केस वन-

कुर्माचल नगर की शारदा अपनी बहू पूनम शर्मा के साथ सैटरडे को बाला जी मंदिर पूजा करने के लिए गई थीं। पूजा कर लौटते वक्त शारदा रास्ते मे बेहोश हो गई। इसी दौरान दो महिलाएं मदद करने पहुंची और एक ऑटो बुलाया। ऑटो में चालक के अलावा पहले एक युवक सवार था। कुछ दूर जाने के बाद युवक ने चेन, झुमका और पर्स लूट कर फरार हो गए।

केस टू

अनुज मिश्रा नाम का हिस्ट्रीशीटर ऑटो ड्राइवर ने भी सैटरडे को ईव टीजिंग की एक घटना हो अंजाम दिया। नेकपुर की रहने वाली आईटीआई की एक टीचर सैटरडे को स्कूल से घर लौट रही थी। मढ़ीनाथ में सरस्वती शिशु मंदिर के पास पहुंची ही थी कि ऑटो ड्राइवर अनुज मिश्रा जोर जबरदस्ती करने लग गया। जो कि हत्या के जुर्म में जेल भी जा चुका है।

BAREILLY:

यह दो मामले तो महज बानगी हैं। इस तरह के न जाने कितने मामले रोज होते हैं। महिलाओं से ईव टीजिंग, लूट व छिनैती के मामले सामने आते हैं। साथ ही सीनियर सिटीजन के साथ भी इस तरह की घटना होती हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है। यह घटनाएं कब तक होती रहेंगी। आखिर जिम्मेदारों की नींद कब टूटेगी। हम यदि शहर की बात करें तो सिटीजन की सेफ्टी हजारों गुमनाम ऑटो चालकों के हाथ में है। आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं लेकिन अंत में नुकसान तो पब्लिक का ही होता है। शहर में बिना वेरिफिकेशन, आईडी कार्ड और वर्दी के बिना ऑटो चालक लोगों की सेफ्टी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

ऐसे कैसे होगी सिक्योरिटी

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के आदेश के बाद भी पैसेंजर्स के सिक्योरिटी का प्रॉपर इंतजाम की व्यवस्था नहीं हो सकी है। शहर में दौड़ रहे करीब 4800 ऑटो चालकों में से किसी का भी पुलिस वेरीफिकेशन नहीं हुआ है। तो ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि घटना को अंजाम देने के बाद उनकी पहचान करना लगभग नामुमकिन है। हालांकि मार्च 2013 में ऑटो चालकों का पुलिस वेरिफिकेशन शुरू हुआ लेकिन 350 चालकों का रिकॉर्ड जुटाने के बाद पुलिस व आरटीओ विभाग शंात बैठ गया। जबकि

इस दौरान 350 ड्राइवर्स में से 125 ड्राइवर्स के पास परमिट, एड्रेस और ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिला था। बावजूद इसके बाकी बचे ऑटो चालकों का वेरिफिकेशन काम दोबारा शुरू नहीं किया गया। अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जिम्मेदार पब्लिक की सेफ्टी के प्रति कितना संजीदा हैं।

कैसे होगी पहचान पता नहीं

पुलिस वेरिफिकेशन तो दूर की बात चालकों को वर्दी, आईडी कार्ड और ऑटो पर नेम, एड्रेस, पुलिस हेल्प लाइन नंबर तक नहीं लिखा गया। आरटीओ और टै्रफिक पुलिस ने दस महीने पहले एक मुहिम शुरू की लेकिन वह भी फ्लॉप हो गई। हालांकि फटकार लगने के बाद श्यामगंज में कैंप लगाकर 300 ऑटो ड्राइवर्स को वर्दी और आईडी कार्ड बांटे गए। इसके बाद अधिकारियो ने ऑटो यूनियन को जिम्मेदारी सौंप दी और फिर सुध नहीं ली। इस बात की जांच करना भी उचित नहीं समझा कि, शहर के बाकी ड्राइवर्स को वर्दी और आई कार्ड बांटे गए या नहीं। इतना ही नहीं ऑटो के दोनों साइड सभी ड्राइवर्स को वाहन स्वामी का नाम, चालक का नाम, कांटैक्ट नंबर और पुलिस हेल्पलाइन नंबर भी लिखना था। कुछ चालकों को छोड़ दिया जाए तो बाकी ऐसे ही रोड पर फर्राटा भर रहे हैं।

कैसे होगी पैसेंजर्स की सुरक्षा

जिस तरह से अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना रवैया जारी है। उस हिसाब से तो पैसेंजर्स की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं। ऊपर से हद यह है कि ड्राइवर ईव टीजिंग के उद्देश्य से लेडीज सवारियों को अपनी सीट के बगल में भी बैठाने तक से बाज नहीं आते हैं। व्यवस्था कुछ ऐसी है कि मजबूरन महिलाओं को समझौता करना पड़ता है। जिसका फायदा 'बदमाश' ऑटो चालक उठाते हैं।

सावन के चलते अभियान नहीं चल पा रहा है। सावन बाद वर्दी, बैच और ओवरलोड सहित बाकी चीजों को लेकर बड़े पैमाने पर ऑटो ड्राइवर्स को खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ओपी यादव, एसपी ट्रैफिक

गलत ढंग से चल रहे ऑटो चालकों पर रोक लगना चाहिए। यूनियन इस मामले में प्रशासन के साथ है। यूनियन के लोग इस संबंध में कई बार आरटीओ, एसपी ट्रैफिक से मिल चुके हैं।

गुरुदर्शन सिंह, सेक्रेटरी, ऑटो यूनियन