- नेचुरल नहीं केमिकल्स से पक रहे फल

- डिमांड को पूरा करने के लिए चल रहा खेल

- व्यक्ति को हो सकता है कई तरह के डिजिज

BAREILLY : फलों का राजा आम मार्केट में खूब ललचा रहा है, तो बरेलियंस इसका जमकर स्वाद भी ले रहे हैं। पर, ये स्वाद कहीं आपको बीमार न कर दे, क्योंकि मार्केट में जो आम बिक रहा है, वह केमिकल से पका यानि केमिकल युक्त है। ये केमिकल हेल्थ के लिए बेहद घातक है। आइए आपको बताते हैं कि कैसे आमों को पकाया जा रहा है और इससे कौन-सी बीमारी होने के खतरा है

डेली एक ट्रक आम की खपत

मार्केट में डेली करीब एक ट्रक आम की खपत है। ये आम आंध प्रदेश से आ रहे हैं। मार्केट में उपलब्ध सफेदा आम प्री मेच्योर है, जो खुद-ब-खुद नहीं पक सकते हैं। लिहाजा, इन आमों को केमिकल से पकाने का काम किया जाता है, जिसे हम स्वादिष्ट समझकर खूब स्वाद चख रहे हैं।

प्रीमेच्योर आम को केमिकल्स से कर रहे मेच्योर

कच्चे आम को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइट, एसिटिलिन, एथलीन, ग्लाइकॉल, इथेनॉल, प्रोपलीन जैसे हार्मफुल केमिकल इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इसके पीछे ज्यादा मुनाफा कमाना है। क्योंकि, मार्केट में अभी सीजनल और लोकल आम आने में अभी टाइम है। इसलिए समय से पहले आम को केमिकल के जरिए पकाकर व्यपारी मोटा मुनाफा कमानें के चक्कर में पड़े हुए है। जहां तक लोकल आम की बात है तो, यह भ् जून से मार्केट में आने शुरू होंगे।

इन बीमारियों का खतरा

डॉक्टर्स की मानें तो, कैल्शियम काबाईड पानी में साथ घुलकर आर्सेनिक फॉस्फोरस बनाता है। पानी में घुलनशील होने के कारण बॉडी में भी आसानी से घुल जाता है। जोकि, पेट में एसिटाइलीन गैस बनाता है। जिससे हेडेक के साथ ही बॉडी में स्वेलिंग हो जाती है और नींद नहीं आती है। केमिकल्स लंग्स, स्कीन, आई और लीवर को सबसे अधिक इफेक्ट करते है। कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी व्यक्ति को हो सकती है। यही नहीं डॉक्टर्स स्टोरेज फल खाने से सिरे से खारिज करते है। क्योंकि, स्टोरेज फल के ओरीजनल एसिड हाइजेनिक एसिड का रूप ले लेता है। जो हेल्थ के लिए डेंजरस है।

मेच्योर फल तो ऐसे ही पक जाते है

जहां तक मेच्योर फलों की बात है तो, वे पेड़ से तोड़कर रखने पर दो-तीन दिन में बिना केमिकल्स के ही पक जाते है। उसके लिए किसी प्रकार के केमिकल्स की जरूरत नहीं होती है। या फिर डेलापीर मंडी के पास दो, भुता एक और बदायूं में एक स्टोर गवर्नमेंट से मान्यता प्राप्त बनाए गए है। यहां पर फलों को पकाया जा सकता है.यहीं नहीं फलों को पकाने के लिए भट्टी भी एक बेस्ट ऑप्शन है। भट्टी के जरिए केला व आम पकाने के लिए एक

घर में फल रखकर साइड में थोड़ा सा कोयला दहका देते है। फिर दरवाजे को बंद कर मिट्टी का लेप कर देते है। जिससे गैस बाहर ना निकल सके। एक दिन के अंदर फल नैचुरली पक जाते है। इसके बाद इसे बाहर निकाल कर फलों पर बर्फ की सिल्ली रख देते है। उसके बाद धीरे-धीरे फल अपने ओरिजनल कलर में हो जाता है.लेकिन चंद पैसों की बचत के लिए कुछ फल विक्रेता खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल करते है।

सावधानी है जरूरी

- मौसमी फल का यूज करे।

- फल खाने से पहले उसे स्वच्छ पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए।

- दो से तीन घंटे तक आम को पानी में रखें।

कैल्शियम कार्बाइड है बैन

इंडिया में कैल्शियम काबाईड पूरी तरह से बैन है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट ख्00म् के तहत इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है।

इस समय आंध्र प्रदेश से आम आ आ रहे हैं। लोकल आम आने में अभी टाइम है। जून फ‌र्स्ट वीक में लोकल आम आना शुरू हो जाएगा।

मोहम्मद आफताब, प्रेसिडेंट, फल मंडी

केमिकल्स से पकाए गए फल व्यक्ति के लिए हार्मफुल होते है। लीवर को सबसे अधिक इफेक्ट होता है। इस लिए व्यक्ति को चाहिए की नेचुरल पके फलों का ही सेवन करना चाहिए।

डॉ। अजय मोहन अग्रवाल