बरेली (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी में स्ट्रीट डॉग्स की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। शहर की आबादी 15 लाख से अधिक है, जबकि स्ट्रीट डॉग्स की संख्या 50 हजार पार कर चुकी है। यानि हर 10 लोगों पर एक स्ट्रीट डॉग है। इन स्ट्रीट डॉग्स में से कई ऐसे हैं, जो हिंसक हो चुके हैं और आए दिन लोगों पर हमला कर उन्हें नोच भी लेते हैं। इससे इनका हर एरिया के लोगों में खौफ साफ दिखाई देता है। नगर निगम के पास भी बधियारकण और वैक्सीनेशन के सिवा दूसरा कोई ठोस ऑप्शन नहीं है, जिससे स्ट्रीट डॉग्स के हमलों पर लगाम लगाई जा सके। कुल मिलाकर स्थिति बेहद चिंताजनक है और इस पर ठोस रणनीति बनाए जाने की जरूरत है।

ऐसे करें बचाव
पशु चिकित्सक के अनुसार डॉग बाइट करता है तो तुरंत रैबीज का इंजेक्शन लगवा लें। प्रॉपर ट्रीटमेंट लें। कई बार देखने में आता है कि अधिकतर लोग डॉग बाइट को हल्के मे ले लेते हैं और बाद में उन्हें खतरनाक परिणाम भुगतने पड़ते हैं। पेरेंट्स की भी जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को जरूर अवेयर करें। अगर उन्हें कोई डॉग बाइट करता है तो वह इसकी तुरंत जानकारी दें। जिससे उनका ट्रीटमेंट तुरंत किया जा सके।

इस वजह से हो रहे आक्रमक
पशु चिकित्सक की मानें तो इस समय डॉग्स के आक्रमक होने की वजह ब्रीडिंग टाइम का होना है। इस समय डॉग्स खासकर फीमेल डॉग्स अधिक आक्रमक हो जाती हंै। ऐसे में जरूरी है कि कोई भी बच्चा या महिला उनके बच्चों के पास न जाएं अन्यथा वहे हमला कर सकती है। इसके साथ ही कई बार डॉग्स प्रॉपर खाना न मिलने की वजह से भी आक्रमक हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि जिस एरिया में स्ट्रीट डॉग्स आक्रमक हो रहे हैं वहां के डॉग्स को प्रॉपर भोजन दिया जाए।

लाइसेंस लेना जरूरी
शहर में जो लोग पेट डॉग्स रखते हैं वह उसका लाइसेंस यानि रजिस्ट्रेशन जरूर कराएं। ताकि समय-समय पर नगर निगम उसका वैक्सीनेशन करा सके। या फिर जो पेट डॉग्स रखते हैं उनसे वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट लिया जा सके। लेकिन इन सभी प्रक्रिया से बचने के लिए लोग पेट डॉग्स तो रखते हैं लेकिन उसका रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं। हालांकि नगर निगम इसके लिए कड़ा रूख अपनाएगा। अफसरों का कहना है कि इसके लिए भी नियम बनाया जाएगा ताकि पेट डॉग रखने वाले बरेलियंस अपने पेट डॉग का रजिस्ट्रेशन कराएं।

अवैध बूचडख़ाना बड़ा कारण
बंडिया में लोगों का कहना है कि अब भी कई जगह चोरी-छिपे पशु काटे जाते हैं। इनके अवशेष खुले में फेंक दिए जाते हैं, जिन्हें खाकर कुत्ते हिंसक होते जा रहे हैं। जब उन्हें मांस नहीं मिलता तो वह बच्चों पर हमला कर देते हैं। इनके शिकार तमाम लोग जिला अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं। सीबीगंज के गांव बंडिया में इससे पहले भी कुत्ते तीन बच्चों की जान लेने के साथ ही 15 बच्चों को गंभीर रूप से घायल कर चुके हैं। सीबीगंज में छह वर्षीय मोरपाल और सात वर्षीय रोहिणी को कुत्तों ने उनके घरों के पास ही हमला करके मार डाला था।