बरेली (ब्यूरो)। साइबर ठगों ने डीपफेक को अपने के लिए ऐसा पॉवरफुल और एफेक्टिव टूल बना लिया है कि इससे पूर्व एडीजी भी नहीं बच सके। इससे पहले डीपफेक के चर्चित मामले बॉलीवुड से ही जुड़े रहे। अब ताजातरीन मामला बरेली में एडीजी रह चुके प्रेम प्रकाश को लेकर सामने आया है। साइबर ठगों ने उनका डीपफेक वीडियो बनाकर गाजियाबाद के एक बुजुर्ग से हजारों रुपए की ठगी कर ली।

यह है पूरा मामला
गाजियाबाद के हरसांव में रहने वाली मोनिका ने बताया कि उनके पिता को वीडियो कॉल कर अज्ञात ब्लैकमेलर ने 74 हजार रुपए दो दिन में वसूल लिए थे। उस वीडियो कॉल में पुलिस अधिकारी दिख रहे थे। वह अपने को द्वारका का एसपी बता रहे थे। उनके साथ मौजूद दूसरे व्यक्ति ने अपना नाम संजय बताया था। दोनों ने उनके पिता से 74 हजार रुपये राजू नाम के व्यक्ति के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए। दोनों आरोपितों ने वीडियो कॉल कर फिर रुपये देने के लिए कहा। इस पर उनकी बेटी ने व्हाट्सएप वीडियो कॉल को दूसरे फोन से रिकॉर्ड कर लिया। इसके बाद उसने रिकॉर्ड किए वीडियो को पुलिस को दिखाया तो पता चाला कि पूर्व एडीजी का डीपफेक वीडियो बनाकर साइबर ठगी की गई है।

इस तरह से करें बचाव
पूर्व साइबर एसपी डा। त्रिवेणी सिंह ने बताया कि अजनबी वीडियो कॉल को रिसीव करने से बचें। अगर कॉल उठा ली है और वीडियो वायरल हो रहा है तो तत्काल पुलिस के पास पहुंचकर शिकायत दर्ज कराएंं। इसके साथ ही बिना वजह अपना वीडियो सोशल साइड पर अपलोड करने से बचें। अगर कभी भी कोई वीडियो कॉल आती है और उसे उठाते हैं तो बेहद ही सावधान रहें। बात करते समय यह बात याद रखें की डीपफेक कॉल भी हो सकती है।

डीपफेक के बारे में जानें
डीपफेक वीडियो और ऑडियों दोनों ही रूप में होता है। यह एक स्पेशल मशीन लर्निंग का इस्तमाल कर बनाया जाता है, जिसे डीप लर्निंग कहते हैं। डीप लर्निंग में कंप्यूटर को दो वीडियो और फोटो दिए जाते हैं। इसके बाद खुद ही लर्निंग दोनों को एक जैसा बना देता है। यह वीडियो हिडेन लेयर्स में होते हैं, जिन्हें सिर्फ एडिटिंग सॉफ्टवेयर से देखा जा सकता है। सीधी भाषा में कहें तो रियल इमेज या वीडियो को रियल सी दिखने वाले फेक फोटो-वीडियो में बदलने की पूरी प्रक्रिया को ही डीपफेक कहा जाता है।

डीपफेक को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित क्राइम कहते हैं। इसे डीपफेक टूल के माध्यम से बनाया जाता है। इससे बेहद सावधान रहने की जरूरत है। सावधनी बरतने और ध्यान से देखने पर ऐसे वीडियो में अंतर साफ-साफ दिखाई देता है। ध्यान से देखने पर पलक झपकने और बोलचाल में होंठ का तालमेल नहीं होता है। इससे साफ पता चल जाता है कि वीडियो फेक है।
डॉ। त्रिवेणी सिंह, पूर्व एसपी साइबर

मामला संज्ञान में आया है। किसी ने मेरे नाम और फोटो का गलत तरीके से इस्तमाल कर पहले फेसबुक आईडी बनाई, जिसके बाद इसका गलत प्रयोग भी किया गया है। पुराने वीडियो का इस्तेमाल कर कम्प्यूटर से एडिटिंग कर फेक वीडियो बनाई थी। इस मामले में रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है। लोगों को ऐसे साइबर ठगों से सतर्क रहने की जरूरत है।
प्रेम प्रकाश, पूर्व एडीजी