बरेली (ब्यूरो)। एक चूक और जिंदगी खत्म बंद रेलवे क्रॉसिंग को पार करने की भूल में जरा सी चूक होने पर मेडिकल संचालक की जान चली गई। मीरगंज में मेडिकल संचालक ससुराल के शादी समारोह में गए थे। फ्राईडे सुबह वह स्कूटी पर पत्नी, बेटा और बेटी के साथ वापस लौट रहे थे। इस दौरान उन्हें संजरपुर रेलवे क्रॉसिंग बंद मिला। बंद क्रॉसिंग से स्कूटी निकालने के दौरान वह ट्रेन की चपेट में आ गए और इस हादसे में उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

चलाते थे मेडिकल स्टोर
मीरगंज थाना क्षेत्र के ग्राम हुरहुरी के रहने वाले महेंद्र पाल कस्बे में मेडिकल चलाते थे। वह थर्सडे को अपनी ससुराल नगरिया कल्याण पुर एक शादी समारोह में शामिल होने गए थे। उनके साथ पत्नी रेखा, बेटा लविश और बेटी कनु भी थे। रात में दावत खाने के बाद वह ससुराल में ही रुक गए थे। फ्राइडे की सुबह वह स्कूटी से पत्नी और बच्चों के साथ मीरगंज से लौट रहे थे। इस दौरान रास्ते में संजरपुर रेलवे क्रॉसिंग बंद मिला। बंद रेलवे क्रॉसिंग को उनकी पत्नी रेखा देवी ने दोनों बच्चों के साथ पार कर लिया। इसके बाद महेन्द्र अपनी स्कूटी को फाटक के नीचे से निकालकर पटरी क्रॉस करने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान वह बरेली की ओर से दिल्ली की ओर जा रही ट्रेन की चपेट में आ गए। इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना देखकर उनकी पत्नी बेहोश हो गई।

शव भी हुआ क्षत विक्षत
ट्रेन की टक्कर लगने से महेन्द्र के शरीर के कई टुकड़े हो गए। मौके पर पहुंचे लोगों को शरीर के टुकड़े ढूंढ़ने पड़े। ट्रेन की टक्कर से स्कूटी के भी परखच्चे उड़ गए। स्कूटी के टुकड़े तो सौ मीटर से अधिक दूर जाकर गिरे। मौके पर पहुंची मीरगंज पुलिस ने महेन्द्र के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

पत्नी-बच्चों के सामने मौत
दस मिनट की जल्दबाजी को लेकर महेन्द्र अपनी जान गंवा बैठे। यहीं नहीं अगर ट्रेन चंद सेकेंड पहले आ जाती तो महेन्द्र की जगह पर उनकी पत्नी रेखा देवी, बेटा लविश और बेटी मनु को जान खतरा हो सकता था। ट्रेन आने के चंद सेकंड पहले ही रेखा दोनों बच्चों के साथ लाइन के दूसरी ओर पहुंच चुकी थीं। उनके पीछे निकल रहे महेन्द्र हादसे का शिकार हो गए। चंद सेकंड में ही मेहेन्द्र अपने बच्चों और पत्नी से हमेशा-हमेशा के लिए जुदा हो गए और परिवार पर आफत टूट पड़ी।

कभी न भुलने वाला हादसा
बंद रेलवे क्रॉसिंग की एक तरफ महेंद्र का परिवार था और दूसरी तरफ वह खुद थे। परिवार भी उनका इंतजार कर रहा था। पत्नी और बच्चों के सामने महेन्द्र की मौत हो गई। इसके बाद से ही उनकी पत्नी बेसुध हो गई। ऐसा हादसा न तो रेखा कभी भुला पाएंगी और न ही उनके बच्चे।

जोखिम में डालते हैं जान
बंद रेलवे क्रॉसिंग को पार करने की भूल में जान गंवाने का यह कोई पहला केस नहीं है। इससे पहले भी लोग इस तरह की गलती करने पर ट्रेन की चपेट में आने से जान गंवा चुके हैं। फाटक बंद होने पर लोग दम मिनट का इंतजार करना मुनासिब नहीं समझते हैं। जल्दी निकलने के चक्कर में वह फाटक के नीचे से निकल जाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।