बरेली(ब्यूरो)। कभी तालाब पर ही लोगों का जीवन निर्भर हुआ करता था, लेकिन अब स्थितियां विपरित होती जा रही है। आधुनिकता के कारण आज भी तालाब को जीवित रखना चुनौती साबित हो रहा है। शहर के डेलापीर तालाब को नगर निगम द्वारा फिर से नया रंग-रूप देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इन खोखले दावों की पोल कई महीनों से बंद काम खोल रहा है। पेश है सच्चाई दिखाती दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की स्पेशल रिपोर्ट।

बनेगा पिकनिक स्पॉट
नगर निगम की ओर से तालाब का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में डेवलप किया जाएगा। करोड़ों रुपए का बजट भी खर्च किया जा रहा है। इसके लिए तालाब गहरा किया गया है। किनारों से अतिक्रमण भी हटाया गया, लेकिन छह माह से काम अधूरा होने से फिर से इसकी कंडीशन खराब होती जा रही है। जिम्मेदारों का दावा है कि इसे अक्षर विहार तालाब की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदारों की कार्यशैली कुछ और ही हकीकत बयां कर रही है।

फिर हो रहा बदहाल
तालाब के जीर्णोद्धार का कार्य जब से रुका हुआ है तब से इसमें फिर गंदगी पनपने लगी है। अब आलम यह है कि तालाब को जलकुंभी और घास ने पूरी तरह कवर कर लिया है। वहीं इसकी साफ-सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं अधिकारी सेकंड फेज का टेंडर जल्द करने की बात कह रहे हैैं।

जिम्मेदार बने उदासीन
तालाब के जीर्णोद्धार के लिए नगर निगम की ओर से तमाम दावे किए गए थे, लेकिन धरातल पर कुछ और ही नजर आ रहा है। तालाब अपनी बदहाली की गाथा बता रहा है। निगम की ओर से इसको फिर से नया रंग-रूप देने के उद्देश्य से साफ-सफाई करवाई गई थी। कमिश्नर से लेकर तमाम अधिकारियों ने कई बार इस लोकेशन का जायजा लिया था, साथ ही व्यवस्थाओं को फिर से दुरुस्त करने के भी निर्देश दिए थे।

दो फेज में हो रहा काम
तालाब का जीर्णोद्धार दो फेज में किया जा रहा है। इसके पहले फेज का काम कर रहे ठेकेदार राजीव बताते हैैं कि उनके द्वारा तालाब की साफ-सफाई की गई है। वॉल का निर्माण कराया गया है। तालाब को खोदकर गहराई बढ़ाई गई है। साथ ही फुटपाथ का निर्माण भी किया गया है। पेंमेंट और अन्य कारणों से काम रुका हुआ है। वहीं सेकंड फेज में तालाब के किनारे फव्वारा लगाया जाएगा। साथ ही यहां आने वाले लोगों के लिए कैंटीन की व्यवस्था की जाएगी। इस पॉन्ड को पिकनिक स्पॉट के रूप में डेवलप करने के लिए अन्य चीजों को भी शामिल किया जाएगा।

डाला जा रहा कचरा
स्थानीय पार्षद शशि सक्सेना का कहना है कि तालाब में फिर से कचरा डाला जा रहा है। इसको लेकर लोगों को अवेयर होने की जरूरत है। उन्हें कई बार समझाया गया है, फिर भी गंदगी की जा रही है। नगर निगम की ओर से भी इसके काम को अधूरा छोड़ दिया गया है। तालाब के जीर्णोद्धार के लिए पहले फेज में करीब दो ढाई करोड़ का बजट आवंटित किया गया था।

भूगर्भ जल के लिए जरूरी
एक्सपट्र्स बताते हैैं कि तालाबों से सभी को फायदा है। इसके इर्द-गिर्द पक्षी चहचहाते हैैं, तालाबों से पेड़-पौधों को भी जीवन मिलता है। इससे पर्यावरण हरा-भरा और सुंदर बनता है। गांव में कई तालाब होते थे। एक तालाब में बारिश का पानी पीने के लिए हुआ करता था। वहीं दूसरे में नहाने और कपड़े धोने के लिए होता था। लगातार कम होते भूगर्भ जलस्तर के लिए तालाबों को जीवित रखना बहुत जरूरी है। इस क्रम में विभिन्न योजनाओं के माध्यमों से तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।