्रो के रवि जैन ने भी प्लान के बारे में बताया। संचालन एडीए के अपर सचिव गुडाकेश शर्मा ने किया। जीएम पियूष कंसल ने बताया कि मास्टर प्लान के आधार पर मेट्रो की प्लानिंग की जाएगी। जिसका आधार 30 साल की आबादी और ट्रैफिक प्लानिंग होगी।

गूगल मैप कॉरीडोर का प्रेजेंटेशन

उन्होंने बताया दो कारीडोर के सर्वे का काम पूरा हो चुका है। स्टेशन की डिटेल प्लानिंग की जाएगी। प्रत्येक स्टेशन पर कितने पैसेंजर आएंगे? कितने उतरेंगे? वो कैसे जाएंगे? उनके लिए कितने गेट होने चाहिए? एवीलेटर कितने और कितने वेट के होने चाहिए? पैसेंजर मेट्रो स्टेशन से निकलने के बाद अपने घर और ऑफिस तक कैसे जाएंगे? इन सब की प्लानिंग की जानी है। इकोनॉमिक और फाइनेंशियल असेसमेंट भी किया जाएगा। गूगल मैप से तैयार कॉरिडोर प्वाइंट को प्रेजेंटेशन के थ्रू लोगों के सामने रखा गया। कॉरीडोर वन- बमरौली से झूंसी और कॉरीडोर टू शांतिपुरम से नैनी तक का प्लान और चयनित मेट्रो स्टेशन का प्लान पेश किया गया। बताया गया कि झूंसी में ही मेट्रो का डिपो भी बनेगा।

थ्री डी में दिखाया मेट्रो प्रोजेक्ट

प्रेजेंटेशन के दौरान राइट्स कंपनी ने एक थ्री डी प्रेजेंटेशन प्ले किया। इसमें दिखाया गया था कि फ्यूचर में जब प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा, एलीवेटेड मेट्रो चलने लगेंगे तो इलाहाबाद कैसा दिखेगा। तीन मिनट के इस वीडियो को देखने के बाद लोगों ने यही कहा, क्या वाकई अपना इलाहाबाद ऐसा दिख सकता है। दिल्ली-मुंबई की तरह मेट्रो चल सकती है। कुछ मिनट के लिए ही सही लेकिन लोगों ने भविष्य के मेट्रो में सफर जरूर किया।

पब्लिक का सुझाव और सवाल

कॉरीडोर वन का परेड मैदान से डायरेक्ट आजाद नगर स्टॉपेज दिखाया जा रहा है। आजाद नगर आबादी बहुत कम है। आबादी वाले एरिया त्रिवेणीपुरम को इसमें क्यों नहीं शामिल किया गया है?

रामजी शर्मा

दुर्गा पूजा समिति, झूंसी

मेट्रो की प्लानिंग में 20 से 30 लाख की आबादी को रखा गया है। यहां फ्लोटिंग पॉपुलेशन ज्यादा है। उसके हिसाब से प्लान होना चाहिए। जीटी रोड के ऊपर से मेट्रो ले जाने पर शहर में जाम की समस्या बढ़ेगी। इलाहाबाद बहुत कंजस्टेड शहर है, यहां दिल्ली और गुडगांव का प्लान लागू नहीं हो सकता है।

यश त्रिपाठी

आईआईआईटी इलाहाबाद

बमरौली से मेट्रो की प्लानिंग की जा रही है। यह कटऊला गांव के पास से होगा तो बेहतर होगा। एयरपोर्ट के पास ही मेट्रो स्टेशन बनाया जाए। साथ ही एयरपोर्ट से इस बारे में कंसर्न किया जाए। एयरपोर्ट अथॉरिटी से नक्शा लेकर काम कराया जाए।

श्याम कार्तिक सिंह

चीफ ऑफिसर, एयरपोर्ट

कॉरीडोर वन और कॉरीडोर 2 का जो प्लान बनाया गया है, उसमें पुराने शहर का काफी एरिया छूट गया है। चौफटका को शामिल नहीं किया गया है। क्या पूरे शहर में एलीवेटेड रूट पर मेट्रो चलेगी या फिर अंडरग्राउण्ड प्लान भी किया जाएगा। अगर अंडरग्राउण्ड लाइन डालकर पुराने शहर को कवर किया जाए तो काफी बेहतर होगा।

डीएस दरबारी

ईस्टर्न चैम्बर ऑफ कॉमर्स

बमरौली से झूंसी के कॉरीडोर को अगर सिविल लाइंस से बालसन की तरफ घुमा दिया जाए तो हिंदू हॉस्टल छात्रावास के साथ ही कई स्कूल-कॉलेज और कोचिंग संस्थान कवर हो जाएंगे। इंटरफेस एरिया परेड की जगह बालसन क्रासिंग को किया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। पब्लिक कनेक्टिविटी ज्यादा बढ़ेगी।

संजीव अग्रवाल

बिल्डर

मैं भी संजीव अग्रवाल की बात का समर्थन करता हूं। इंटरफेस एरिया परेड की जगह बालसन को सलेक्ट करना चाहिए। ताकि अधिक से अधिक आबादी इसका फायदा उठा सके और रोड ट्रैफिक कम हो सके।

विनोद चंद्र दुबे

अधिवक्ता

दो कॉरीडोर की जो प्लानिंग की गई है, उसमें डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को क्यों नहीं जोड़ा गया। दस हजार से अधिक वकील यहां आते हैं। हजारों लोग आते हैं। इस एरिया को भी कवर किया जाना चाहिए।

भगवत प्रसाद पांडेय

अधिवक्ता

कॉरीडोर 2 शांतिपुरम से नैनी को नैनी से आगे सरस्वती हाईटेक सिटी तक ले जाना चाहिए। इससे कई कॉलेज जुड़ेंगे और छिवकी जंक्शन भी शामिल हो जाएगा।

अनिल कुमार गुप्ता

होटल मालिक

ट्रैफिक कंजेशन को कम करने के लिए रेलवे छिवकी जंक्शन को डेवलप कर रहा है। मुंबई रूट की ज्यादातर ट्रेनें छिवकी जंक्शन डायवर्ट करने से छिवकी जंक्शन महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे में मेट्रो रूट में छिवकी जंक्शन को क्यों नहीं शामिल किया गया है। मेट्रो की इस तरह से प्लानिंग की जाए, ताकि रेलवे ट्रैक इस पास से उस पार हो सके।

एलपी गौतम

डीसी, रेलवे

बहुत महंगा है मेट्रो का सपना

दो कॉरीडोर का ट्रैक बनाने में खर्च हो सकते हैं सात हजार से 18 हजार करोड़ रुपये

एलीवेटेड मेट्रो रूट शहर में तैयार होता है। पिलर पर ट्रैक बनाया जाता है तो 175 करोड़ रुपया प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा

अंडर ग्राउण्ड मेट्रो लाइन बनाए जाने पर इसका खर्च 450 करोड़ रुपया प्रति किलोमीटर आएगा

राइट्स के इंजीनियर्स द्वारा बताए गए खर्च के अनुसार प्रस्तावित 20-20 किलोमीटर का एलीवेटेड कॉरीडोर शहर में बनाया जाता है तो केवल ट्रैक बनाने में सात हजार करोड़ खर्च होगा।

अंडर ग्राउण्ड मेट्रो ट्रैक बनता है तो 40 किलोमीटर का खर्च 18 हजार करोड़ के करीब आएगा। ट्रैक बिछाने के साथ ही आपरेशनल खर्च अलग होगा