बरेली(ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहर में करोड़ों की लागत से डेवलपमेंट वर्क किए जा रहे हैैं। इसी क्रम में गांधी उद्यान में भी मिरर मेज यानि भूल भूलैया का निर्माण कराया गया है, लेकिन जिम्मेदार इसका निर्माण कराने के बाद इसका संचालन करवाना भूल गए हैैं। यह ही कारण है कि तैयार होने के बाद भी लंबे समय से यह बंद पड़ा है। वहीं नगर निगम की नावल्टी स्थित लाइब्रेरी को भी डिजिटल लाइब्रेरी में तब्दील किया गया है, लेकिन इसका कार्य अधूरा होने के कारण इसका संचालन भी तय समय सीमा में नहीं हो पा रहा है। ये प्रोजेक्ट्स जिम्मेदारों में काम के प्रति गंभीरता को दर्शाते हैैं।

भूल भूलैया बनाकर भूले अधिकारी
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत गांधी उद्यान में 3.32 करोड़ रुपए की लागत से भूल भूलैया का निर्माण कराया गया है। भूल भूलैया को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि कोई भी इसमें प्रवेश करने के बाद रास्ता भूल सकता है। हालांकि पब्लिक को अंदर कोई परेशानी न हो, इसके लिए कैमरों के माध्यम से मॉनीटरिंग भी की जाती है। मिरर मेज में ऑप्टिकल इल्यूजन एडवेंचर के माध्यम से चलना सभी के लिए नया अनुभव होता, लेकिन तैयार होने के छह माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी यह शुरू नहीं हो पाया है। विगत वर्ष निवर्तमान मेयर डॉ। उमेश गौतम ने इसका निरीक्षण किया था, तब अधिकारी दावा कर रहे थे कि यह तैयार हो चुका है और जल्द इसका संचालन शुरू हो जाएगा। लेकिन अब अधिकारी भी स्पष्ट जवाब देने से बच रहे हैैं।

सितंबर तक होना था तैयार
नावल्टी चौराहा स्थित नगर निगम की पुरानी लाइब्रेरी को नया स्वरूप देने के काम लगभग एक साल से किया जा रहा है। लेकिन, अब तक इसका काम कंप्लीट नहीं हो सका है। बता दें इसके तैयार होने के बाद बुक पढऩे के शौकीन लोगों के लिए काफी बेहतर सुविधा मिल सकेगी। इसे विगत वर्ष सितंबर तक पूरा करना था, लेकिन तय समय सीमा से छह माह अधिक समय बीतने के बाद भी इसका कार्य पूरा नहीं हो सका है। इसका इनॉग्रेशन पहले दिसंबर में करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन काम कंप्लीट न हो पाने के कारण अब तक इसे संचालित नहीं किया जा सका है।

800 से अधिक किताबें आएंगी

लाइब्रेरी में 800 से अधिक किताबें रखी जाएंगी, जोकि अभी आना शेष हैैं। वहीं रीडर्स के लिए 12 कंप्यूटर लाइब्रेरी में लगा दिए गए हैैं। तीन कमरों की इस लाइब्रेरी में एक कमरे का काम ही कंप्लीट नहीं हो सका है। बता दें निगम के तीन कमरों में से एक में रैक निर्माण चल रहा है। हालांकि जिम्मेदारों का कहना है कि एक कमरा तैयार हैैं, पाठक यहां आ सकते हैैं। बाकि कमरे भी तैयार कराए जा रहे हैैं और किताबें भी मंगाई जा रही है।

अधिकारियों के दावे फेल
जिस लाइब्रेरी में अधिकारी दावा कर रहे हैैैं कि वह तैयार हो चुकी है, हकीकत में वहां पर अभी पुरानी किताबें भी पढऩे के लिए उपलब्ध नहीं हैैं। इसको लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम जब लाइब्रेरी पहुंची तो वहां किताबें निर्माणाधीन कमरे में अलमारियों में बंद थी और तीन में से एक कमरा भी अब तक स्टडी के लिए तैयार नहीं हुआ है।

बोले अधिकारी
स्मार्ट सिटी के तहत लाइब्रेरी को तैयार किया जा रहा है। रीडर्स आ सकते हैैं, एक कमरा तैयार है, जहां पुरानी किताबें उपलब्ध हैैं। पाठकों के लिए आठ सौ से अधिक किताबों का ऑर्डर दिया गया है। जल्द पूरी लाइब्रेरी तैयार हो जाएगी।
शैलेंद्र कुमार, सहायक अभियंता, बीएससीएल