प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शराब के लिए पिता से मारपीट, पढऩे के लिए बोला तो मां पर कर दिया हमला। ऐसी घटनाएं अब आम हो चली हैं। ऐसी कई घटनाएं मनोचिकित्सकों के सामने रोजाना सामने आ रही हैं। खुद परिजन भी बच्चों के इस व्यवहार से परेशान हैं। ऐसी ही एक घटना हिसार की है जहां पर एक बेटे ने पैसे के लिए मां की हत्या कर दी फिर उसकी लाश को सूटकेस में लेकर प्रयागराज संगम में प्रवाहित करने आया था। पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़कर सलाखों के पीछे भेज दिया। लेकिन एक्सपट्र्स की माने तो बदलते परिवेश में माता-पिता के प्रति बच्चों की हिंसक घटनाओं में लगातार वृद्धि होना वाकई चिंता की बात है।

विकृत मानसिकता का उदाहरण
जानकारों का कहना है कि किसी भी पूर्ति के लिए माता-पिता या परिवार के किसी बड़े सदस्य के साथ गलत आचरण करना वाकई विकृत मानसिकता का प्रतीक है और इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। काल्विन अस्पताल के मनोचिकित्सा केंद्र में महीने में आधा दर्जन से अधिक ऐसे मामले सामने आते हैं। जिनमें बच्चों के साथ परिजन की भी काउंसिलिंग की जाती है। उनको पैरेंटिंग के तरीके भी बताए जाते हैं। बताया जाता है कि बहुत अधिक लाड प्यार से बच्चे बहकते हैं, बनते नही हैं।

शर्मनाक घटनाएं
केस वन- करछना के रहने वाले एक 17 साल के किशोर ने अपने पिता पर अचानक हमला कर दिया। डॉक्टर्स की माने तो पिता और बेटा दोनो ंएल्कोहलिक थे। एक दिन दोनों नशे में थे और किसी बात पर विवाद हो गया। बात बढऩे पर अगले दिन परिजन बेटे को लेकर मनोचिकित्सा केंद्र आए। जहां पर पिता-बेटे दोनों क काउंसिलिंग की गई। फिलहाल बेटे ने शराब से दूरी बनाई है और अब परिवार का माहौल शांत हो चला है।
केस टू- तेलियरगंज के रहने वाले 15 साल के एक किशोर ने अपनी मां के साथ जमकर मारपीट की। बात बस इतनी सी थी कि एग्जाम नजदीक आने पर मां उसे पढऩे के लिए फोर्स कर रही थी। इसी में बेटा उग्र हो गया और उसने मां पर हमला बोल दिया। इस घटना में मां को चोटें भी आई। इसके बाद बेटे ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। जब पिता घर पर आए तो बेटे ने घटना को दूसरी तरह से बताया। लेकिन बात समझ में आने के बाद बेटे को मनोचिकित्सा केंद्र में दिखाया गया। अब उसकी काउंसिलिंग चल रही है। बेटे की संगत भी पूछताछ मं खराब निकली।
केस थ्री- नैनी के एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक के प्रथम वर्ष के छात्र ने अचानक कॉलेज जाना छोड़ दिया। लाखों रुपए फीस जमा करने के बाद इस घटना से परिजन परेशान हो गए। उन्होंने बेटे से पूछा तो उसे अजीब कारण बताया। उसका कहना था कि सभी साथी स्कूटी और बाइक से आते हैं। मैं बस से जाता हूं तो साथी जलील करते हैं। मुझे भी स्कूटी दिलाई जाए। जब परिजनों ने ऐसा करने में मजबूरी जताई तो बच्चे ने जमकर गुस्सा किया। फिलहाल वह कॉलेज नही जा रहा है। उसके व्यवहार से परिजन स्तब्ध हैं।

इन कारणों से बिगड़ रहे बच्चे
- बहुत अधिक प्यार और दुलार देना।
- कम उम्र में मोबाइल फोन थमा देना।
- टीवी देखने पर जरा भी रोक नही लगाना।
- जेब खर्च के लिए अधिक पैसे देना।
- बच्चों की संगत पर जरा भी ध्यान नही देना।
- उसकी हर इच्छा को आंख मूंदकर पूरा करना।
- बच्चे की पढ़ाई लिखाई पर ध्यान नही देना।
इस तरह से होगा सुधार
- बच्चों के साथ माता-पिता एक दूसरे से झगड़ न करें।
- बच्चे पर अधिक गुस्सा नही करना चाहिए।
- परवरिश के दौरान बच्चों को संस्कार सिखाएं।
- बच्चे के सामने लूज टाक या गाली गलौज न करें।
- गलत इच्छाओं की पूर्ति न करें और उसे समझाएं।
- बच्चे की संगत पर ध्यान दें, उसके साथियों से बात करें।
- जरूरत पढऩे पर काउंसलर का सहारा लें।

महीने में आधा दर्जन से अधिक मामले सामने आते हैं जब माता-पिता आकर शिकायत करते हैं बच्चे उनकी नही सुन रहे और गलत व्यवहार कर रहे हैं। ऐसे में बच्चों की काउंसिलिंग की जाती है। ऐसे मामलों मेंं परिजनों का भी दोष होता है। वह अपने बच्चों की गलतियों पर शुरुआत में पर्दा डालकर गलत करते हैं।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक

बच्चों की परवरिश में अधिक ध्यान देना जरूरी है। उनकी संगत और दिनचर्या पर नजर रखना चाहिए। अगर हर चीज को अनदेखी करेंगे तो बच्चे हाथ से निकल सकते हैं। जिसका परिणाम हिसार जैसी घटना के रूप में सामने आ सकता है।
हेमंत शुक्ला, परिजन

केवल बच्चों का दोष नही है। इसमें परिजन भी दोषी हैं। शुरुआत में वह बच्चों की गलतियों को छिपाते हैं और बाद में वह बढ जाती हैं तो परेशान होते हैं। अगर शुरुआत में रोक दिया जाए तो बच्चे कभी भी माता पिता के खिलाफ नहीं जाएंगे।
रिंकू देवी, परिजन