- नियमों को ताक पर रखकर दौड़ रहे हैं सिटी में ऑटो

-विभाग की सुस्ती से नहीं रहा नियमों को तोड़ने का डर

BAREILLY : शहर में दौड़ रहे ऑटो वाले न सिर्फ अराजकता पर उतारू हैं, बल्कि वह पैसेंजर्स की सेफ्टी से भी खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। चिंता की बात यह है कि इनकी इस लापरवाही पर एक्शन लेने वाले विभाग भी आंख मूंद पर बैठे हुए हैं। ऐसा नहीं हैं कि नियम नहीं बने। नियम बने लेकिन ज्यादातर नियम या तो फाइलों से बाहर नहीं निकल पाए, या फिर संबंधित विभाग ने गैर जिम्मेदाराना अंदाज अख्तियार करते हुए उसको भूल गया। हम आपको एक-एक करके बताते हैं कि किस तरह से इस पर नकेल कसने वाले विभागों को गैर जिम्मेदाराना रवैया ऑटो वालों की अराजकता को बढ़ावा दे रहा है।

1- जिंदगी के लिए बड़ा खतरा

शहर में 4850 सीएनजी ऑटो दौड़ रहे हैं। सीएनजी ऑटो में नियम है कि हर तीन साल में उनको सीएनजी टेस्ट की जांच करानी होती है। जिसको हाईड्रोटेस्ट कहा जाता है। इसमें यह चेक किया जाता है कि गैस टंकी की स्थिति क्या है। वह और चल सकती है या फिर उसको चेंज किया जाए। सुरक्षा के नजरिए से यह बेहद महत्वपूर्ण होता है। नियम है कि बिना हाइड्रो टेस्ट के ऑटो सड़क पर नहीं दौड़ सकते हैं। लेकिन, अराजकता का आलम यह है कि सिटी में सिर्फ 2000 से ज्यादा ऑटो बिना हाइड्रो टेस्ट के दौड़ रहे हैं। अधिकारियों का ध्यान भी इस तरफ नहीं जाता है। यह लापरवाही किसी भी दिन भारी पड़ सकती है। क्योंकि लगातार सीएनजी भरवाने से टैंक की स्ट्रेंथ कम हो जाती है।

2- राइट साइड रॉड भी नहीं लगवाई

सिटी में पैसेंजर्स सेफ्टी को देखते हुए नियम बनाया था कि सभी ऑटो में राइट साइड में रॉड लगा दी जाए। कारण, यह था कि कई पैसेंजर्स राइट साइड से उतरने लगते हैं, जिसमें एक्सीडेंट का खतरा होता है। लेकिन, यह निगम कुछ दिनों के बाद फाइलों में दबता चला गया। शुरू में कुछ ऑटो वालों ने साइड रॉड लगवाई थी, लेकिन उसके बाद यह पूरी तरह से बंद हो गई। ऑटो वालों की लापरवाही का कारण आरटीओ व ट्रैफिक पुलिस की बड़ी सुस्ती भी है। क्योंकि, सेफ्टी के इन मानकों को लेकर विभाग द्वारा कभी कोई अभियान ही नहीं चलाया गया।

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रोड सेफ्टी क्लब बस नाम का

8 दिसम्बर 2010 में रोड सेफ्टी क्लब का गठन किया गया था। मकसद था कि ऑटो वालों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी दी जाएगी। लेकिन, यह क्लब भी मीटिंग से ज्यादा आगे नहीं बढ़ा। इस विभाग में टैफिक पुलिस, आरटीओ शामिल था। लेकिन इस क्लब को लेकर न तो विभाग ने सक्रियता दिखाई और न ही ऑटो वालों ने। नतीजा यह हुआ कि यह क्लब के बारे में अब कोई बात भी नहीं करता है।

4- नहीं लगाया रेडियम लाइट

नियम बना था कि सभी ऑटो वाले पीछे की साइड में रेडियम लगवाएं, ताकि वाहनों को यह साफ नजर आए। जिससे की दुर्घटना की संभावनाओं को कम किया जाए। लेकिन, सिटी की सड़कों पर दौड़ रहे 80 फीसदी से ज्यादा ऑटो वालों ने रेडियम नहीं लगवाए।

नियम तोड़ने पर यहां परमिट रद्द नहीं होती

एमवी एक्ट की बात करें तो रूल्स को फॉलो नहीं करने पर ऑफिसर्स को परमिट रद्द करने का पावर होता है। नियम फॉलो नहीं करने पर चालकों को तीन चांस दिए जाने का प्रावधान है। मनमानी से बाज नहीं आने पर वाहन का परमिट निलंबित करने की कार्रवाई की जानी चाहिए। एक बार परमिट रद्द होने पर दोबारा परमिट जारी नहीं की जा सकती है। लेकिन, चालकों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से इनकी मनमानी बढ़ती ही जा रही है।

बॉक्स

- शहर में ऑटो- 4800.

- बिना हाइड्रोटेस्ट के दौड़ रहे हैं - 2 हजार से अधिक।

- नियम तीन का सवारियां बैठाते हैं पांच।

- कुछ को छोड़ दें तो, मैक्सिमम ऑटो में राइट साइड रॉड नहीं लगे हैं।

नियम को फॉलो नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। जहां तक हाईड्रोटेस्ट की बात है तो, चालकों से कहा गया है। जल्द ही इसको लेकर अभियान चलाया जाएगा।

आरआर सोनी, आरटीओ