-नगर निगम की ओर से नलकूपों व वॉटर टैंक पर सिर्फ 9 मोबाइल जेनरेटर की व्यवस्था

-जलकल के पुराने 52 नलकूप व 22 टैंक, नए 17 आवेरहेड टैंक व 29 नलकूपों का निर्माण

-निर्माण पर करोड़ों का बजट खर्च, पब्लिक की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त जेनरेटर ही नहीं

BAREILLY: शहर के चौतरफा विकास की बुनियाद सिर्फ नए निर्माण, साफ-सफाई या सड़क-नाला बनाया जाना तक सीमित नहीं। जनता की बुनियादी जरुरते पूरे किए बिना शहरी विकास की पूरी अवधारणा ही अधूरी है। लेकिन शहर को डेवलेप करने और संवारने के लिए हर साल निर्माण व साफ सफाई पर करोड़ों खर्च करने वाला नगर निगम बरेली जनता को साफ ही नहीं बल्कि जरुरत भर का पानी मुहैया कराने में फिसड्डी रहा। हर साल गर्मी में बिजली कटौती का गहरा दंश झेलने वाला शहर पानी का मोहताज हो जाता है। लेकिन निगम के पास अपने वॉटर टैंक और नलकूपों से जेनरेटर के जरिए शहर की प्यास बुझाने के पर्याप्त इंतजाम ही नहीं।

9 लाख पर सिर्फ 9 जेनरेटर

शहर की आबादी करीब 15 लाख है। जानकारों के मुताबिक इनमें से निजी स्तर पर अपने घरों में जेट पंप, सबमरसिबल व हैंडपंप लगवा पानी का इंतजाम करने वालों की तादाद 6-7 लाख है। जबकि करीब 9 लाख की आबादी ऐसी है जो पूरी तरह निगम के जलकल विभाग की वॉटर सप्लाई पर ही डिपेंड है। बिजली कटौती में इस 9 लाख की आबादी को ही पानी की सप्लाई देने में निगम के पास अपने ओवरहेड टैंक व नलकूपों के लिए महज 9 ही मोबाइल जेनरेटर की व्यवस्था है। यह भी गनीमत है कि इस साल पहली बार निगम की ओर से 9 मोबाइल जेनरेटर जुटाए जा सके है। जिसमें से 4 निगम के और 5 किराए पर लिए गए मोबाइल जेनरेटर हैं।

33 साल में भी हालात खराब

बरेली नगर निगम को बने हुए करीब 33 साल हो गए हैं। 1982 में नगर पालिका से नगर निगम बना था। तब से लेकर शहर का विस्तार हुआ, इसकी सीमाएं बढ़ गई और आबादी ढाई गुने से ज्यादा बढ़ गई। आबादी और शहर के विकास की चुनौतियां बढ़ने के साथ ही निगम की जिम्मेदारियां भी बढ़ी। शहर का विकास भी काफी हुआ और पुरानी बरेली की तस्वीर एक नए विकसित हो रहे शहर में तब्दील होने लगी। लेकिन शहर की प्यास बुझाने को किए गए निगम के इंतजाम 100 दिन चले अढ़ाई कोस की तर्ज पर ही रहे। हर साल करीब ढाई से पौने तीन अरब रुपए का बजट बनाने वाला निगम एक चौथाई ओवरहेड टैंक व नलकूपों में मोबाइल जेनरेटर खरीदने का फैसला न ले सका।

अधूरी 78 करोड़ की पेयजल योजना

शहर में जनता को पानी की सप्लाई के लिए नगर निगम की ओर से 22 ओवरहेड टैंक और 52 नलकूप की व्यवस्था है। वहीं शहर में यूआईडीएसएएमटी पेयजल योजना के तहत 17 नए ओवरहेड टैंक व 29 नलकूप का निर्माण हो रहा है। सेंट्रल व स्टेट गर्वनमेंट के सहयोग से शुरू इस योजना की लागत 78.04 करोड़ रुपए है। इन पेयजल योजना के पूरा हो जाने के बाद शहर में नए व पुराने नलकूपों की संख्या 81 और ओवरहेड टैंक 39 हो जाएगी। कुल मिलाकर यह आंकड़ा 120 नलकूप व ओवरहेड टैंक का होगा, जिससे शहर को पानी की सप्लाई होगी। लेकिन करोड़ों रुपए खर्च कर नई पेयजल योजना भी बिजली कटौती में ठप पड़ जाएगी। बिजली न होने पर बिना पर्याप्त मोबाइल जेनरेटर के यह सभी आवेरहेड टैंक व नलकूप बेकार साबित होंगे और गर्मियों में खासकर जनता की पानी की परेशानी बनी रहेगी।

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यहां लगे हैं मोबाइल जेनरेटर

जगतपुर

पटेलनगर

सीआई पार्क

सिविल लाइंस

स्पो‌र्ट्स स्टेडियम

आजाद पार्क

मोती पार्क

सुभाष नगर

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पानी की किल्लत को देखते हुए मोबाइल जेनरेटर खरीदने की जरूरत है। इस साल 2 नए जेनरेटर खरीदे जा चुके हैं। 2 और नए जेनरेटर खरीदने की तैयारी हैं। इस बार पहली बार 9 मोबाइल जेनरेटर की व्यवस्था की गई है। हर साल 2-3 से नए जेनरेटर खरीदकर इस कमी को पूरा किया जाएगा। - डॉ। आईएस तोमर, मेयर