हाफिज रहमत खान (1774-1774)

1720 में रूहेला सरदारों ने बरेली को अपनी राजधानी बनाई थी। इस रूहेला सरदार ने बरेली, पीलीभीत और शाहजहांपुर सहित रूहेलखंड में 1779 से 1774 तक शासन किया।

पानीपत की तीसरी लड़ाई में जीत

1761 में हाफिज रहमत खान का काफी योगदान रहा था। उनकी बहादुरी से उनके पक्ष को जीत हासिल हुई थी।

सूरजमल को हराया

1764 में मुगल सेना को हराकर आगरा किला पर कब्जा करने वाले सूरजमल ने ताजमहल के चांदी का दरवाजा लूट लिया। मुगलों ने हाफिज रहमत को कमांडर बनाकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। वे बहादुरी से लड़े और इन्होंने सूरजमल को हरा दिया।

जामा मस्जिद बनवाया

पीलीभीत में इन्होंने दिल्ली के जामा मस्जिद की तर्ज पर जामा मस्जिद का भी निर्माण कराया था.एएसआई के संरक्षण में भी बदहाल

कहने को तो रुहेलखंड की ग्लोरियस हिस्ट्री स्वर्णाक्षरों में दर्ज की गई है। यहां के रुहेला सरदारों की बहादुरी के किस्से इसके स्वर्णिम इतिहास की कहानी कहते हैं। पर अब यह गोल्डन हेरिटेज धीरे-धीरे जमींदोज होती जा रही है। हो भी क्यों ना, जब टूरिज्म डिपार्टमेंट हमारी विरासत को हेरिटेज टूरिज्म का हिस्सा ही नहीं मानता है। वहीं, इस हेरिटेज को सहेजने में एएसआई भी लाचार ही नजर आता है। सिटी की बात करें तो रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां के मकबरे को ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने अपने संरक्षण में ले तो लिया है पर इसे संजो नहीं पाई।

गलती से लिख गया बरेली

यूपी टूरिज्म डिपार्टमेंट पर स्टेट के टूरिज्म डेस्टिनेशंस में पहले तो बरेली को शामिल किया गया है, पर इस पेज में केवल अहिच्छत्र के जैन मंदिर का ही जिक्र किया गया है। ऐसे में, सवाल यह उठता है कि बरेली में अहिच्छत्र के इस जैन मंदिर के अलावा कोई ऐसा डेस्टिनेशन नहीं है, जो टूरिस्ट को अट्रैक्ट कर सके। रीजनल टूरिज्म ऑफीसर प्रीती श्रीवास्तव के मुताबिक वास्तव में हम इस टूरिस्ट डेस्टिनेशन में बरेली की बात नहीं कर रहे हैं। यह तो अहिच्छत्र का जिक्र है। आईटी डिपार्टमेंट की गलती से यह डेस्टिनेशन बरेली के नाम से बन गया है। इसके लिए लेटर लिखकर डेस्टिनेशन चेंज करने के लिए कहा जा चुका है। बरेली तो टूरिस्ट डेस्टिनेशन में शामिल ही नहीं है। आई नेक्स्ट की पड़ताल के बाद देर शाम साइट से बरेली को अहिच्छत्र से रिप्लेस कर दिया गया।

अब ये बनेंगे tourist place

रीजनल टूरिज्म डिपार्टमेंट की मानें तो सेंट्रल लेवल पर सूफी श्राइन की 32 साइट क ो टूरिस्ट प्लेस के रूप में डेवलप करने के लिए सेलेक्ट किया गया है। इनमें बरेली से खानकाह-ए-नियाजिया और दरगाह-ए-आला हजरत को शामिल किया गया है। इसके लिए एडमिनिस्ट्रेशन से लैंड की डिमांड की गई है। यहां 50 बस की पार्किंग, कार पार्किंग, बाथिंग फैसिलिटी, टॉयलेट्स, कुकिंग प्लेस, ड्रिंकिंग वॉटर और जनरल यूटिलिटी की शॉप्स डेवलप की जाएंगी।

कम नहीं हैं हेरिटेज बिल्डिंग्स

टूरिज्म डिपार्टमेंट जो भी दावा करे पर वास्तव में बरेली की विरासत किसी से कमजोर नहीं है। फिर चाहें वह गुप्तकाल की बात हो या अंग्रेजी शासन और रुहेला सरदारों की कहानी हो। हिस्टोरियन डॉ। जोगा सिंह होठी के मुताबिक सिटी में इतनी ऐतिहासिक विरासतें हैं, जिन्हें काउंट करना भी मुश्किल है। शहर को नाथ नगरी कहा जाता है, यहां पांच प्राचीन शिव मंदिर है। इनमें तपेश्वरनाथ, मढ़ीनाथ, अलखनाथ, त्रिवटीनाथ और धोपेश्वरनाथ मंदिर हैं। खानकाह-ए-नियाजिया, दरगाह-ए-आला हजरत, नौमहला मस्जिद, जामा मस्जिद भी हेरिटेज साइट्स हैं। इन प्लेसेज पर टूरिस्ट की आवाजाही भी वर्ष भर लगी रहती है।