-आम दिनों में पर डे होती थी फूलों की अच्छी बिक्री अब कोई नहीं डिमांड

-बाहर से नहीं मंगवा रहे फूल, लोकल में फूल उत्पादक किसान परेशान

90 परसेंट कम हुआ रेट

फूल पहले अब

गेंदा 60 प्रति किलो 5

गुलाब 80 प्रति किलो 10

वेला 50प्रति माला 5

बरेली: अरे साहब फूल चाहिए कुछ तो ले लो रेट जो मर्जी लगा लो। क्योंकि यह मुरझा रहे हैं तो आप ही लेते जाओ जो कुछ देना है दे दो। जी हां यह बात आपको जरूर सुनने को मिलेगी अगर आप कुतुबखाना फूल मंडी और देवचरा की थोक फूल मंडी जाएंगे। क्योंकि लॉकडाउन के बाद से फूलों का कारोबार ठप हो गया। फूल कारोबारियों का कहना है कि आम दिनों में तो शादियों और मंदिरों के साथ दरगाह पर जाने के साथ घरों पर होने वाले शुभ आयोजनों में फूलों की काफी डिमांड होती थी। लेकिन लॉकडाउन में कारोबार ठप ही हो गया। अब जो फूल हैं उसे किसी रेट में भी कोई लेने वाला नहीं मिलता है। इस लॉकडाउन से फूलों कारोबार मुरझा ही गया है।

आधे रेट भी नहीं मिल रहे

शहर में फूलों का कारोबार करने वाले कारोबारियों की माने तो जो फूल वह 70 रुपए से 100 रुपए किलो बेचते थे वही फूल आज कोई 10 रुपए किलो नहीं ले रहा है। इसीलिए कारोबारी परेशान है क्योंकि इस समय जो भी माल है उसकी बिक्री नहीं हो रही हैं। कारोबारियों की माने तो इस समय सबसे अधिक तो फूलों की बिक्री शादी बारातों में होती थी जो अब इस समय बिल्कुल बंद है।

दुकाने भी बंद

शहर की मार्केट बटलर प्लाजा और डीडीपुरम में फलों का कारोबार करने वाले कारोबारियों ने दुकानें तो अपनी लॉकडाउन के चलते बंद कर दी हैं। ऐसे में जो मंडी में फूल बेचने आते थे वह आज भी आ रहे हैं। वह यही सोचकर आते हैं कि जो कोई जिस रेट में चाहे फूल ले जाए। क्योंकि इस फूलों को वापस ले जाना तो फेंकने होंगे। इसीलिए वह भी 10 रुपए किलो तक गुलाब बेचने को भी तैयार रहते हैं लेकिन दिन भर में गिने चुने ही कस्टमर्स आते हैं

किसानों भी हो रहे परेशान

फूल कारोबारियों का कहना है कि वह उन किसानों से पहले से ही संपर्क कर लेते है जो फूलों की खेती करते है। उनका पूरी सीजन का फूल वह खुद परचेज करने की बात कर लेते हैं। लेकिन इस बार तो लॉकडाउन लग गया। ऐसे में फूल उगाने वाले किसान को जो रुपए दिए वह तो गए लेकिन अब इन फूलों को कोई भी लेने वाला नहीं है।

बोले फूल बिक्रेता

-जो फूल मेरे पास है वही कोई ले ले। क्योंकि यह जो फूल हम लेकर आए हैं वह नहीं बिकेंगे तो खराब हो जाएंगे हमें फेंकने होंगे। इससे तो अच्छा जो मर्जी कस्टमर्स रेट दे दे।

राकेश

-फूलों के तो रेट आधे भी नहीं मिल पा रहे हैं। इससे किसान भी परेशान है। लेकिन हम लोगों की कोई सुनने वाला नहीं है। इससे सबसे अधिक परेशानी तो हम लोगों को हो रही है।

राज

-फूलों का कारोबार तो इस समय बंद हो गया है। खाली बैठा हूं, रोजी रोटी का भी संकट है क्योंकि जो फूल 100 रुपए तक बेचते थे वह अब लॉकडाउन में कोई 10 रुपए में नहीं लेने आ रहा है।

अजय