बरेली (ब्यूरो)। अंडा शाकाहरी है या मांसाहारी, इसको लेकर भले ही मतभेद हो सकते हों, पर है अंडा सेहत के लिए भरपूर फायदेमंद। सर्दी शुरू होते ही अंडे की खपत कई गुना बढ़ जाती है। आईसीएआर की यूनिट सीएआरआई यानी सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट की मानें तो प्रदेश में प्रतिदिन 2.5 करोड़ अंडा की खपत हो रही है, जबकि उत्पादन 1.5 करोड़ तक ही सीमित है। हर दिन 90 लाख अंडा बाहर से आयात करना पड़ रहा है। साइंटिस्ट अनफर्टिलाइज्ड अंडे को शाकाहारी श्रेणी में मानते हैं। बाजार में जो अंडे मिलते हैं, वो सभी अनफर्टिलाइज्ड ही रहते हैं। दरअसल इन अंडों से चूजे नहीं निकलते हैं।

अंडे में तीन लेयर
अंडे में तीन लेयर होती हैं। पहली लेयर इसका छिलका, दूसरी लेयर इसकी सफेदी, जिसमें प्रोटीन पाया जाता है। इसमें जानवर का कोई हिस्सा शामिल नहीं होता है। इसलिए तकनीकी रूप से देखें तो एग वाइट यानी सफेदी शाकाहारी है। तीसरी परत अंडे की जर्दी होती है। जर्दी पीले रंग की होती है। जिस तरह एग वाइट में प्रोटीन होता है, उसी प्रकार जर्दी में भी प्रोटीन होता है। इसके अलावा इसमें कोलेस्ट्रोल और फैट भी पाया जाता है।

नेचुरल है प्रक्रिया
मुर्गी में अंडा बनने की प्रक्रिया नेचुरल है। मुर्गी अगर मुर्गा के संपर्क में न आए तो भी वह अंडा उत्पादन करेगी। मुर्गी और मुर्गे के संपर्क से जो अंडा पनपता है, उनमें गैमीट सेल्स पाया जाता है, जो अंडे को मासांहारी बनाता है।

वैज्ञानिकों का दावा
मुर्गियां छह महीने होने के बाद अंडा देना शुरू कर देती हैं और एक या डेढ दिन के अंतराल में अंडे देती हैं। जो मुर्गियां बिना मुर्गें के संपर्क आए अंडे देती हैं, उन्हें अनफर्टिलाइज्ड एग कहते हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि इन अंडों से चूजे नहीं निकल सकते हैं। इसलिए बाजार में जो अंडा मिलता है उसे शाकाहारी कैटेगिरी में ही रखा जाएगा।

दो तरह की फार्मिंग
मुर्गी फॉर्मिंग मुख्यतया दो प्रकार की होती है। इसमेें एक ब्रॉयलर तो दूसरा लेयर फार्मिंग है। ब्रॉयलर मुर्गी पालन मांस के लिए किया जाता है और लेयर मुर्गी पालन अंडे के लिए किया जाता है। ब्रॉयलर और लेयर फार्मिंग में किससे ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है, इसके बारे में एक्सपर्ट की माने तो ब्रॉयलर पालन में कम जगह और कम पूंजी की जरूरत होती है।

एक वर्ष में तीन बार बढ़े रेट
सीएआरआई की तरफ से भी अनफर्टिलाइज्ड अंडा सेल किया जाता है। यहां अनफर्टिलाइज्ड अंडा सितंबर में 140 रुपए किलो बेचा गया। अक्टूबर में इसके रेट 180 रुपए प्रति किलो कर दिए गए। सर्दी शुरू होते ही यहां अंरू 210 रुपए किलो कर दिया गया है। जबकि मार्केट में भी अंडा प्रति कैरेट 910 से बढक़र 1240 रुपए हो गया है। सीएआरआई फर्टिलाइज्ड अंडों से चूजे उत्पादित करता है। यह चूजे यहां से सेल भी किए जाते हैं और सरकारी स्कीम के तहत किसानों को बांटे भी जाते हैं।

अनफर्टिलाइज्ड अंडा शाकाहारी की श्रेणी में माना जाता है। क्योंकि यह फर्टिलाइज्ड नहीं होता है, इसलिए अनफर्टिलाइज्ड अंडा से चूजा नहीं निकलता है। महात्मा गांधी ने भी अंडा को शाकाहारी बताया है।
डॉ। एके तिवारी, निदेशक सीएआरआई