- वाहनों में बैठाते हैं मानक से अधिक बच्चे

- कई बार हुई मीटिंग लेकिन, रूल्स को नहीं कर रहे फॉलो

BAREILLY: ऑटो चालक अपनी मनमानी कर मासूम जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं। मानक को ताक पर स्कूली बच्चों को ढोने का काम कर रहे हैं। स्कूली वाहनों के साथ एक-दो घटना होने के बाद शहर में खूब हो- हल्ला मचा। आनन-फानन में एडमिनिस्ट्रेशन, ऑटो यूनियन, स्कूल मैनेजमेंट और पेरेंट्स फोरम ने नए बिन्दुओं पर अपनी सहमति भी जताई। मगर सारे नियम-कानून मीटिंग तक ही समित होकर रह रह गए। रूल्स को जब भी फॉलो करने या कराने की बात आती है तो सब अपनी-अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते नजर आते हैं।

बच्चे नहीं जैसे हैं कोई सामान

चंद रुपए की खातिर चालक वाहन में बच्चों को ठूंस-ठूंस कर बैठाते हैं, जैसे वह कोई सामान हों। ऑटो में वैसे तो, चालक के अलावा तीन सवारियां बैठाने का नियम है। लेकिन मीटिंग में ऑटो यूनियन के रिक्वेस्ट पर 5 बच्चों को बैठाने पर सहमति बनी थी। बावजूद इसके स्कूलों के सामने खड़े ऑटो में 7 से 8 बच्चे आसानी से देखे जा सकते हैं।

जाली भी नहीं लगी

मैक्सिमम स्कूली ऑटो में जाली नहीं लगी है। जबकि बच्चों की सुरक्षा के लिए ऑटो के दोनों साइड लोहे की जाली लगाने की बात हुई थी। मगर कुछ ऑटो व टेम्पो चालकों को छोड़ दें तो बाकी बिना जाली के ही बच्चों को ढोने का काम कर रहे हैं। कई ऑटो पर हेल्प लाइन नंबर भी नहीं लिखा गया है।

समझौता कई बार, मामला सिफर

ऑटो यूनियन, पेरेंट्स फोरम, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन और ट्रैफिक पुलिस के बीच कई बार मीटिंग हो चुकी है। रीसेंटली 29 अप्रैल को भी एक मीटिंग हुई थी। मीटिंग में एक कमेटी भी बनाई गई थी। जिसके चेयरमैन एडीएम सिटी को बनाया गया था। इसके अलावा मीटिंग में बच्चों की सेफ्टी के लिए कई रूल्स बनाए गए थे। मगर मामला अभी तक सिफर है।

एमवी एक्ट भी इसका कारण

इस मनमानी के पीछे कही न कही एमवी एक्ट में जो जुर्माने का प्रावधान है। वाहन गलत ढंग से बच्चों को कैरी कर रहे है तो एमवी एक्स्ट के तहत मात्र 100 रुपए का जुर्माना काटा जाता है। ये रकम इतनी मामूली है कि वाहन ओनर सेफ्टी को ताक पर रखकर जुर्माना देना ज्यादा बेटर समझते हैं।

बॉक्स

एडमिनिस्ट्रेशन, वाहन एसोसिएशन, अभिभावक संघ के बीच हुए समझौते

- स्कूली वाहन का रंग पीला होना चाहिए।

- ऑटो के दोनों साइड जाली लगी होनी चाहिए।

- वाहन में सीट से अधिक बच्चें न बैठाए जाए।

- वाहनों पर स्कूल वाहन लिखा जरूरी होता है।

- वाहनों के पीछे स्कूल का नंबर लिखा होना चाहिए।

- वाहन में मेडिकल किट की व्यवस्था।

- वाहन स्टॉफ की डिटेल स्कूल संचालकों और पेरेंट्स के पास मौजूद होना चाहिए।

- किसी भी कीमत पर एलपीजी किट लगे वाहनों में स्कूली बच्चे नहीं बैठेंगे।

आरटीओ के नार्मस

- 6 सीट से ज्यादा के वाहनों को ही स्कूली वाहन के रूप में पास दिए जाने का नियम।

- ऑटो को स्कूली वाहन के रूप पास नहीं इश्यू किया जा सकता है।

- स्कूली वाहन 15 साल से ज्यादा पूराने नहीं होने चाहिए

- वाहन में इमरजेंसी गेट होना चाहिए।

- अर्बन में स्कूली वाहन सीएनजी युक्त होना चाहिए।

स्कूली वाहन

- बस और वैन- 500.

- ऑटो और टैम्पो - 1500

समझौते के अकॉर्डिग किस वाहन में कितने बच्चे

- ऑटो - 5 बच्चे।

- वैन - 12 बच्चे।

- विक्रम - 10 बच्चे।

- बस - सीट के मुताबिक।

ऑटो में अधिक बच्चों को कैरी करने को लेकर कई बार मीटिंग हुई। कुछ बिन्दुओं पर समझौता भी हुआ। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हो सका। एडमिनिस्ट्रेशन कमजोर पड़ जा रहा है। इस बात को लेकर हम लोग एक बार फिर एडमिनिस्ट्रेशन से मिलेंगे।

मोहम्मद खालिद जिलानी, कन्वीनर, पेरेंट्स फोरम