बरेली (ब्यूरो)। हाउसवाइफ यह सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि 24 घंटे, 7 दिन और 12 महीने बिना किसी ब्रेक के लगातार काम करने वाली एक लेडी होती है, जो बिना कोई कंप्लेंट बस औरों की खुशी के लिए काम करती है। उन्हें इसके लिए कोई सैलरी भी नहीं मिलती। बस अपनों के चेहरे पर खिली मुस्कान को देख वे तृप्त हो जाती हैं। कई बार हम उन्हें एप्रीशिएट करना ही भूल जाते हैैं, लेकिन वे इस बात की भी कभी कोई कंप्लेंट नहीं करतींं। नेशनल हाउसवाइफ डे पर प्रस्तुत है दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की यह स्पेशल रिपोर्ट

ऑलवेज ऑन ड्यूटी
हर ऑफिस एंप्लॉई के लिए वीक में एक दिन का रिलेक्सेशन के लिए दिया जाता है, जिससे अगले दिन वे फ्रेश होकर काम कर सकें। कभी सोचा है कि जब सभी को एक महीने में एक दिन की लीव मिलती है तो हाउस को सजाने और संवारने में जो दिन-रात एक कर देती हैं, उन्हें कभी लीव क्यों नहीं मिलती। आखिर वो क्यों ऑलवेज ऑन ड्यूटी होती हैैं। हाउसवाइफ के लिए भी एक दिन का वीकेंड क्यों नहीं डिसाइड होना चाहिए।

टाइम चेंज, पर वर्क नो चेंज
टाइम तो बदल रहा है, लेकिन हाउस वाइफ के मायने नहीं बदल रहे हैं। अब हाउस मेकर सिर्फ घर को सजाने-संवारने में ही नहीं लगी हुई होती हैं, बल्कि ऑफिस की कमान भी विमेन ने संभाल रखी है। वे हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैैं। हर जिम्मेदारी को पूरी शिद्दत के साथ निभा रही हैैं। वे सभी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, लेकिन वर्किंग होने के बाद भी उनके ऊपर से हाउस वाइफ का टैग नहीं जा रहा है। ऑफिस से आने बाद भी पूरे घर की जिम्मेदारी उन के कंधों पर ही होती है।

परिवार की जिम्मेदारी में खुद को भूलीं
हाउस वाइफ सुधा ने बताया कि शादी के बाद परिवार सिर्फ एक शब्द ही नहीं रह जाता है। विमेन के लिए उनके साथ एक जिम्मेदारी जुड़ जाती है, जिसे उन्हें हर हाल में निभाना होता है फिर चाहे वह बीमार हो, थकी हो, लेकिन उन्हें जिम्मेदारी निभानी ही होती है। कई बार वे महीनों तक घर से बाहर नहीं जा पातीं। घर-परिवार की खुशी के चक्कर में उनके खुद के सपने भी चकनाचूर हो जाते हैैं।

हसबैंड भी हों हेल्पफुल
अब घर का काम सिर्फ विमेन की ही जिम्मेदारी ही नहीं रह गई है। जिस तरह अब घर सिर्फ एक के कमाने से नहीं चलता है, वैसे ही घर का काम सिर्फ एक के ही काम करने से नहीं चलता है। हर किसी को घर के कामों में हाथ बंटाने की जरूरत है। इसमें कुछ केस में हसबैंड भी बहुत हेल्पफुल होते हैं, जो साथ-साथ काम में मदद करते हैैं।

डॉक्टर राजेश के अनुसार महिलाएं खुद स्वस्थ होंगी तब ही परिवार की देखभाल कर पाएंगी। उन्हें अपनी हेल्थ का ध्यान रखना चाहिए। महिलाओं के लिए आंवला, अमरूद, केला, चुकंदर, पालक, साग, खजूर, खुबानी, अनार और सबसे ज्यादा किशमिश, ब्रॉकली, मशरूम आदि लाभप्रद होंगे। कैल्शियम के लिए गेहूं, बाजरा, रागी का आटा, नारियल, सोयाबीन, संतरा आदि हैं। ताजा फल जरूर खाएं, पानी खूब पिएं। सर्दी में तो पंजीरी, कम चीनी वाले तिल के लड्डू भी साथ रख सकते हैं।

कैसे मनाएं जश्न
हर दिन का महत्व हर किसी के लिए अलग-अलग होता है, लेकिन कुछ इंपॉर्टेंट चीजें होती हैं, जो विमेन के लिए चीजों को स्पेशल बनाती हैैं। हमें उनके दिन को स्पेशल बनाना चाहिए, उन्हें ट्रीर प्रोवाइड करके, उन्हें छोटी-छोटी खुशियां देकर। घर के काम, जैसे खाना बनाना, सफाई करना, बच्चों की देखभाल करना आदि में हेल्प करके भी महिलाओं को खुशी और आराम दे सकते हैं।

लाइफ को करते हैं एंज्वाय
धीरे-धीरे काम करने की आदत हो जाती है। पहले यह डिफिकल्ट जॉब लगता था, पर अब काम करके आदत बन गई है, तो हर चीज आसान हो गई है। घर परिवार ही मेरी दुनिया बन गए है। उनकी खुशी मेरे लिए सब कुछ है।
पूनम पाण्डेय

जॉब मेरे लिए ड्रीम है और मेरी लाइफ घर और ऑफिस दोनों को साथ-साथ मैनेज करने में बहुत मजा आता है। घर हमारी प्रॉयरिटी है, जिसके लिए हम हमेशा तैयार हैैं। कई बार हो पाता है, कई बार नहीं। हमें फ्लो के साथ चलना होता है।
पारुल अग्रवाल

एक की नहीं है जिम्मेदारी
जब हम शादी करते हैं तो कहते हैं कि हर सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ देंगे पर जब काम आता है तो यह सिर्फ हाउसवाइफ तक ही सीमित क्यों रह जाए। हमें घर में भी उनका साथ देना चाहिए। वैसे तो मैैं काम की वजह से घर कम जा पाता हूं, लेकिन जब भी घर जाता हूं, वाइफ की पूरी मदद करता हूं, जिससे वह भी रिलैक्स हो सके ।
सतेंद्र तिवारी

यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी वाला काम होता है। मैैं भी अपनी वाइफ की पूरी तरह मदद करता हूं। जैसे बच्चों को तैयार करना, घर में कभी-कभी खाना बनाने में मदद करना आदि। हम लोगों को एक साथ ही मिलकर काम करना चाहिए, जिससे वे भी फ्री होकर आराम कर सकें। वाइफ का ध्यान रखना हमारा दायित्व होना चाहिए।
आशुतोष अग्रवाल

हमें अपने घर की महिलाओं की मदद करना चाहिए। फिर चाहे वो हमारी मां हो, पत्नी हो या बहन वे हमारे लिए अपना सारा टाइम निकाल देती है। जिसका हमें सम्मान करना चाहिए। घर की महिलाएं सारा दिन काम करती हैं। उनका काम का टाइम लिमिट नहीं होता है। मैं कभी-कभी घर में खाना बना देता हुं, जिससे उनकी थोडी मदद हो जाए। वहीं महीने में एक वीकेंड भी प्लान करते हैैं।
राजेश कुमार

विमेन को निगेटिविटी से दूर रहना चाहिए। इसके अलावा विमेन पर काम करने से सोसली, फिजिकली और मेंटली इंपैक्ट पड़ता है। विमेन को अपनी परेशानी लोगों के साथ या घर परिवार के साथ शेयर करना चाहिए। जिससे उनका स्ट्रै्र्रस कम होगा और वे काम में फ्री होकर फोकस कर पाएंगे।
डॉ। राकेश यदुवंशी, साइकाइट्रिस्ट

खुद फिट रहेंगे तो परिवार भी रहेगा फिट
साइकाइट्रिस्ट डॉक्टर राजेश का कहना है कि घर में रहने वाली महिलाएं कई परेशानियों का सामना करती हैं। कई बार खुद को कम भी समझने लगती हैं। इसके लिए उन्हें यह समझना होगा कि वे किसी से कम नहीं हैैं। कई बार घर के कभी न एंड होने वाले काम की वजह से उन पर मेंटली और फिजिकली दोनों तरह से फर्क पड़ता है। जो उन्हें कई तरह की बीमारियां दे सकती हैैं। इसके चलते उन्हें एंग्जाइटी, डिप्रेशन जैसी बीमारियां हो सकती हैं। चारदीवारी में रह कर घर का काम, बच्चों को पढ़ाना, पौधों को पानी देना, रात का खाना बनाना आदि जैसे कई काम होते हैैं, जिन्हें उन्हे सॉल्व करना होता है। डॉक्टर का कहना है कि हाउसवाइफ को निगेटिविटी से दूर रहना चाहिए।