तो महज ड्रामा था इस्तीफा

9 जनवरी को पार्षदों के इस्तीफे की यह पेशकश लीगली और लॉजिकली महज एक ड्रामा थी, जिसे विरोध और नाराजगी के तौर पर जिलाध्यक्ष को सौंपा गया था। खुद सपा पार्षद नेताओं ने अपने रुख से यह साफ किया कि जिलाध्यक्ष को सौंपे गए इस्तीफे की कोई लीगल इंपॉर्टेंस न थी। पार्षदों का इस्तीफा मंजूर किए जाने का अधिकार मेयर को ही है। पार्षद नेताओं ने यह भी कहा कि जिलाध्यक्ष को सौंपे गए इस्तीफे में मेयर की कोई भूमिका ना थी। इस्तीफे का नोट सीधे जिलाध्यक्ष को दिया गया था, न कि मेयर के जरिए। वहीं मेयर के इस्तीफे की पेशकश अलग से की गई थी। वहीं नगर आयुक्त के खिलाफ डिŽबाबंद हुई अध्याचित बैठक का मामला फिर उठेगा। सपा पार्षदों ने कमिश्नर, मेयर व नगर आयुक्त को इस बैठक के लिए जल्द दी स्पीड पोस्ट से नोटिस भेजने की तैयारी कर ली है।

सपा पार्षदों में दरार चौड़ी

नगर आयुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार की जंग का नारा लगा रहे सपा पार्षदों में गुटबाजी अब साफ दिखने लगी है। सपा पार्षद आरवी सिंह प्रजापति ने लिखित में सपा पार्षद नेता राजेश अग्रवाल पर अध्याचित बैठक पर धोखे से सपोर्ट लेने के आरोप लगाए हैं। पार्षद का कहना है कि 10 जनवरी को सपा जिला ऑफिस में सपा पार्षदों की एक इमरजेंट बैठक बुलाई गई। जिसमें बैठक में शामिल होने वाले पार्षदों के साइन कराए गए। बाद में इनका इस्तेमाल अध्याचित बैठक बुलाए जाने में किया गया। जो गलत है। पार्षद का आरोप है कि इस बैठक के बारे में न तो पार्षदों को बतया गया थ और न ही किसी एजेंडे की जानकारी दी गई।

मेयर व पार्षदों पर उठी उंगलियां

करप्शन के मुद्दे पर मेयर संग भले ही सपा पार्षदों की पलटन खड़ी दिखाई दे रही हो, पर हकीकत इससे परे है। सपा पार्षदों में से ही कई करप्शन व नगर आयुक्त हटाओ की मुहिम में मेयर व सपा पार्षद नेता के खिलाफ हो गए हैं। सपा पार्षद आरबी सिंह प्रजापति ने मेयर सहित कुछ सपा पार्षदों पर नगर आयुक्त व निगम एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ बेबुनियाद बयानबाजी का भी आरोप लगाया। साथ ही पार्षद नेता राजेश अग्रवाल पर अपने निजी फायदों के लिए नगर आयुक्त के खिलाफ बयानबाजी न करने की भी लिखित

चेतावनी दी है।

नगर आयुक्त करेंगे पलटवार

10 जनवरी से शहर से बाहर छुट्टियों पर गए नगर आयुक्त मंडे को सिटी में वापस आ रहे हैं। नगर आयुक्त का दोपहर बाद तक शहर में आना तय है जिसके बाद उनके निगम में भी आने की उम्मीद है। नगर आयुक्त के वापस आने पर उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की जंग में पलटवार की भी पूरी उम्मीद है। सोर्सेज के मुताबिक नगर आयुक्त अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों के खिलाफ जबरदस्त जवाब देने करी तैयारी में हैं। नगर आयुक्त के वापस आने पर अध्याचित बैठक कराने की दोबारा कोशिशों के एक बार फिर नाकाम होने की भी आशंका है।

तो कोर्ट की शरण लेंगे सपा पार्षद

नगर आयुक्त को हटाने के मामले में सपा पार्षद और मेयर की अब तक की जंग खासी नाकाम रही है। पार्टी से लेकर शासन स्तर तक मेयर व सपा पार्षदों को सिवाए आश्वासन के अब तक कुछ न मिला। स्टेट में सपा सरकार और पूरे सूबे में इकलौते सपा मेयर व निगम में सपा पार्षदों के बहुमत में होने के बावजूद नगर आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई में देरी से काफी किरकिरी भी हो रही है। सोर्सेज के मुताबिक सपा पार्षद दल नगर आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई न होने की कंडीशन में तीन ऑप्शंस को फॉलों कर सकता है। जिसमें सरकार के खिलाफ धरना से लेकर मेयर को अपना इस्तीफा देना और फाइनली कोर्ट की शरण में जाना भी शामिल है।

'पार्षदों ने जो इस्तीफा दिया था, वह कंडीशनल था। नगर आयुक्त से नाराजगी में यह इस्तीफा दिया गया था। अध्याचित बैठक के एजेंडे पर आरोप लगाने वाले पार्षद अब तक कहां थे। बैठक के लिए जल्द ही कमिश्नर, मेयर व नगर आयुक्त को नोटिस भेजी जाएगी.'

- राजेश अग्रवाल, सपा पार्षद नेता