बरेली(ब्यूरो)। उप कृषि निदेशक, कृषि रक्षा विश्वनाथ ने बताया कि प्रदेश की जलवायु फॉल आर्मी वॉर्म के लिए अनुकूल है। यह एक बहुभोजीय (पॉलीफेगस) कीट है, जिसके कारण अन्य फसलों जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूँ तथा गन्ना आदि फसलों को भी हानि पहुंच सकती है। कुछ उपाय अपनाकर फसल को बचाया जा सकता है।

निचली सतह पर देती है अंंडे
विश्वनाथ ने बताया कि इस कीट की पहचान एवं प्रबंध की सही जानकारी किसानों को होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों की निचली सतह पर अंडे देती हैं, कभी कभी पत्तियों की ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अंडे देती हैं। इसकी मादा एक से ज्यादा पर्त में अंडे देकर सफेद झाग से ढक देती हैं। अंडे क्रीमिस से हरे व भूरे रंग के होते है।

अंतर समझेंंं
सबसे पहले फॉल आर्मी वॉर्म व सामान्य सैनिक कीट में अंतर समझना जरूरी है। उन्होंने कहा फॉल आर्मी वॉर्म
का लार्वा भूरा, धूसर रंग का होता है, जिसके शरीर के साथ अलग से ट्यूबरकल दिखता है। इस कीट के लार्वा अवस्था में पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारियाँ और सिर पर एक अलग सफेद उल्टा अंग्रेज़ी शब्द का वाई दिखता है। साथ ही शरीर के दूसरे अंतिम खण्ड पर वर्गाकार चार बिंदु दिखाई देते हैं। अन्य खंड पर चार छोटे-छोटे बिन्दु संबलम आकार में व्यवस्थित होते हैं। यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाता है। लेकिन, मक्का इस कीट की रूचिकर फसल है तथा यह कीट मक्का के पत्तों के साथ- साथ बाली को विशेष रूप से प्रभावित करता है। कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधे के डंठल आदि के अंदर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करता है। इस कीट के प्रकोप की पहचान फसल की बढ़वार की अवस्था में जैसे पत्तियों के छिद्र एवं कीट के मल-मूत्र एवं बाहरी किनारों की पत्तियों पर मल-मूत्र से पहचाना जा सकता है।

ऐसे करें कंट्रोल
उप कृषि निदेशक, कृषि रक्षा ने कहा कि फसल की गहन निगरानी एवं सर्वेक्षण करें। अंड परजीवी दो से पांच ट्राइकोग्रामा कार्ड का प्रयोग एग लेइंग की अवस्था में करने से इनकी संख्या की बढ़ोत्तरी में रोकी जा सकती है। ट्रैप फसल जैसे नैपियर की तीन-चार लाइन मक्केे की फसल के चारों ओर बुवााई करने से इसका प्रभावी नियंत्रण होता है। ट्रैप फसलों पर इसका प्रकोप दिखाई देने पर पांच प्रतिशत एनएसकेई (नीम सीड़ करनल एक्सट्रेक्स) अथवा एजाडिरेक्टिन 1500 पीपीएम (नीम ऑयल) का छिडक़ाव करना चाहिए। एनपीवी 250 एलई, मेटाराइजियम एनिप्सोली, नोमेरिया रिलाई, ब्यूबेरिया बैसियाना एवं वेनीसिलिटेम लेकानी आदि जैविक कीटनाशकों का प्रारम्भिक अवस्था में ही समय से प्रयोग अत्यन्त प्रभावशाली है।