-आल इंडिया किसान मजदूर सभा के सम्मेलन में सरकारी नीतियों की हुई आलोचना

- पूर्व जस्टिस ने रखी अपनी बात, कई देशों से आए प्रतिनिधि हुए शामिल

ALLAHABAD:

राजनीतिक पार्टियों की गलत नीतियों ने देश के कृषि क्षेत्र को गहरे संकट में धकेल दिया है। इसके चलते ही किसान भुखमरी की कगार पर आकर आत्महत्या कर रहे हैं। मुंबई हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल ने यह बात कही। वह रविवार को राजर्षि टंडन मंडपम में आल इंडिया किसान मजदूर सभा के राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकारों में परिस्थितियों को बदलने की इच्छा नहीं है। मोदी सरकार द्वारा पांच साल के भीतर कृषि आय को दोगुना करने का वादा छलावा साबित हो रहा है।

किसान आंदोलनों पर हुई चर्चा

कार्यक्रम में शिरकत कर रहीं फिलीपींस से आई सिल्विया मल्लारी ने कई देशों में चले किसान आंदोलनों पर चर्चा की। उन्होंने इंडोनेशिया तथा फिलीपींस में चल रहे किसान आंदोलनों के दमन के बारे में बताया। जस्टिस जनार्दन सहाय ने कहा कि सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है जब देश कृषि संकट से जूझ रहा है। इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचएस संधू द्वारा ध्वजारोहण से हुई। इसके बाद मौजूद अतिथियों व प्रतिनिधियों ने 'कम्युनिस्ट इंटरनेशनल' के सामूहिक गान द्वारा सलामी पेश की।

शहीद स्तंभ पर किया माल्यार्पण

इस मौके पर सभा के महासचिव सुशांत झा ने क्रांतिकारी आंदोलन को बढ़ाने में शहीद हुए कामरेड किसानों की याद में शहीद स्तंभ पर माल्यार्पण किया। वरिष्ठ साहित्यकर्मी अरुणोदय के रामाराव ने शहीदी गान द्वारा श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम में ओमदत्त सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता रवि किरण जैन, प्रो। रंजना कक्कड़, बिरादराना प्रतिनिधियों में व्यास तिवारी, प्रो। ईश मिश्रा, रमिंदर, प्रदीप, इविवि की छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह, प्रो। कैलाश शर्मा, जोगिंदर सिंह आदि मौजूद रहे। दूसरे सत्र में चार सदस्यीय अध्यक्ष मंडल का चयन किया गया। एआईकेएमएस के सचिव डॉ। आशीष मित्तल ने बताया कि सोमवार को देश के किसानों के नाम आहवान दस्तावेज पर चर्चा की जाएगी।