बरेली (ब्यूरो)। कोलकाता के फूलों से दिल्ली और मेरठ के कारीगरों ने शहर के मंदिरों को सजाया है। कान्हा की पोशाक भी मथुरा के कारीगरों ने खास तरह से डिजायन की है। वहीं राधा रानी को भी विशेष पोशाक और अमेरिकन ज्वैलरी से सजाया जाएगा। मंदिर में देर रात कन्हा का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए तैयारियां भी कंप्लीट कर ली गई है।

श्रीहरि मंदिर
मंदिरों में एक सप्ताह पहले ही सजावट होने लगी थी। श्री हरि मंदिर में सजावट का काम पूरा हो गया। कारीगर वेडनसडे शाम तक तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे रहे। मंदिर को आने वाले रोड्स पर भी बेहतर लाइटिंग की गई है। मंदिर कमेटी के लोगों का कहना है कि मंदिर कोलकता से नेचुरल फूलों को मंगाया गया है, जो थर्सडे सुबह तक पहुंचेंगे। उसी से श्रीकृष्ण का फूल बंगला और सजावट होगी। कमेटी के संजय आंनद ने बताया कि मथुरा के इस्कॉन मंदिर से पोशाक डिजायन कराई गई है। पोशाक हैंडवर्क की है। ज्वैलरी अमेरिकन डायमंड ज्वैलरी भी खास तरह की मंगाई गई है, जो भगवान को पहनाई जाएगी। राधा जी के श्रंगार के लिए पोंचू डिजायन ज्वैलरी मंगाई गई है। मंदिर पर कार्यक्रम शाम सात बजे शुरू होगा। 12 बजे के बाद भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण होगा।

बांके बिहारी मंदिर
श्री बांके बिहारी मंदिर में भी तैयारी वेडनसडे शाम तक चलती रही। दिल्ली और मेरठ से आए कारोगरों ने कोलकता और दिल्ली के फूलों से मंदिर कैपंस को सजाने में जुटे रहे। मंदिर कमेटी के अनुसार थर्सडे को नेचुरल फूलों से मंदिर में भगवान के मंदिर से सजाया जाएगा। मंदिर कैंपस के साथ रोड को भी बेहतरीन लाइट से सजाया गया है। मंदिर में कन्हैया की पोशाक मथुरा से मंगाई गई है। ज्वैलरी भी मथुरा से ही मंगाई है। मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों की मानें तो कार्यक्रम शाम सात बजे से शुरू होगा। देर रात कार्यक्रम के बाद प्रसाद आदि का वितरण होगा।

निकाली गई शोभा यात्रा
बांके बिहारी मंदिर में वेडनसडे को विशाल शोभायात्रा सायं पांच बजे निकाली गई। डीडीपुरम से होते हुए बांके बिहारी मंदिर में समाप्त हुई। यात्रा में भक्तों ने संकीर्तन किए। यात्रा के दौरान धूमधाम से शांतिपूर्वक निकाली गई।

सजेगा फूल बंगला
हरि मंदिर में फूल बंगला बनाया जा रहा है। इसमें बांके बिहारी बिराजेंगे। ये फूल बंगले कला, संस्कृति, भक्ति और पर्यावरण के समन्वय से अद्धभुत होगा। मंदिर के लिए कोलकाता और दिल्ली वृंदावन से से समान और कारीगर आए है।

भोग के लिए विशेष तौर पर बनवाते प्रसाद
शहर में जन्माष्टमी महोत्सव हर्षोल्लास से मनाया जाता है, जिसकी तैयारियां मंदिरों में कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। रंग रोगन के साथ ही सजावट पर विशेष ध्यान दिया जाता है, तो महोत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण भक्तों में बंटने वाला प्रभु का भोग होता है, जिसके निर्माण पर मंदिर कमेटियां विशेष ध्यान देती है। इसके निर्माण से लेकर पैङ्क्षकग तक में भोग की पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

शुद्धता का ध्यान
माडल टाउन स्थित श्री हरि मंदिर के सचिव रवि छाबड़ा बताते हैं कि जन्माष्टमी के अवसर पर भक्तों को कतली, चूरमा और चरणामृत का प्रसाद बांटा जाता है, जिसमें चूरमा का प्रसाद विशेष तौर जन्माष्टमी के लिए ही तैयार किया जाता है। वह बताते हैं कि जन्माष्टमी के दिन हजारों भक्तों में इसका वितरण किया जाता है, इसलिए इसका निर्माण मंदिर में ही तीन से चार दिन पहले शुरू कराया जाता है। वह बताते हैं कि हर वर्ष इसका जिम्मा स्थानीय कारीगरों को ही दिया जाता है, लेकिन भोग तैयार करने में शुद्धता का पूरा ध्यान दिया जाता है। पूरा प्रसाद कमेटी के पदाधिकारी अपने निर्देशन में तैयार कराते हैं।

ऐसे बनता है चूरमा का भोग
चूरमा में धनिया, कुट्टू, ङ्क्षसघाड़ा, नारियल और ड्राई फ्रूट डाले जाते है। इसको देशी घी में बनाया जाता है। यह भोग भी मंदिर में ही तैयार कराया जाता है। इसके बाद इसको छोटी-छोटी डिब्बियों में पैक किया जाता है, जिसको मंदिर कमेटी के पदाधिकारी, सदस्य और महिला मंडल की सदस्य ही पैक करते हैं। जन्माष्टमी के दिन जन्म के बाद प्रभु का चरणामृत से अभिषेक करते हैं, इसलिए इसको सिर्फ कमेटी के पदाधिकारी स्वयं ही तैयार करते हैं। यह भी जन्माष्टमी के दिन विशेष तौर पर बनाया जाता है। प्रभु का अभिषेक कराने के बाद इसका वितरण भक्तों में किया जाता है।

हमारे यहां मंदिर में एक सप्ताह पहले तैयारियां शुरू कर दी हैं। मंदिर की सजावट के लिए कोलकाता से फूलों को मंगाया गया है। दिल्ली और वृंदावन के कारीगर बुलाए है। वो लोग डेली डेकोरेशन कर रहे है। मंदिर की पूरी तैयारी पूरी हो चुकी है।
संजय आनंद, हरि मंदिर

मंदिर के लिए कोलकाता से फूलों को मंगाया गया है और दिल्ली से बांके बिहारी के लिए पोशाक मंगाई है। राधा रानी और गोपाल के लिए गहंने भी आ चुके है। मंदिर की साफ सफाई से लेकर सजावट लगभग पूरी हो चुंकि है। कारीगर फूलों की माला बनाकर तैयार कर रहे है।
राकेश कपूर, श्री बांके बिहारी