प्रयागराज ब्यूरो । हमीदिया गल्र्स पीजी कॉलेज के उर्दू विभाग के बज्म-ए-अदब द्वारा मीर तकी मीर को समर्पित सात दिवसीय उर्दू महोत्सव नवा-ए-उर्दू का शुभारंभ हुआ। बेगम खुर्शीद ख्वाजा हाल में शुभारंभ ईश्वर को याद करते हुए केरत से किया गया। इसे अरबी प्रथम सेमेस्टर की छात्रा कुमारी आयशा शमीम ने पेश किया। चीफ गेस्ट इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की उर्दू डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो। शबनम हमीद ने कहा कि नवंबर के महीने में प्रतिवर्ष होने वाला यह आयोजन अल्लामा इकबाल से शुरू होकर अकबर इलाहाबादी तक जाता है। यह एक साहित्यिक उत्सव है। जिसमें उर्दू और हिंदुस्तानी संस्कृति का परिदृश उभर कर सामने आता है। उर्दू भारतीय संस्कृति की पहचान बताने वाली भाषा है। सभी हिंदुस्तानी भाषा की मां संस्कृत भाषा है। संस्कृत भाषा प्रारंभ में एक विशेष वर्ग के लिए अधिकृत थी। अन्य लोगों ने अपनी बात कहने के लिए प्रकृत-अपभ्रंश, पंजाबी, दक्कन आदि भाषाओं को मिलाया तो एक नई भाषा हिंदवी (हिंदुस्तानी) बनी। जब अपनी बात को हमने देवनागरी लिपि में लिखा तो हिंदी हुई और अपनी बात को हमने फारसी लिपि में लिखा, तो वह उर्दू हो गई। उर्दू हिंदुस्तान की भाषा है यह किसी एक कौम की भाषा नहीं है।

उर्दू की सुरक्षा के लिए संयुक्त प्रयास जरूरी

उन्होंने कहा कि उर्दू तहजीब की भाषा है और इसकी सुरक्षा के लिए हमें प्रयास करने की आवश्यकता है। अपनी जिंदगी में इसे फिर से शामिल करना हमारी जिम्मेदारी है। क्योंकि, जैसे-जैसे हम उर्दू से दूर हो रहे हैं हम तहजीब से भी दूर हो रहे हैं। स्पेशल गेस्ट डॉ नफीसा बानो पूर्व विभागाध्यक्ष, वसंता पीजी कॉलेज वाराणसी ने कहा की वर्तमान समय में उर्दू भाषा के उच्चारण में तलफ्फुज बिगड़ रहा है। इसका ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि भाषा के साथ यह एक तहजीब भी है। उन्होंने कहा कि अल्लामा इकबाल ऐसे बड़े शायर हैं जो कि पूर्व और पश्चिम दोनों ही संस्कृतियों का ज्ञान रखते थे। उन्होंने शेरों आदाब का पुराना स्वरूप बदलकर हकीकत की दुनिया से लोगों को परिचित कराया। विशेष अतिथि काजिम आब्दी, बज्म-ए-यारा के प्रबंधक ने कहा कि भाषा का सम्मान और सुरक्षा हमारा पहला उत्तरदायित्व है, क्योंकि यह हमारे पूर्वजों की विरासत है। उन्होंने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आप लोग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करें, जहां जैसे मौका मिले ज्ञान को हासिल करिए, क्योंकि कलम की ताकत से बढ़कर दुनिया में कोई ताकत नहीं होती है।

कलम की ताकत कराती है हुकूमत

काजिम आब्दी ने कहा कि जिस कौम के पास कलम की ताकत है वह कौम दुनिया में हुकूमत करती है। उर्दू भाषा हमारी हिंदुस्तान में जन्मी भाषा है इसलिए यह हमारी मातृभाषा हुई। इसकी सुरक्षा में महिलाओं की अहम भूमिका है। घरों के अंदर हमारे समाज में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग बढ़ रहा है और उर्दू शब्द गायब हो रहे हैं। जिसका असर तहजीब पर भी पड़ता है। आप छात्राएं हैं, इस वक्त आपका मुख्य कार्य पढऩा है। दुनिया की बेहतरीन दोस्त किताब है। अब्राहम लिंकन ने कहा है कि मुझे सबसे ज्यादा पसंद वह दोस्त है जो मुझे किताबें देता है, जो मैंने पढ़ी ना हो। उर्दू विभाग में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। उर्दू विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ जऱीना बेगम नेसंचालन एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। प्राचार्या प्रो। नासेहा उस्मानी ने मुख्य अतिथियों का स्वागत एवं परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि उर्दू विभाग में बज़्म-ए-अदब की नींव 2017 में डाली गई और यह संपूर्ण सत्र के दौरान अकादमिक गतिविधियों का आयोजन करता है।