बरेली (ब्यूरो)। सुरेश शर्मा नगर में 10 साल पहले हुए ट्रिपल मर्डर में स्पेशल कोर्ट फास्ट ट्रैक जज रवि दिवाकर ने थर्सडे की दोपहर को निर्णय सुनाया। कोर्ट ने छैमार के हसीन गैंग के आठ दोषियों को फांसी की सजा सनाते हुए चोरी का माल खरीदने वाले ज्वेलर राजू को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस के साथ ही उस पर पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। सब दोषियों पर कुल 17 लाख 80 हजार रुपए का अर्थदंड डाला गया है। कोर्ट ने जिन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई, उनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं।

22 अप्रैल 2014 की घटना
इनकम टैक्स इंस्पेक्टर रविकांत मिश्रा ने बताया कि 23 अप्रैल 2014 की सुबह वह अपने भाई योगेश और भाभी को फोन कर रहे थे, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई। महानगर में रहने वाली बहन मंजू ने भी फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद रविकांत और मंजू सुरेश शर्मा नगर में उनके घर पहुंचे। घर के बाहर अखबार पड़ा था। निर्माणाधीन मकान के रास्ते घर में घुसे शौचालय के पास उनकी मां पुष्पा का शव पड़ा था। कमरे में एक ओर योगेश व दूसरी ओर उनकी पत्नी प्रिया का शव पड़ा था। तीनों की ईंट और लोहे की रॉड से सिर कूच कर हत्या की गई थी। रविकांत की ओर से थाना बारादरी में हत्या और डकैती का मुकदमा दर्ज कराया गया था।

इंस्पेक्टर ने भी किया था हमला
ट्रिपल मर्डर केस के वादी रविकांत मिश्रा उनके भाई देवेश मिश्रा, एसआई राजाराम यादव, थाना के हेड कांस्टेबल सत्यपाल सिंह, एसआई गजेंद्र त्यागी, विवेचक अनिल सिरोही, फर्द बरामदगी के गवाह हेड कांस्टेबल मुकेश गिरि, दूसरे विवेचक आरके सिंह, एक्सपर्ट डॉ। केपी सिंह और स्वतंत्र साक्षी प्रियंका मिश्रा ने गवाही दी थी। पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में 35 सुबूत पेश किए। तहरीर, लूटे गए सामान की लिस्ट, मृतकों के पंचानामा व पोस्टमार्टम रिपोर्ट, शवों के फोटो, सीएमओ की रिपोर्ट, एफआईआर की कॉपी, पुलिस द्वारा जीडी में दर्ज की गई सूचना, लूटे सामान की बरामदगी की फर्द, घटना में प्रयोग ईंट, लोहे की रॉड व सब्बल, खून से सने कपड़े, घटना का नक्शा और चार्जशीट शामिल हैं। इस चुनौतीपूर्ण हत्याकांड का ख्ुालासा इंस्पेक्टर गजेन्द्र त्यागी ने तत्कालीन सीओ असित श्रीवास्तव के निर्देशन में टीम ने किया। रंजिश में गैंग के बदमाशों ने मेरठ में गजेंद्र त्यागी पर जानलेवा हमला भी किया था। इन दिनों गजेंद्र त्यागी रामपुर में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं।

परिजन बोले मिला न्याय
सुरेश शर्मा नगर में डकैती के दौरान हुए तिहरे हत्याकांड की सुनवाई फास्ट ट्रैक प्रथम रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में हुई। आरोप साबित करने को डीजीसी सुनीति पाठक और एडीजीसी क्राइम दिगंबर पटेल ने 10 गवाहों के अलावा आरोपितों से बरामद जेवरात, कपड़े, आला कत्ल आदि कोर्ट में पेश किए। कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनकर आरोपित शेरगढ़ के कुड़ला नगरिया निवासी वाजिद, डेरा उमरिया के हसीन, यासीन, नाजिमा, हाशिमा, जुल्काम, फईम उर्फ शंकर, संभल में थाना असमौली के बुकनाला के समीर को फांसी और शाहजहांपुर में सदर बाजार के मोहल्ला चौक निवासी सर्राफ राजू वर्मा को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। सजा के बाद परिवार वाले बोले 10 साल बाद उन्हें न्याय मिला। उनके परिवार की निर्मम हत्या करने वालों को फांसी की सजा सुनकर चैन मिला। परिजनों का कहना था कि अब उन्हें न्याय मिला है।

एक ही परिवार के पांच दोषी
स्पेशल फास्ट ट्रैक फस्र्ट के जज रवि कुमार दिवाकर ने जिन आठ दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है, उनमें पांच दोषी एक ही परिवार के हैं। इसमें दो महिलाएं शामिल हैं, जिनमें सास हाशिमा और बहू नाजिमा हैं। इनके अलावा हसीन और उनके दो बेटे यासीन और जुल्फाम हैं। सभी दोषियों ने छैमार गैंग का नाम पिता हसीन के नाम पर रखा था। गैंग में हसीन की पत्नी हाशिमा और बेटे की बहू नाजिमा भी पुरुषों की तरह ही वारदात को अंजाम देने में पूरी भूमिका निभाती थीं।

सबूत और गवाहों के आधार पर सभी आरोपितों को कोर्ट ने दोषी माना। कोर्ट ने इसमें से आठ दोषियों को फांसी और एक सर्राफ को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।
दिगम्बर पटेल, एडीजीसी क्राइम