बरेली (ब्यूरो)। लोगों की लाइफ में लगातार काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैैं। ऐसा ही कुछ बदलाव लोगों के खानपान में भी है। जहां पहले लोग शाम को बाहर का खाना खाने निकलते थे। वहीं अब लोग न शाम देखते हैैं न दिन और न ही दोपहर अपना पुरा जीवन बाहर के खाने पर ही निर्भर कर दिया है।

टाइम का अभाव
साइकोलॉजिस्ट याशिका ने बताया कि आजकल लोगों की लाइफ इतनी बिजी हो गई है कि किसी के पास किसी भी चीज के लिए टाइम नहीं है। लोगों का वर्कलोड इतना बढ़ गया है कि वे किसी भी हर चीज को जल्द से जल्द ही करना चाहते हैैं। ऐसे में बाहर बनने वाला फास्ट फूड लोगों को लेस एफर्ट में और ईजिली मिल जाता है। उन्हें ज्यादा टाइम इंवेस्ट करने की जरूरत नहीं पड़ती है।

नहीं है क्वालिटी
बाहर के खाने में यह पता नहीं होता है कि वह किस तरह के सामान के इस्तेमाल से बनाया जा रहा है। उसमें उस फूड की क्वालिटी का भी पता नहीं होता है। ऐसे में यह फूड कई तरह की बीमारियों को दावत दे देता है। ब्रेकफास्ट में कई लोगों को डीप फ्राइड चीजें खाने का बहुत ही शौक होता है। ऐसे मेंं डेली इस तरह का खाना पाचन क्रिया को कमजोर कर देता है।

क्या फर्क पड़ता है यार
लोगों का एक कॉमन नेचर सा बनता जा रहा है कि क्या फर्क पड़ता है। बाहर का खाना खा लिया तो क्या ही ही हो जाएगा। यह बेफिक्रा नेचर लोगों को मुश्किल में डाल रहा है। न ही लोग प्रॉपर मिनिरल्स ले पा रहे हैं, न ही प्रॉपर प्रोटीन। रिजल्ट यह हो रहा है कि यह बेफिक्री उनकी हेल्थ के लिए हार्मफुल साबित हो रही है।

हो रहीं ये बीमारियां
बीपी
डायबिटीज
अस्थमा
फैटी लिवर
कोलेस्ट्रॉल
हार्ट डिजीज
कैंसर
वॉम्र्स
स्किन एलर्जी

वर्किंग कल्चर से बढ़ावा
पहले लोग घर का खाना खाना ज्यादा प्रीफर करते थे, क्योंकि वह उन्हें टाइमली मिल जाता था। फ्रेश होता था, टेस्ट भी बेटर होता था, लेकिन अब वर्किंग कल्चर और बाहर पढ़ाई होने की वजह से कई बार लोग घर से दूर हो जाते हैैं। न ही उनके पास खाना बनाने का टाइम होता है, न ही वे कई बार खाना बनाने के सामान को साथ लेकर जाते हैैं। ऐसे में बाहर का खाना ही उन्हें बेटर लगता है। सभी को ऑफिस जाना है फिर चाहे वह मेल हो या फीमेल घर के काम करने के साथ ही डेली खाना भी बनाना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में एक ही ऑप्शन उन्हें बेस्ट लगता है वह है बाहर का खाना। वह बहुत ही आसानी से मिल जाता है। वहीं कई बार उसके प्राइस भी कम होते हैैं। ऐसे में लोगों को वह बहुत ही अच्छा लगता है।

जिद में सेहत से खिलवाड़
फास्टफूड की लत बच्चों में काफी तेजी से बढ़ रही है। हर कोई इसकी गिरफ्त में आ रहा है। बच्चों में भी फास्टफूड को लेकर काफी जिद रहती है। वहीं कई बार पैरेंट्स इमोशन में आ कर उनकी जिद को पूरा भी कर देते हैैं। ऐसे में वे बच्चों को बीमारी की ओर बढ़ा देते हैैं।

ताकि बैलेंस रहे सिस्टम
डाइटीशियन हरविंदर पुरी ने बताया कि लोगों के ठीक से न खाने से बॉडी में कई तरह की डेफिशिएंसी हो जाती है। बॉडी को प्रॉपर विटामिन, मिनरल्स और न्यूट्रीएंट्स की जरूरत होती है। ऐसे में हमें हर तरह का फूड खाना चाहिए, जिससे बॉडी का सिस्टम पूरी तरह से बैलेंस रहे। लोगों को खाने में रेनबो डाइट को शामिल करना चाहिए फिर चाहे वो फल हो या सब्जी।

रंग रखते हैैं हेल्दी
हर कलर का अलग-अलग महत्व होता है। बॉडी को हेल्दी रखने के लिए हर रंग वाले खाने का सेवन करना चाहिए, जिससे बॉडी में किसी भी तरह के पौष्टिक आहार की कमी न हो।

रेड कलर : रेड कलर की चीजें खाने से विटामिन ए की कमी दूर होती है, जैसे टमाटर, वॉटरमेलन आदि। इससे स्किन हेल्दी रहती है।
ब्राउन, मरून कलर : इस कलर के आहार का सेवन करने से बॉडी में फाइवर की कमी नहीं होती है। यह बॉडी को क्लीन रखता है जैसे कि बीन्स, होल ग्रेन।
ब्लू, परपल : यह कलर बॉडी में एंटीऑक्सीडेंट की तरह बिहेव करते हैैं। थ्वार्ट डिजीज को प्रिवेंट करने में भी हेल्प करता है। जैसे की ब्लू बैरी, ग्रेप्स।
व्हाइट कलर : व्हाइट कलर जम्र्स को किल करने में मदद करता है। इस कलर का खाना खाने से बॉडी में एंटीऑक्सीडेंट क्रिएट होता है। जैसे कि गारलिक और क्वालीफॉर।
लाइट ग्रीन : ग्रीन कलर का सेवन करने से बॉडी में हेल्दी सेल्स पैदा होते हैैं और बॉडी में विटामिन के की कमी नहीं होती है। जैसे कबेज और बॉकली।
डार्क ग्रीन : इस कलर के खाने के सेवन करने से बॉडी में आइरन नहीं होती है। फोलेट फॉर हेल्दी ब्लड। इसमें स्पेनिश और अदर ग्रीन वेजीज शामिल हैं।
ऑरेंज : इस कलर का सेवन करने से बॉडी में विटामिन सी की कमी नहीं होती है और यह इम्यूनिटी को बूस्ट करता है। जैसे कि कैरट और पम्पकिन।


खाने को एक मेडिसिन की तरह ही यूज करें। ऐसे में घर के खाने को ज्यादा प्रीफर करें। घर के खाने को खाएं और हेल्दी खाएं। हमें अपने खाने को ऑर्गनाइज करके और हेल्दी तरह से खाना चाहिए। वेंडर के पास या रेस्ट्रां में खाना किस तरह से बन रहा यह पता नहीं होता है।
-डॉ। हरविंद्र पुरी, न्यूट्रीशनिस्ट

लोग आजकल हर चीज के लिए काफी रेस्ट्रिक्टेड हो गए हैैं। वे अपना टाइम हर तरह से यूटिलाइज करना चाहते हैैं। कहीं भी ज्यादा टाइम स्पेंड नहीं करना चाहते हैैं। ऐसे में बाहर का खाना उनके लिए कम प्राइज में ज्यादा, अच्छा और इफैक्टफुल लगता है। ऐसे में कई बार लोग यह भी नहीं समझते कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इसमें खुद को बीमार कर लेते हैैं।
प्रो। याशिका वर्मा, साइकोलॉजिस्ट