बरेली (ब्यूरो)। एमजेपीआरयू ने हाल ही में यूजी, पीजी और डिग्री व डिप्लोमा कोर्सेस के रिजल्ट जारी किए हैैं। इसमें कई ऐसे स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जिनके रिजल्ट में कई खामियां हैं। जैसे कि स्टूडेंट एग्जाम में परजेंट है और रिजल्ट में उसे अब्सेंट दिखाया गया है। इसी तरह सब्जेक्ट और माक्र्स की खामी भी रिजल्ट में है। इसकी वजह से स्टूडेंट्स काफी परेशान हैं। अपने रिजल्ट को सही कराने के लिए हर दिन कई स्टूडेंट्स दूसरे जिलों से आरयू पहुंच रहे हैं। यहां उन्हें एक पटल से दूसरे पटल और एक अधिकारी के पास से दूसरे अधिकारी के पास चक्कर काटने पड़ रहे हैं, पर उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।

जिम्मेदारी से बचते अधिकारी
रिजल्ट की खामियों को लेकर आरयू में कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। हर कोई इस खामी का जिम्मेदारी दूसरे पर डालने की कोशिश करता है। इस संबंध में आरयू से एफिलिएटेड कॉलेजेस का कहना है कि उन्होंने सारे माक्र्स टाइमली रिक्वायर्ड डिपार्टमेंट को सबमिट कर दिए थे। प्रोफेसर्स का कहना है कि उनके स्तर से कोई कमी नहीं हुई है। वहीं यूनिवर्सिटी के एग्जाम कंट्रोलर संजीव कुमार सिंह का कहना है कि उनके पास समय सीमा समाप्त होने के बावजूद भी कई एफिलिएटिड कॉलेजों से माक्र्स नहीं आए थे। जिन्हें बार-बार माक्र्स भेजने के लिए कहा जा रहा था।


इंटरनल माक्र्स भी जीरो
कई स्टूडेंट्स ऐसे भी है, जिनको इंटरनल एग्जाम में भी अब्सेंट दिखाया गया है। स्टूडेंट्स से बात करने पर उन्होंने बताया कि उनके रिजल्ट में ऐसी कमियां हर साल की बात हो गई है। इंटरनल देने के बावजूद भी इसके माक्र्स रिजल्ट में नहीं हैं।

स्टूडेंट्स काट रहे हैं चक्कर
यूनिवर्सिटी की खामी का नतीजा स्टूडेंट्स को उठाना पड़ रहा है। अपने रिजल्ट को सही कराने के लिए स्टूडेंट हर दिन यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे हैं। रिजल्ट की खामी से परेशान एकस्टूडेंट ने अपने माक्र्स रीचेक कराए तो माक्र्स पहले से कुछ और ही निकले। इसी तरह के कई दूसरे मामले भी हैं। ऐसे परेशान स्टूडेंट्स का कहना है कि आरयू अपने ही स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है।

570 कॉलेज है एफिलिएटिड
आरयू से वर्तमान में 570 कॉलेज एफिलिएटेड हैं, जो बरेली और मुरादाबाद मंडल के हैैं। इन कॉलेजेस के हजारों स्टूडेंट्स की परीक्षा कराना और रिजल्ट तैयार करना आरयू का मुख्य काम है। इसके लिए आरयू बाहरी एजेंसी की भी मदद ले रहा है,। इसमें हर साल लाखों रुपया भी खर्च किया जाता है। इसके बाद भी परीक्षा और रिजल्ट में कमियां रहती है और इससे स्टूडेंट्स सफर करते हैं।


हाल ही में विश्वविद्यालय ने रिजल्ट जारी किए थे। कई स्टूडेंट्स की मार्कशीट में कमियां सामने आई हैं। इसमें एग्जाम में प्रजेंट होने के बाद भी मार्कशीट में अब्सेंट की प्रॉब्लम भी है। कमी यूनिवर्सिटी की है और परेशानी स्टूडेंट को उठानी पड़ रही है।
अमन सिंह तोमर, छात्र नेता

यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। बरेली या आस पास के स्टूडेंट्स तो एक बार यूनिवर्सिटी के चक्कर काट लेंगे पर जो स्टूडेंट दूर से आता है, वह क्या करेगा। यहां एक बार में तो कोई काम होता नहीं है। इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदार यूनिवर्सिटी की एजेंसी है जो बार-बार गलती कर रही है। यूनिवर्सिटी इस एजेंसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
करन सिंह, छात्र नेता


रिजल्ट को लेकर यूनिवर्सिटी ने कॉलेजों को बहुत टाइम दिया था। कई कॉलेजों ने निर्धारित समय में अपने यहां से स्टूडेंट्स के माक्र्स अपलोड ही नहीं करे। रिजल्ट जारी होने के बाद भी कई कॉलेज अपने यहां स्टूडेंट्स के माक्र्स भेज रहे हैं। इससे रिजल्ट में कमियां आई हैं। इसके लिए अब किसे जिम्मेदार ठहराया जाए।
संजीव कुमार सिंह, एग्जाम कंट्रोलर, आरयू