प्रयागराज (ब्यूरो)मां कल्याणी धाम में शीतला अष्टमी मेला 14 व 15 एवं 16 मार्च को लगेगा। मुख्य मेला 15 मार्च बुधवार होगा। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु कल्याणी देवी मंदिर में मत्था टेकने के लिए पहुंचेंगे। इस दिन मंदिर के कपाट पूरी रात खुले रहेंगे। बता दें कि शीतला अष्टमी मेले का इतिहास करीब 150 साल पुराना है। इसका जिक्र ब्रिटिश काल के गजट ईयर में भी है।
अष्टमी को घर में नहीं बनता ताजा भोजन
आचार्य श्याम पाठक एवं सुशील पाठक ने बताया कि मेला चैत्र कृष्ण पक्ष सप्तमी से नवमी तक रहता है। मान्यता है कि माताएं उस दिन अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना के साथ व्रत रखती हैं। व्रत रखने वाले दिन वह अपने-अपने घरों में नेवज यानी कि हलवा और पूरी बनाती हैं। अगले दिन अष्टमी को उसी का भोग मां को लगाकर मंदिर परिसर में ही उसे सपरिवार खाते हैं। इसे इसीलिए शीतला अष्टमी भी कहते हैं। अष्टमी को पूरे दिन घरों में ताजा भोजन नहीं बनता। श्री पाठक ने बताया कि अष्टमी को एक लाख भक्त मां के दर्शन पूजन के लिए आते हैं। यह मेला एक किलोमीटर परिसर में लगता है। जगह-जगह रातभर नौटंकी, बिरहा, फगुआ आदि प्रोग्राम चलते हैं। भक्त अपने-अपने टोले मोहल्लों से ग्रुप बनाकर ढोल नगाड़े बैंड घोड़े के साथ निशान लेकर निकलते हैं और मां को ध्वजा चढ़ाते हैं। पूरे मंदिर परिसर में 24 घंटा मां के जयकारों से गुंंजायमान रहता है। श्री पाठक ने बताया कि 15 मार्च को प्रात: चार बजे से मां की मंगला आरती के साथ पट खुल जाएगा। दरबार में पूजन अर्चन का तांता दोपहर दो बजे तक लगा रहेगा। अष्टमी को पूरी रात मां का दरबार खुला रहता है।