- गिरोह के पकड़े जाने की जानकारी पर साथियों संग थाने पहुंचा व्यापारी

- एक नवंबर वर्ष 2020 को वारदात को दिया था अंजाम

बरेली : एटीएस का डर दिखाकर शास्त्रीनगर के सर्राफ से 40 लाख रुपये ठगने वाले गिरोह ने डीडीपुरम के रहने वाले व्यापारी से भी 18 लाख रुपये ठगे। शनिवार को गिरोह के पकड़े जाने की जानकारी जब व्यापारी को हुई तो वह साथियों संग प्रेमनगर थाने पहुंचा। व्यापारी से आरोपितों का आमना-सामना कराया गया तो पहचान की हुई यह वहीं ठग हैं। जालसाजों ने व्यापारी से भी ठगी की बात स्वीकार की। गिरोह में मेरठ के सोनू, बरेली गौटिया के शाबिर और सुभाषनगर के बंटू तीन नए नाम भी सामने आए हैं। वहीं पूछताछ में सामने आया कि ठगों ने बहेड़ी, मेरठ व मुरादाबाद के सर्राफ को ठगा, लेकिन उनके नाम अभी तक नहीं कबूले हैं। माल बरामदगी के चलते ही चंद्रपाल व मो। इकबाल को छोड़कर अन्य पांच आरोपित र¨वद्र सिंह, अहिबाब उर्फ मुन्ना, इरशाद उर्फ अट्टे, शरीफ व मुख्य आरक्षी बृजेश सिंह को शनिवार को जेल भेज दिया गया।

दो बार दिया खरा सोना

वीर सावरकर नगर के रहने वाले व्यापारी विवेक अग्रवाल की सेलेक्शन प्वांइट तिराहे पर गजक भंडार व लस्सी की दुकान है। सेंथल नवाबगंज के रहने वाले संजीव गुप्ता उनके मित्र हैं। संजीव गुप्ता की होटल पंचम में एक कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड के गांव दोपरिहिया निवासी आरोपित र¨वद्र सिंह से हुई। मुलाकात के बाद दोनों में बातचीत शुरू हुई। इसी के बाद र¨वद्र सिंह ने संजीव गुप्ता को सोने का काम करने की जानकारी दी। कम पैसे में सोने के सौदे के साथ प्रत्येक सौदे पर दस प्रतिशत कमीशन अलग से दिलाने का झांसा दिया गया। संजीव ने यह बात विवेक को बताई। इसके बाद र¨वद्र ने बहेड़ी के एक ढाबे में गिरोह का सरगना पल्लवपुरम कंकरखेड़ा मेरठ निवासी चंद्रपाल वर्मा से मिलवाया। सोने का सैंपल दिखाया गया। इसके बाद पांच-पांच लाख रुपये की विवेक ने दो डील की। दोनों बार में पांच-पांच लाख रुपये के बदले उसे सौ ग्राम सोने के बिस्किट मिले। जिसे उसने बाजार में बेचा और मुनाफा कमाया।

पलिया में लेन-देन फिर दबिश

मुनाफे का सौदा देख व्यापारी ठगों के झांसे में आ गया। तीसरी बार में ठगों से व्यापारी ने 18 लाख रुपये में चार सौ ग्राम सोने का सौदा किया। बस यहीं से खेल गया हो गया। सौदा तय होने के बाद चंद्रपाल और र¨वद्र ने विवेक को पलिया लखीमपुर स्थित एक पेट्रोल पंप पर एक नवंबर को बुलाया। विवेक अपनी ब्रिजा गाड़ी से दो साथियों संजीव गुप्ता व सुबोध अग्रवाल निवासी चाहबाई के साथ पलिया पहुंचा। वहां चंद्रपाल और र¨वद्र ने विवेक को सोना दिखाया। सोने के बदले विवेक ने ठग को 18 लाख रुपये दे दिये। सौदे के बाद सभी बरेली के लिए निकले। विवेक और संजीव गुप्ता चंद्रपाल की गाड़ी में थे जबकि तीसरा साथी सुबोध अग्रवाल ब्रिजा लेकर पीछे-पीछे चल रहा था। चंद्रपाल के साथ एक गाड़ी और थी जिसमें शाबिर व बंटू निवासी सुभाषनगर व सोनू दूसरी गाड़ी से चल रहे थे। कुछ दूर आगे चलकर चंद्रपाल ने एक ढाबे पर गाड़ी रोकी। इसी के बाद फर्जी एटीएस बन आरोपितों ने दबिश दी और सोनू को उठा ले गया। इस पर चंद्रपाल व र¨वद्र विवेक, संजीव व सुबोध को एटीएस की छापेमारी का डर दिखा भाग गए।

नेपाल वाया उत्तराखंड व यूपी में ठगी

शास्त्रीनगर के सर्राफ सुभाष चंद्र गंगवार से 40 लाख रुपये हड़पने वाले ठगों की यह पहली वारदात नहीं थी। ठगी के गिरोह का सरगना चंद्रपाल बीते तीन साल से नेपाल वाया उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश में सस्ते सोने के नाम पर सर्राफ व व्यापारियों को ठग रहा था। इसी के तहत उसने गिरोह में उत्तराखंड, मेरठ, अमरोहा, लखीमपुर खीरी व शाहजहांपुर के ठग शामिल किये।

नहीं मिली ठगी की रकम

जांच में अब तक सामने आया है कि चंद्रपाल वर्मा मेरठ के पल्लवनगर थाने का हिस्ट्रीशीटर है। उस पर ठगी के 20 मुकदमे दर्ज हैं। कई मामलों में वह जेल भी जा चुका है। शनिवार को मो। इकबाल व चंद्रपाल को पुलिस उनके ठिकाने पर लेकर पहुंची लेकिन, कुछ बरामद नहीं हो सका। ठगी की रकम भी बरामद नहीं हुई।

गाड़ी में लगा है पुलिस का लोगो

ठगी के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली दोनों गाडि़यां भी एसओजी टीम ने बरामद की हैं। डिजायर कार आरोपित शरीफ के नाम है जबकि सफारी से सरगना चंद्रपाल वर्मा चलता था। सफारी गाड़ी मेरठ के रहने वाले कोमल कुमार जैन के नाम है जिसे चंद्रपाल अपनी बता रहा है। इधर, डिजायर कार में शरीफ ने पुलिस का लोगो लगा रखा था।

एसओजी की जांच के बाद तस्वीर और साफ होगी। तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। आरोपितों के नए नामों की छानबीन शुरू की गई है।

- रोहित सिंह सजवाण, एसएसपी

ठगी का शिकार तो बन गया ठगों का सरगना

ठगों का सरगना चंद्रपाल वर्मा ने बताया कि वह पहले ठेकेदारी करता था। भवन निर्माण का वह पूरा ठेका लेता था। करीब पांच साल पहले एक ठग ने कम पैसे में सोना दिला अधिक मुनाफा दिलाने की बात कही। इस बात पर चंद्रपाल ने भरोसा किया। मुनाफे के चक्कर में उसने ठग को लाखों रुपये दिये लेकिन, उसे न सोना मिला और न ही रकम। इसी के बाद चंद्रपाल वर्मा ठगी के काम में उतर आया। तीन वर्ष में देखते ही देखते नेपाल से लेकर उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश तक ठगों की टीम खड़ी कर दी और सर्राफ व व्यापारी को ठगने लगा।

मिलावटी सोना पर डाल दिया पर्दा

शास्त्रीनगर के सर्राफ से ठगी के मामले में एसओजी ने कार्रवाई की। आरोपितों को गिरफ्तार किया तो ठगी के शिकार अन्य व्यापारी व सर्राफ के नाम सामने आए। एक व्यापारी ने बकायदा तीन साथियों संग पहुंच थाने में शिकायत दर्ज कराई। लिहाजा, साफ है कि यदि किला पुलिस मिलावटी सोना प्रकरण पर पर्दा न डालती तो ठगी का शिकार अन्य सर्राफ व व्यापारी भी सामने आते। बरहाल, मिलावटी सोना प्रकरण में समझौता की कार्रवाई में किला पुलिस संदेह के घेरे में हैं। एसओजी की जांच में चौंकाने वाला राज सामने आ सकता है। एसएसपी रोहित सिंह सजवाण सीधे इस प्रकरण की मानीट¨रग कर रहे हैं।