बरेली(ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी में जगह-जगह पानी भर रहा है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर बरेलियंस तीखे कमेंट कर रहे हैं। इसमें कोई बरेली को झीलों का शहर बता रहा है तो कोई बरेली को उदयपुर बता रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट स्मार्ट सिटी की पड़ताल कर रहा है। बरेली में लगातार हो रही कई दिनों की बारिश के बाद कई एरिया में जलभराव की समस्या सामने आ रही है। एक यूजर ने इसका वीडियो सोशल साइट पर पोस्ट कर दिया। इसके बाद तो इस वीडियो पर कमेंट्स की बौछार शुरू हो गई। पढि़ए अलग-अलग एरिया का हाल और लोगों के किए गए कमेंट्स की पूरी रिपोर्ट।

फेसबुक
रजनीश: उदयपुर हो गया अपना बरेली भी, काफी स्मार्ट हो गया। अब झीलें देखने बाहर क्यों जाना अपना स्मार्ट बरेली है न।
अल्पना: यही हाल हमारी लेन का भी है, सिर्फ कहने को रामपुर गार्डन वीआईपी एरिया है।
सुमन: हाइट्स ऑफ स्मार्टनेस।
-रामाकांत:कोई सुननेवाला नहीं है।
नीरज: सडक़ तोडक़र सही करेंगे लेकिन पानी निकलने का रास्ता बनाना भूल जाएंगे।
अविनाश: बरेली वाले यहां पर स्वीमिंग करते होंगे।

ट्विटर
रिया: स्मार्ट सिटी में पानी की निकास भी नहीं कर पाए गजब हाल है शहर के जिम्मेदारों का।
सुमित: शहर की अधिकांश एरिया तो पक्की कर दी है रोड किनारे या फिर पेड़ों के आसपास की एरिया तक कच्ची नहीं छोड़ी है।
सुविधा: रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को हर पार्क में बनाया जाना चाहिए ताकि ग्राउंड वाटर रिचार्ज होने के साथ जलभराव नहीं हो।
संजीता: बारिश में हर बार यही हाल होता है।


इन एरिया में होता है जलभराव
सुभाषनगर, मढ़ीनाथ, बदायूं रोड, सिविल लाइंस, रामपुर गार्डन, पुराना शहर, राजेन्द्र नगर, किला, सिकलापुर सहित कई ऐसी एरिया हंै जहां पर बारिश के बाद जलभराव हो जाता है। इसमें कई एरिया तो ऐसे हेंै जो बारिश होने के बाद वहां पर कई घंटा तक रोड से निकलना मुश्किल हो जाता है।

अधूरे नाले बने मुसीबत
शहर के सिविल लाइंस, सरदार बलवंत सिंह मार्ग सहित कई एरिया ऐसे हैैं, जहां पर स्मार्ट सिटी के तहत नाला और पुलिया का निर्माण चल रहा है। इस कारण पानी के निकास की व्यवस्था ठीक नहीं होने से भी जलभराव की समस्या हो रही है।

रोड साइड के कच्चे एरिया कर दिए खत्म
स्मार्ट सिटी के तहत शहर में कई रोड्स बनाई गईं तो कहीं रोड साइड पर भी स्मार्ट सिटी के तहत वर्क हुआ है। खास कर मेन एरियाज में रोड साइड में टाइल्स और पत्थर तक लगाए गए हैैं। ऐसे में इन एरियाज में रोड साइड्स के कच्चे वाले हिस्से भी टाइल्स बिछाकर खत्म कर दिए गए हैैं। इससे जहां पर जलभराव नहीं होता था वहां पर भी जलभराव की समस्या पैदा हो गई है।