रिसोर्सेज की कमी

समय के साथ फायर डिपार्टमेंट, सिविल एडमिनिस्ट्रिेशन और पुलिस के रोल में बदलाव आ रहा है। पहले सिटी में क्रिमिनल्स की फायरिंग, बम फटने या आग लगने के दौरान क्रिएट होनी वाली सिचुएशन के तहत ही मॉक ड्रिल किया जाता है। लंबे समय से इन घटनाओं को ध्यान में रख कर ही पब्लिक को अवेयर किया जा रहा है। साधनों की कमी से भी मॉक ड्रिल नहीं हो पाती है। लेकिन पहली बार बरेली में इस तरह के अटैक से निपटने की तैयारी की जा रही है। इस पूरी कवायद के पीछे मेन मकसद यह है कि फ्यूचर में किसी भी तरह के हमले के दौरान पब्लिक अवेयर रहे।

हमेशा रहें तैयार

नैरोबी की घटना के बाद यूपी डिफेंस हेडक्वार्टर से पुलिस को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत एसपीओ गठित करने, विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों से तालमेल करने, इसके अलावा सिक्योरिटी के तमाम और इंतजाम करने के आदेश दिए गए हैं। यही नहीं फायर डिपार्टमेंट को भी इस संबंध में पूरी तैयारी करने का आदेश दिया गया है।

खुद की क्षमता को भी जाएगा आंका

फायर डिपार्टमेंट के अनुसार इस तरह की तैयारियों का मेन मोटिव किसी भी प्रकार के टेररिस्ट अटैक से निपटने के लिए तैयार रहना है। अब ग्लोबल टेरिस्ट अटैक बंदूक या बम से नहीं बल्कि कई अन्य तरीकों से भी हो सकता है। टेररिस्ट अब केमिकल, बॉयोलॉजिकल और न्यूक्लियर अटैक से बचने के भी प्रयास किए जाएंगे।

काबा निपटेगा केमिकल अटैक से

केमिकल अटैक में किसी भी केमिकल को माल या भीड़-भाड़ वाले एरिया में छोड़कर पब्लिक को नुकसान पहुंचाया जा सकता है। इस तरह के निपटने के लिए काबा यानी कंप्रेस एयर ब्रीदिंग ऑपरेटर की जरूरत पड़ेगी। यही नहीं केमिकल सूट, आक्सीजन सिलेंडर की भी जरूरत पड़ेगी। अगर फ्यूल जम जाएगा तो उससे भी निपटा जाएगा। इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में केमिकल अटैक से बचाने के क्या उपाय हैं। इसके अलावा इस तरह की सिचुएशन में कितना एरिया कवर विंड डायरेक्शन में कवर किया जाना है, इसकी ट्रेनिंग ली जाएगी। यही नहीं फंसे लोगों को शेल्टर और निकाले की भी ट्रेनिंग दी जाएगी।

फुल बॉडी प्रोटेक्टर की जरूरत

बायोलोजिकल अटैक भी केमिकल अटैक की तरह ही होता है। ऐसे अटैक के दौरान किसी ने कोई वायरस छोड़ दिया तो टीम के पास फुल बॉडी प्रोटेक्टर होने चाहिए। इसके अलावा न्यूक्लियर अटैक के दौरान की सिचुएशन की भी जानकारी दी जाएगी। इस तरह के हमलों के दौरान यूज होने वाले मैटेरियल्स को डिस्पोज करने की भी जानकारी दी जाएगी। न्यूक्लियर अटैक के दौरान अल्फा, गामा व बीटा रेज का यूज किया जाता है। इस दौरान पब्लिक को कहां छिपाया जाए और घर को कैसे प्रोटेक्ट किया जाए। इस बारे में पब्लिक को अवेयर किया जाएगा।

'ग्लोबल टेरेरिस्ट अटैक को देखते हुए हुए तैयारियां जरूरी हैं। केन्या की कैपिटल नैरोबी में जिस तरह का टैक किया गया, उसको देखते हुए प्रिपरेशन की जा रही है। सेना की हेल्प भी ली जा रही है। फ्यूचर में मॉल्स व भीड़-भाड़ वाले एरिया में मॉक ड्रिल की जाएगी। '

-विवेक शर्मा, चीफ फायर आफिसर