2004 में शुरू हुई थी योजना

वर्ष 2004 में शुरू इस योजना के तहत शासन के जीओ अनुसार पहले आवेदकों को प्लॉट आवंटित किए जाने थे। आवेदन करने वालों को बीडीए की शर्तों के अनुसार किस्तों में पैसा जमा करना था। इसके बाद उनको प्लॉट पर कब्जा दिया जाना था। आवेदकों ने सभी शर्तों को पूरा किया। वहीं, कुछ साल पहले आए एक जीओ में भवन निर्माण कर प्लॉट बेचने का प्रावधान जोड़ा गया। सोर्सेज के अनुसार नए अप्लीकेंट्स को भवन तैयार कर डिपार्टमेंट ने उन्हे प्रियॉरिटी में प्लॉट दे दिए लेकिन पुराने अप्लीकेंट्स को बीडीए भूल गया।

दोहरी नीति से अनसैटिस्फाइड

एक तरफ तो बीडीए ने इस योजना में समय पर पैसा ना जमा करने वालों से 18 परसेंट ब्याज वसूला तो दूसरी तरफ पैसा जमा करनेवालों को अभी तक जमीन पर कब्जा नहीं मिला है। बीडीए की दोहरी नीति के कारण लोगों में असंतोष बना हुआ है। लोगों का कहना है कि हर बार उनकी प्रॉब्लम को टाल देते हैं। कई लोगों ने इस योजना में आशियाना बनाने का ख्वाब संजोया था तो किसी ने अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए प्लॉट खरीदने की योजना बनाई थी। अधिकतर लोग बीडीए के इस रुख से मायूस हैं और वे जल्द से जल्द इससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं।