बरेली (ब्यूरो)। पंच पर्व के अंतर्गत ही दीपावली के अगले दिन अन्नकूट पर्व भी मनाया जाता है, पर इस बार 14 नवंबर को प्रतिपदा होने के कारण यह पर्व ट्यूजडे को मनाया जाएगा। इस दिन उदय व्यापिनी प्रतिपदा है, जो अपराह्न 2:37 बजे तक रहेगी। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा का कहना है कि इस वर्ष शोभन योग, जिसका स्वामी बृहस्पति है अपराह्न 1:56 बजे तक रहेगा। इस योग में गोवर्धन पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।

किया जाता पूजन
शास्त्रों के अनुसार गोवर्धन पूजा साढ़े तीन प्रहर व्यापिनी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है। मंगलवार को गोवर्धन पूजा का मुहूर्त है। वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इस दिन गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर, फूल माला, धूप, चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है।

होता है सामूहिक भोज
अन्नकूट एक प्रकार से सामूहिक भोज का आयोजन है। इस दिन प्रात: गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाई जाती है। शाम को गोवर्धन की पूजा की जाती है। पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, खील, बताशे आदि का प्रयोग किया जाता है। पूजा के उपरांत गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं। परिक्रमा के समय एक व्यक्ति हाथ में जल का लोटा व अन्य खील (जौ) लेकर चलते हैं। जल के लोटे वाला व्यक्ति पानी की धारा गिराते हुए तथा अन्य जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करते हैं।

विश्वकर्मा की भी होती है पूजा
यह विधान है कि प्रतिपदा में द्वितिया हो तो अन्नकूट अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन प्रात: तेल मलकर स्नान करना चाहिए। इस दिन संध्याकाल के समय दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है। इस भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी करते हैं। इसमें मशीनों एवं उपकरणों का दोपहर के समय पूजन किया जाता है।


लगेगा 56 भोग
श्री शिरडी साई सर्व देव मंदिर के सर्वराकार पं। सुशील पाठक का कहना है कि भारत के कई राज्यों में गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है। इस दिन की गई पूजा भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होती है। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन परिक्रमा करने की मान्यता है। इस दिन गोवर्धन भगवान को 56 भोग लगाया जाता है और गोवर्धन पर्वत के साथ ही श्री कृष्ण और गो माता की भी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गिरिराज की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। पं। सुशील पाठक ने बताया कि साई मंदिर पर 56 भोग के बाद प्रसाद का वितरण किया जाएगा।