बरेली (ब्यूरो)। माता-पिता की डांट से क्षुब्च् बच्चे हों अथवा प्रेमी के झांसे में आई किशोरियां वजह भले ही कुछ भी हो, लेकिन इस सब के चक्कर में कितने ही नाबालिग घर छोड़ अनाजानी राहों पर निकल पड़ते हैं। ऐसे में उन के साथ अनहोनी की आशंका बनी रहती है। इन में से बहुत से गलत हाथों में पड़ कर कई प्रकार के शोषण का शिकार हो जाते हैं। ऐसच् बच्चों को रेस्क्यू कर उन के अपनो से मिलाने में जनपद की रेलवे चाइल्ड लाइन ने बड़ी भूमिका निभाई है। आरपीएफ और जीआरपी के साथ मिल कर इस दिशा में अभियान चलाया गया। परिणाम यह रहा कि एक वर्ष में 103 नाबालिगों को बरेली जंक्शन पर रेस्क्यू कर उन के परिजन से मिलाया गया। इनमें 40 किशोरियां भी शामिल हैं।

भटकने के कारण
उत्तर रेलवे के मुरादाबाद रेल मंडल के अंतर्गत आने वाले बरेली जंक्शन पर किशोरियों के जितने मामले सामने आए, उनमें अधिकांश किशोरियों के घर छोडऩे के तीन रीजन्स थे। पहला कारण मां-बाप के डांटने से नाराज होना था, दूसरी वजह किसी के बहकावे में आ कर प्रेम प्रसंग एवं शादी करने का चक्कर और तीसरी वजह कम उम्र में नौकरी करके खुद मनमानी करने की थी। इसमें दो मामले तो ऐसे सामने आए थे, जिनमें किशोरियों की उम्र को बढ़ा कर दर्शाया गया था, जिससे कि उनकी शादी हो सके और वे काम भी कर सकें। यात्रियों से मिलने वाली सूचनाओं और कंट्रोल रूम से मिली सूचनाओं के साथ ही जीआरपी और आरपीएफ ने कई मामलों में जंक्शन और ट्रेनों में संदिग्ध नजर आने पच् बच्चों और किशोरों के मिलने की सूचना चाइल्डलाइन को दी, जिससे उन का रेस्क्यू करने में आसानी हुई। रेस्क्यू करने के बाद अधिकांश मामलों मच्ं बच्चों के माता-पिता के साथ उन्हें भेज दिया गया, जबकि कुच् बच्चों को अनाथालय में भी रखना पड़ा।

यह रहती है प्रॉसेस
रेलवे चाइल्डलाइन की कोऑर्डिनेटर खुशबू जहां बताती हैं कि पहले इस के लिए 1098 नंबर सूचना देनी होती थी। अब यह नंबर 112 में मर्ज हो गया है। लोगों को इस विषय में लगातार प्रचार-प्रसार के माध्यम से सूचना दी जाती है कि यदि उन्हें कोई बच्चा भटकता हुआ दिखाई देता है तो तत्काल इस नंबर पर सूचित करें। प्लेटफॉम्र्स पर पब्लिक के बीच पंफलेंट्स भी वितरित करवाए जाते हैं। इससे अवेयर होकर आम जन को यदि ऐसा कच्च्ई बच्चा दिखाई देता है तो वे सूचना दे देते हैं। इस के अलावा वेंडर्स को भी प्लेटफॉर्म पर ऐसा कच्ेई बच्चा दिखाई देता है तो वे सूचना दे देते हैं। इस के बाद टीम तत्काल वहां पहच्ुंच बच्चे से जानकारी ले कर उसे रेस्क्यू कर उसके परिजनों को सूचित करती है।

रेस्क्यू की गई किशोरियां
माह किशोरियां
अप्रैल 02
मई 02
जून 07
जुलाई 03
अगस्त 02
सितंबर 02
अक्टूबर 04
नवंबर 01
दिसंबर 03
जनवरी 00
फरवरी 04
मार्च 10
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कुल 40
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ट्रेनों में भटक कर और नाराज होच्र घर छोडऩे वाले बच्चे एवं किशोर अक्सर आ जाते हैं। कई बारच्तो रात में जंक्शन पर बच्चे और किशोरियां मिलती हैं तो रात में ही उनका रेस्क्यू किया जाता है। इस में हमारी टीम के साथ ही बाल कल्याण समिति और जीआरपी एवं आरपीएफ का बड़ा सहयोग रहता है।
खुशबू जहां, कोऑर्डिनेटर रेलवे चाइल्डलाइन