-लगातार तीसरी बार कैंसिल हुई नगर निगम सदन की विशेष बैठक

-पब्लिक की गाढ़ी कमाई का पैसा हो रहा बर्बाद

-अगस्त से पहले अब मीटिंग होने के चांसेज नहीं

<-लगातार तीसरी बार कैंसिल हुई नगर निगम सदन की विशेष बैठक

-पब्लिक की गाढ़ी कमाई का पैसा हो रहा बर्बाद

-अगस्त से पहले अब मीटिंग होने के चांसेज नहीं

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: जी हां, मीटिंग, ईटिंग एंड चीटिंग। फिलहाल नगर निगम इसी फॉर्मूले पर काम कर रहा है। पब्लिक की गाढ़ी कमाई का पैसा औपचारिकता के नाम पर खर्च हो रहा है। बावजूद इसके जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे बैठे हैं। उनको अपनी जिम्मेदारी का जरा भी अहसास नहीं है। बात हो रही है नगर निगम सदन की विशेष बैठक की। चालू महीने में लगातार तीसरी बार इस बैठक का ऐन मौके पर कैंसिल हो जाना इसी लापरवाही की ओर इशारा कर रहा है। जिसके चलते मौजूदा फाइनेंशियल ईयर का बजट एक बार फिर पास नहीं हो सका।

पब्लिक मांग रही हिसाब

शुक्रवार को नगर निगम सदन की विशेष बैठक लगातार तीसरी बार ऐन मौके पर कैंसिल कर दी गई। यह तो बड़ा फैक्ट है लेकिन इससे बड़ा फैक्टर है पब्लिक के पैसे का दुरुपयोग। बता दें कि इस बैठक का खर्च नगर निगम वहन करता है। सिटी के 80 वार्डो के पार्षद सहित मेयर, नगर निगम ऑफिसर और सांसद, विधायक सहित सौ से अधिक लोग बैठक में शामिल होकर विकास से जुड़े मामलों पर चर्चा करते हैं। जानकारी के मुताबिक एक बैठक पर खाने-पीने से लेकर कुल भ्0 से म्0 हजार रुपए का खर्च होता है। चीजों के ऑर्डर दो से तीन दिन पहले दे दिए जाते हैं।

कभी कोरम नहीं पूरा तो कभी जानबूझकर बनाया प्रोग्राम

नगर निगम सदन की विशेष बैठक तीन जून को बुलाई गई थी। जिसमें महज ख्क् पार्षद ही पहुंचे थे, जिसके चलते कोरम पूरा नहीं हो सका और बैठक को कैंसिल करना पड़ा। इसके बाद अगली बैठक क्म् जून को कॉल की गई थी। इस बार भी इसे ऐन मौके पर अपरिहार्य कारणों से मेयर ने कैंसिल कर दिया। इसके बाद ख्7 जून को पुन: सचिव परिषद एसएल यादव ने बैठक बुलाई थी, जिसे फिर से रद कर दिया गया। ऐसे में नगर निगम सोर्सेज के मुताबिक लगातार तीन बार एक जैसा इंसीडेंस होने से लगभग दो लाख रुपए का नुकसान हुआ है। यह पैसा नगर निगम अपनी आय से खर्च करता है, जो पब्लिक से अलग-अलग टैक्स के नाम पर वसूला जाता है।

फिर क्यों बुलाई बैठक?

बार-बार एक जैसी घटना होने के चलते अब सवाल यह उठता है कि जब शुक्रवार को विधानसभा सत्र चल रहा था तो मिनी सदन की बैठक क्यों बुलाई गई? बता दें कि क्8 जुलाई तक विधानसभा सत्र चलेगा। शुक्रवार को बैठक कैंसिल करने के पीछे भी नगर निगम के ऑफिसर यही तर्क दे रहे हैं। जब सबको पता था कि विधानसभा सत्र चालू है तो यह औपचारिकता क्यों की गई। यही सवाल नगर निगम में मौजूद कुछ पार्षदों की जुबान पर भी था। हालांकि सदन की बैठकों के नाम पर पिछले दो साल में नगर निगम का रिकार्ड खराब रहा है। खुद मेयर भी मानती हैं कि इस दौरान कुल दस बैठकें ही हो सकी हैं।

अगस्त से पहले बैठक बुलाना होगा मुश्किल

विधानसभा सत्र चल रहा है और सात जुलाई से लोकसभा का सेशन भी स्टार्ट होना है। इसके अलावा ख्9 या फ्0 जून से माहे रमजान की शुरुआत हो रही है। ऐसे में मिनी सदन की बैठक बुलाना संभव नहीं होगा। सेशन चलने की वजह से नामित सदस्य के रूप में विधायक और सांसद बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे। जानकारों की मानें तो सदन की विशेष बैठक अब अगस्त से पहले संभव होती नहीं दिख रही है। इस लेटलतीफी के चलते पब्लिक से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले और विकास कार्य लटक सकते हैं। जिसकी भरपाई मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में करना बेहद मुश्किल होगा।

बजट ही नहीं पास हुआ तो कैसे होंगे विकास कार्य

एक ओर बैठक के नाम पर पब्लिक का पैसा बेमतलब पानी की तरह बहाया जा रहा है तो दूसरी ओर बार-बार कैंसिलेशन होने से पब्लिक से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे रुके हुए हैं। इनमें सबसे बड़ा मामला ख्0क्ब्-क्भ् फाइनेंशियल ईयर का बजट है। कार्यकारिणी से पास होने के बावजूद यह बजट सदन की बैठक नहीं होने से अटका हुआ है। जिससे विकास कार्यो पर भी ब्रेक लगा हुआ है। दूसरा बड़ा मामला शहर की चौपट हो चुकी साफ-सफाई व्यवस्था से जुड़ा है। कार्यदायी एजेंसी एडब्ल्यूपी के करोड़ों रुपए के बकाए का फैसला भी इसी बैठक में होना है, जिससे सफाई का काम शुरू हो सके। इसके अलावा वाटर टैक्स और कॉमर्शियल टैक्स जैसे मामलों पर भी सदन की बैठक में निर्णय लिया जाना है।

-विधानसभा सत्र समाप्त नहीं हो पाने के चलते सदन की विशेष बैठक कैंसिल कर दी गई है। कोशिश की जाएगी कि टाइमिंग चेंज करके किसी तरह जुलाई में बैठक को आयोजित कर लिया जाए।

अभिलाषा गुप्ता, मेयर

-नगर निगम सदन की विशेष बैठक तीनों बार कैंसिल जरूर हुई है लेकिन इसके नाम पर किसी तरह का पैसा खर्च नहीं किया गया है।

एसएल यादव, सचिव परिषद व लीगल एडवाइजर, नगर निगम