(बरेली ब्यूरो)। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के बीच वहां फंसे जिले के स्टूडेंट्स भी तेजी से लौट रहे हैं। वेडनेसडे को शहर के मोहल्ला कुंवरपुर निवासी भाई-बहन भी वहां से लौट आए। उनके घर पहुंचते ही परिवार में जश्न का माहौल शुरू हो गया। बेहद ही विपरीत परिस्थितियों में सकुशल घर वापसी होने पर उनके पेरेंट्स तो खुशी से झूम उठे। यह भाई-बहन बीते दिसंबर में वहां एमबीबीएस की स्टडी करने गए थे। उन्होंने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रिर्पोटर को बताया कि वहां जितने भी इंडियन स्टूडेंट्स फंसे हैं वह भारी दहशत में हैं और किसी भी तरह वतन वापसी चाहते हैं। शहर के कुंवरपुर निवासी इकबाल अखतर केंद्रीय विद्यालय में टीचर हैं। उनका 19 वर्षीय बेटा सीमाल खान व 21 वर्षीय बेटी तस्वीहा पिछले साल एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन गए थे। रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए विवाद के बाद से ही परिजन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। उनकी यह चिंता तब दूर हुई जब वह यूक्रेन से वतन वापसी के लिए अपने देश के विमान में सवार हो गए। वेडनेसडे को बरेली पहुंचने पर उनका धूमधाम से स्वागत किया गया। इसके बाद तो पास पड़ोस व रिश्तेदारों का उनके घर पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो गया। दोनों के सकुशल घर वापसी पर सभी ने खुशी जताई और परिवार को भी मुबारकबाद दी।

परेंट्स लेते रहे पल पल की खबर
इकबाल अख्तर ने बताया कि जब तक बïच्चे घर नहीं पहुचें गए, तब तक वह वीडियो कॉल व मैसेज के जरिए उनके संपर्क में रहे और पल-पल की खबर लते रहे। कई बार नेटवर्क की भी समस्या आई जिसकी वजह से बीच बीच में थोड़ी चिंता भी हुई। आज दोनों बच्चे घर आ गए हैं तो बहुत खुशी हो रही है। हम उम्मीद करते हैं कि जल्दी ही वहां फंसे सभी भारतीय बच्चे वतन लौट आएंगे।

युद्ध से पहले सब चल रहा था ठीक
शहर पहुंचे भाई-बहन तस्वीहा और सीमाल ने बताया कि पिछले साल ही उन्होंने वहां एडमिशन लिया था। रूस के हमले से पहले तक वहां सब कुछ ठीक था। लेकिन बाद में जैसे ही रूस ने हमले तेज किए तो वहां रह रहे स्थानीय व दूसरे देश के लोगों को खाने पीने तक की दिक्कत शुरू हो गई। इसके चलते ही सभी वहां से किसी भी तरह निकलना चाह रहे हैं।

छिपने को हुए मजबूर
यूक्रेन से शहर लौटे भाई बहन ने बताया कि वहां जैसे ही खतरे का सायरन बजता था तो सभी से बंकर में जाने को कहा जाता था। बंकर में ठहरे लोगों से मोबाइल स्वीच ऑफ करने व किसी प्रकार की रोशनी न करने के लिए कहा जाता था। इस खतरे के बीच हमने भी कुछ दिन बंकर में बिताए।

यूक्रेनी आर्मी का बर्ताव ठीक नहीं
यूक्रेन में युद्ध के हालात के बीच वहां की सेना और वहां के प्रशासन की पहली प्राथमिकता अपने नागरिकों की सुरक्षा है। यूक्रेनी सैनिक विदेशी नागरिकों के साथ बुरा व्यवहार भी कर रही है। खाने और पानी के लिए भी बाहरी लोगों को घंटो इंतजार करना पड़ रहा है।


बॉर्डर पर करना पड़ा लंबा इंतजार
तस्वीहा व सीमाल ने बताया कि वह 24 फरवरी को यूक्रेन के इवानो फ्रानकिस्क शहर से रोमानिया बॉर्डर पहुंचे। यहां यूक्रेनी सिक्योरिटी फोर्सेज ने पहले ही करीब ढाई हजार लोगों को -2 से -10 डिग्र्री टेंप्रेचर के बीच खुले आसमान के नीचे रोक रखा था। ऐसे हालात में घंटों रहने से कई बच्चे बीमार भी हो गए। भारतीय समय रात करीब तीन बजे उन्हें बार्डर क्रास करने दिया गया।

रोमानिया में मिली सुविधाएं
तस्वीहा ने बताया कि 25 फरवरी को रोमानिया पहुंचने पर सबसे पहले उनका हेल्थ चैकअप हुआ। इसके बाद ही उन्हें खाना और अन्य सुविधाएं प्रोवाइड कराई गई। रोमानिया में उन्हें अच्छी तरह से ट्रीट किया गया। रोमानिया से फोन पर बात करते हुए सीमाल ने अपने पेरेंट्स को बताया कि यहां भारतीयों को रहने के लिए शेल्टर होम व अन्य सुविधाएं दी गई हैं। यहां के लोग भी अच्छे हैं।

बिना कोई खर्च पहुंचे घर
यूक्रेन से लौटे स्टूडेंट्स के पिता ने बताया कि इंडियन एंबेसी की वजह से उनके बच्चे आज सही सलामत घर आ पाए हैं। उन्होंनें बताया कि
रोमानिया से बरेली तक आने में बच्चों को अपना रुपया खर्च नहीं करना पड़ा। हमारी सरकार ने ही बच्चों को मुफ्त में घर तक पहुंचाया है। इसके लिए उन्होंने भारतीय दूतावास का धन्यवाद किया।

टाइम लाइन
26 फरवरी- रोमानिया कैंप पहुंचे
27 व 28 फरवरी - शेल्टर होम में बिताया
01 मार्च- भारतीय समय शाम
चार बजे प्लेन में सवार हुए और रात 11 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे
02 मार्च- दिल्ली से चलकर सुबह पौने सात बजे पहुंचे बरेली एयरपोर्ट

-रिपोर्ट हिमांशु अग्निहोत्री