प्रयागराज (ब्‍यूरो)। विनोद केसरवानी ने बड़ी मशक्कत से दोना पत्तल का कारोबार तैयार किया था। बहादुरगंज के बड़े कारोबारियों में विनोद का नाम शुमार होता था। दोनों बेटे अजय और अनूप कहीं बाहर चले भी जाते थे, मगर विनोद कभी दुकान नहीं छोड़ते थे। शुगर के पेशेंट विनोद रोज अपने समय पर सुबह नौ बजे तैयार होकर दुकान पर बैठ जाते थे। इसके बाद दोपहर में खाना खाने के बाद फिर दुकान पर आ जाते थे।
कारोबार भले ही अजय और अनूप संभालते थे, मगर विनोद दुकान पर जरुर बैठते थे। दुकान में आग लगी देख विनोद होश खो बैठे। पत्नी रानी को बेटे अजय ने दमकल कर्मियों की मदद से निकाल लिया। मगर विनोद अपने घर के बारजे पर खड़े रोते बिलखते रहे। बेटा अजय गिड़गिड़ता रहा, मगर विनोद ने उसकी एक न सुनी। नीचे खड़ी भीड़ में विनोद के परिचित लोग भी उन्हें निकल आने के लिए आवाज देते रहे, मगर विनोद बारजे पर खड़े होकर सबकी बात अनसुनी करते रहे। अचानक विनोद गश खाकर बारजे पर गिड़ पड़े। इस पर बेटे अजय ने दमकल कर्मियों की मदद से उन्हें पड़ोसी पिंटू के बारजे पर उतारा। फिर आनन फानन में उन्हें एंबुलेंस से स्वरूपरानी मेडिकल अस्पताल भेजा गया। जब विनोद एसआरएन अस्पताल पहुंचे तो उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।