प्रयागराज (ब्‍यूरो)।

500 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों से रखी गई पैनी नजर
12 घाटों पर हुआ स्नान
18 हजार टायलेट, तीन हजार यूरिनल व 4250 चेंङ्क्षजग रूम की थी व्यवस्था
06 पांटून पुल गंगा पर बनाए गए हैं, पांच सेक्टर में बसा है माघ मेला
01 लाख शिविर हैं कल्पवासियों व संतों, संस्थाओं के
15 हजार एलईडी लाइट लगी है मेला में, हाईमास्ट चौराहों पर लगाए

न पांव थके और न इरादे डगमगाए। बस एक धुन की माघ मेला के सबसे पावन स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर मौन डुबकी लगाकर पुण्य कमाना है। बस इसी एक लालसा में बंधे करोड़ो ंलोग शुक्रवार को संगम की रेती की ओर खिचे चले आए। न पैर के छाले देखे और न ही थकान। इसी साहस और श्रद्धा के साथ मौनी अमावस्या पर देर शाम तक दो करोड़ लोगों ने संगम पर डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला गुरुवार शाम से ही शुरू हो गया था और शुक्रवार सुबह तक संगम पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं की भीड़ को काबू करने में पुलिस प्रशासन को खासी मशक्कत भी करनी पड़ी। अधिकारियों ने श्रद्धालुओं पर हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा भी की।

हर घंटे बढ़ता रहा आंकड़ा
संगम पर मौनी अमावस्या पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा ऐसे ही समझा जा सकता है जब सुबह आठ बजे तक 90 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। इसके बाद सुबह दस बजे तक 1.15 करोड़, बारह बजे तक 1.40 करोड़, दो बजे तक 1.70 करोड़ और शाम चार बजे तक यह संख्या 1.95 करोड़ पहुंच गई। भीड़ की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे और ड्रेान कैमरे लगाए गए थे। इसके अलावा पुलिस, पीएसी, आरएएफ, होमगार्ड जवानों के अलावा अपराध निरोधक कमेटी और सिविल डिफेंस के लोगों को भी तैनात किया गया था। एनसीसी, एनएसएस और स्काउट गाइड ने भी श्रद्धालुओं की बढ़ चढ़कर मदद की।

मोरी घाट पर टूटी डीप वाटर बैरीकेडिंग
संगम की बढ़ती भीड़ को देखकर दूसरे घाटों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ को शिफ्ट किया जाता रहा। हालांकि इस बीच मोरी घाट पर अचानक भीड़ बढ़ जाने से डीप वाटर बैरीकेडिंग टूट गई। यह देख रहे जल पलिस के जवानों ने तत्काल नावों को जोड़कर उनको बैरीकेडिंग बना दिया और लोगों को पीछे क तरफ धकेला। लोगों को बैरीकेडिंग के आगे जाने के खतरे बताकर रोका गया।
जानकारी के मुताबिक सुबह झूंसी की तरफ से कतार में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए बढ़ रहे थे। संगम जाने वाले मार्ग पर अत्यधिक भीड़ होने के कारण स्नानार्थी मोरी घाट की ओर चल दिए।

जैसे जैसे दिन चढ़ा, बढ़ती गई भीड़
शुक्रवार भोर तक मेला एरिया में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अधिक नही थी लेकिन दिन निकलते ही खिली धूप में लोगों का रेला तेजी से संगम की ओर बढ़ा। इसकी वजह से ट्रेनों और बसों में भी खासी भीड़ नजर आई। भीड़ को सकुशल घर पहुंचाने के लिए पांच ट्रेनें और 35 रोडवेज बसें लगाई गई गई थीं। इससे श्रद्धालुओं को राहत का अहसास हुआ। अयोध्या-प्रयागराज राजमार्ग पर अधिक संख्या में रोडवेज बसें चलाई गईं, इसके अलावा भीड़ गोंडा, बहराइच, बस्ती रूट पर भी नजर आई। प्रयागराज से अयोध्या के लिए चलाई गई मेला स्पेशल पहली ट्रेन दोपहर 3.40 बजे मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन पहुंची। इसमें श्रद्धालुओं की भारी देखी गई। इसके बाद शाम करीब सात बजे मेला स्पेशल दूसरी ट्रेन मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन पहुंची।

हेलीकाप्टर से बरसाए गए फूल
संगम पर उमड़े श्रद्धालुओं का उत्साहवद्र्धन करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर हेलीकाप्टर से फूल भी बरसाए गए। दोपहर में कई राउंड संगम के ऊपर पहुंचे हेलीकाप्टर से गुलाब की पंखुडिय़ों की बारिश की गई। इससे उत्साहित श्रद्धालुओं ने हर हर गंगे और जय श्रीराम के नारे लगाए। इस बीच पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मेला एरिया में लगातार भ्रमण करते रहे। जिसमें अपर पुलिस महानिदेशक प्रयागराज जोन भानु भास्कर, सीपी रमित शर्मा, कमिश्नर विजय विश्वास पंत, पुलिस महानिरीक्षक प्रयागराज रेंज प्रेम कुमार गौतम, पुलिस उप महानिरीक्षक माघ मेला राजीव नारायण मिश्र, कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद, डीएम नवनीत सिंह चहल, एसीपी नगर दीपक भूकर सहित तमाम अधिकारी शामिल रहे।

ए गुरु, जरा लाइव लोकेशन भेजा
दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को परिजनो से मिलाने के लिए भूले भटके शिविर की ओर से जगह जगह वालंटियर तैनात किए थे। साथ ही पब्लिक एड्रेस सिस्टम के जरिए भी लोगों को मिलाया गया। इसी बीच मोबाइल के जरिए सभी साथी एक दूसरे से बिछड़कर मिलते रहे। मनौरी से गंगा स्नान करने पहुंचे सुभाष, विवेक, आकाश और सुरेंद्र संगम एरिया में एक दूसरे से बिछड़ गए। एनाउंसमेंट के शोर के चलते फोन पर भी बात नही हो पा रही थी। ऐसे में तीन दोस्तों ने आकाश को मैसेज कर लाइव लोकेशन भेजने को कहा। फिर वह आपस में मिल सके। मेले में आपास में बिछडऩे वालों में सबसे ज्यादा सच्ख्या बच्चे, महिलाओं और बुजुर्गों की रही।

स्नान बाद चला दान पुण्य का दौर
मान्यता है कि मौन धारण करने के साथ गंगा में डुबकी लगाने से मौनी अमावस्या पर पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके बाद दान पुण्य किया जाता है। ऐसे में संगम पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं ने दिल खोलकर दान किया। कल्पवासियों के शिविरों में भी अनाज, वस्त्र, बर्तन आदि का दान किया गया। श्रद्धालुओं का कहना था कि हम घर से चले थे तभी दान की सीमा तय कर ली थी। स्नान के बाद उसे दे दिया गया। वहीं कल्पवासियों के शिविरों में दिनभर भंडारे का आयोजन भी हुआ। दूर दराज से आने वालों को प्रसाद वितरण किया गया।