बरेली (ब्यूरो)। एक नवंबर से यातायात माह चल रहा है। इसके अंतर्गत लोगों को ट्रैफिक रूल्स को लेकर जागरूक किया जाता है, लेकिन शहर से लेकर देहात तक इस बार पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। कहीं भी टै्रफिक पुलिस यातायात माह को लेकर गंभीर दिखाई नहीं दे रही है। यातायात माह का शुभारंभ तो किया गया, लेकिन उसके बाद से शहर में शायद ही कहीं पुलिस ने लोगों को जागरूक किया हो। ऐसा न करने के पीछे का कारण ट्रैफिक पुलिस त्योहारी सीजन में व्यस्त होना बता रही है।

अवेयर करना उद्देश्य
यातायात माह में पुलिस का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक करना होता है। इस माह में उनके द्वारा अलग-अलग तरह से लोगों को ट्रैफिक नियमों को लेकर जागरूक किया जाता है। ट्रैफिक पुलिस स्कूल, कॉलेजेज में जाकर बच्चों को ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाया जाता है। नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से भी पब्लिक को अवेयर किया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी कहीं पर नजर नहीं आ रहा है। यातायात माह को लेकर जिले में सन्नाटा छाया हुआ है।

एडीजी ने किया था शुभारंभ
यातायात माह का शुभारंभ एडीजी प्रेमचंद्र मीना द्वारा किया गया था। इस अवसर पर उन्होंने हरी झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया था। इसके साथ ही उन्होंने रैली में मौजूद छात्र-छात्राओं सहित अन्य लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने के साथ ही दुर्घटनाओं को कम करने के लिए जागरूक किया था। शुभारंभ के दौरान आईजी डॉ। राकेश सिंह, एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान, एसपी सिटी राहुल भाटी, एसपी ट्रैफिक राम मोहन सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे थे।

इस वजह से होते हैं हादसे
सडक़ हादसे ज्यादातर वाहनों की लापरवाही से ही होते हैं। चालक अगर खुद सचेत रहे तो हादसे कई प्रतिशत तक कम किए जा सकते हैं। ज्यादातर हादसे तेज गति से वाहन चलाने, शराब पीकर वाहन चलाने, सीट बेल्ट न लगाने, बच्चों को वाहन चलाने और खतरनाक स्टंट करने से होते हैं। लोग लापरवाही बरतते हुए दोपहिया वाहन पर तीन से चार-चार लोगोंं को बैठा लेते हैं। इस कारण कई बार वे हादसे का शिकार हा जाते हैं। इसके साथ ही कई हादसे लचर यातायत व्यवस्था और खराब रोड की वजह से भी होते हैं।

नहीं होता पालन
बता दें कि हर वर्ष यातायात माह के दौरान अधिकारी व्यवस्था को सुधारने के लिए कई स्टेप्स लेते हैं। पूर्व में एसएसपी रहे कलानिधि नैथानी, जोगेंद्र कुमार और मुनिराज ने कई व्यवस्थाओं को लागू किया था। इसमें ऑटो चालकों को सीरियल नंबर के साथ यूनिफॉर्म भी दी गई थी ताकि उन्हें दूर से ही पहचाना जा सके। इसके साथ ही चालकों को एक आईकार्ड भी जारी किया गया था। जिसमें चालक का परिचय था। सवारियों के साथ ठगी न हो इसके लिए रूट के हिसाब से किराए की लिस्ट भी जारी की गई थी, लेकिन ट्रैफिक पुलिस ने इसका पालन नहीं किया। पुलिस की लापरवाही की वजह से ऑटो और ई-रिक्शा चालक मनमानी पर उतारू रहते हैं।

अभियान का शेड्यूल पूरा तैयार कर लिया गया है। त्योहारों की व्यवस्था के चलते अभियान को रोका गया था। अब बहुत जल्द ही अभियान चलाया जाएगा।
राममोहन सिंह, एसपी ट्रैफिक