प्रयागराज (ब्‍यूरो)। बात सही है। यह आपके ही कान हैं। इनमें से दुश्मनी मत निकालिए। जरा सी लापरवाही जीवनभर की सुनने की शक्ति को कमजोर कर सकती है। खासकर युवाओं के साथ वर्तमान में यही हो रहा है। ऊंची आवाज में म्यूजिक सुनना और दिनरात ईयर फोन लगाकर मोबाइल पर बात करना उनके कानों के लिए घातक साबित हो रहा है। यही कारण है कि पिछले पांच सालों में श्रवण शक्ति से जुड़े मरीजों की संख्या में बीस फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है।

70 से 80 डेसिबल से अधिक सुनते हैं साउंड
आमतौर पर कानों की श्रवण शक्ति की लिमिट 42 डेसिबल निर्धारित की गई है। लेकिन आजकल लोग 70 से 80 डेसिबल से अधिक की आवाज सुनना पसंद करते हैं। खासकर कान में ईयर फोन लगाकर ऊंची आवाज में गाने सुनना या घंटों बात करना उनकी मुख्य आदत में शुमार हो गया है। इसका असर उनके कानों पर साफ पड़ता है। कुछ समय बात ही उनकी सुनने की शक्ति कम होने लगती है और इसका अंदाजा उन्हें देरी से होता है। हालांकि तब तक देर हो चुकी होती है।

क्यों इलाज से भी नही होता सुधार
डॉक्टर्स का कहना है कि एक बार श्रवण शक्ति कमजोर हो जाने के बाद उसके इम्प्रूवमेंट काफी समय लग जाता है। कई बार तो इसमें सुधार ही नही हो पाता। ऐसा इसलिए कि अधिक ऊंची आवाज सुनने से कान के पैरेफेरल आर्गन और सेंट्रल पार्ट डैमेज हो जाते हैं। इनका इलाज आसान नही होता है। इनके अधिक डैमेज होने से दोबारा इलाज भी करना संभव नही होता।

सबसे ज्यादा युवा हो रहे प्रभावित
वर्तमान में सबसे ज्यादा युवाओं की श्रवण शक्ति पर असर पड़ रहा है। पिछलें पांच सालों में बीस फीसदी मरीज बढ़े हैं जिनमें युवा सर्वाधिक हैं। कारण साफ है। तेज डीजे की आवाज सुनने से लेकर 18 घंटे तक कान में ईयर फोन लगाना इसका मुख्य कारण बना है। इसके अलावा वाहनों में लगने वाला प्रेशर हार्न भी कान के पर्दों को चोट पहुंचा रहा है। सरकार ने प्रेशर हार्न के यूज पर फाइन भी लगाया है लेकिन इसका पालन नही हो रहा है।

बचाव के लिए इनका करिए पालन
- सस्ते और चाइनीज माडल के ईयर फोन कतई यूज न करें।
- 10 से 15 मिनट से अधिक समय तक ईयर फोन मत लगाएं।
- डीजे पर अधिक आवाज में म्यूजिक सुनने से बचाव करें।
- प्रेशर हार्न का यूज न करें और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकें।
- अधिक आवाज वाले पटाखों से दूरी बनाकर चलें।
- कान पर मोबाइल लगाकर अधिक देर तक बात मत करें।

यह चिंता की बात है कि युवाओं के श्रवण शक्ति कमजोर होने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके जिम्मेदार भी वही हैं। अधिकतर युवा स्वीकार करते हैं कि वह ईयर फोन यूज करते हैं। कोशिश करिए कि 42 डेसिबल से अधिक आवाज मत सुनें। एक बार कान के भीतर के आर्गन डैमेज होने पर दोबारा उनमें सुधार काफी मुश्किल होता है।
डॉ। एलएस ओझा, सीनियर ईएनटी सर्जन व ओनर ओझा हॉस्पिटल