- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने पुलिस हेल्प सेंटर की जानी हकीकत

-जर्जर में शहर के ज्यादा पुलिस हेल्प सेंटर, पुलिसकर्मी भी नदारद

-पुलिस हेल्प सेंटर पर लग रहे एडवरटीजमेंट के बैनर और होर्डिग

बरेली: शहर में हर चौराहों, तिराहों व मार्केट आदि जगह पुलिस हेल्प सेंटर बने हैं ताकि लोग यहां पर अपनी प्रॉब्लम बता सकें और शिकायत दर्ज करा सकें, लेकिन ये हेल्प सेंटर अब पब्लिक को मुंह चिढ़ा रहे हैं। क्योंकि इन हेल्प सेंटर्स पर पुलिसकर्मी के न होने से कोई हेल्प नहीं मिल पाती है, मजबूरन उन्हें थाना और चौकी के चक्कर काटने पड़ते हैं। वहीं दूसरी तरफ पुलिस हेल्प सेंटर्स पर अवैध रूप से एडवरटीजमेंट के बैनर और होर्डिंग भी लगे हैं, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार लगातार इसकी अनदेखी कर रहे हैं। आइए बताते हैं आपको इन पुलिस सहायता केन्द्रों की हकीकत

गांधी उद्यान दोपहर 1:29 बजे

दोपहर को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम गांधी उद्यान पर पहुंची जहां ट्रांसफार्मर के आगे बना पुलिस सहायता केन्द्र खुद सहायता मांग रहा है। इसकी टूटी-फूटी हालत को देख कर लगता है मानो ये सहायता केन्द्र बरसों पुराना हो। अब यह जनता और बरेलियंस की सहायता तो नही कर सकता लेकिन फिर भी इतने जर्जर होने के बावजूद इसका इस्तेमाल सिर्फ विज्ञापन के बड़े बैनर और हाेिल्ड़ंग भर का रह गया है। अब इन तस्वीरों से अंदाजा लगाना बहुत आसान है कि इस केन्द्र से लोगों को कितनी सहायता मिली होगी।

श्यामगंज चौराहा दोपहर 1:45 बजे

दोपहर को दैनिक आई नेक्स्ट की टीम श्यामगंज चौराहे पर पहुंची बहुत देर तक इधर-उधर देखने के बाद पुलिस सहायता केन्द्र आखिरकार नजर आ गया। यहां पर तो नीले और लाल रंग से रंगा जाने वाला हेल्प बूथ का विज्ञापन वालों ने हरे रंग से रंग दिया। इतना ही नहीं बूथ को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई लकड़ी का खोखा रखा हो। ऊपर से रोड पर डाली जा रही सीवर लाइन की मिट्टी भी डली थी और ऑटो वाले इस बूथ के आगे सवारी ऑटो में बैठा रहे थे।

चौकी चौराहा दोपहर 2:15 बजे

आई नेक्स्ट की टीम दोपहर के 2 बजकर 15 मिनट पर शहर के सबसे बिजी रहने वाले चौराहों में से एक चौकी चौराहे पर पहुंची, यहां का नजारा बाकी जगहों से काफी अच्छा रहा। बाहर से तो यह सहायता केन्द्र अच्छा दिखा। हरियाली का ध्यान रखते हुए यहां गमले दिखे लेकिन पेड़ नही। इसके अलावा सहायता केन्द्र के अंदर भी सारी सुविधा उपलब्ध नहीं थी सिर्फ पानी पीने का एक कैंफर भी नजर आया।

सर्किट हाउस चौराहा दोपहर 2:23 बजे

आई नेक्स्ट की टीम दोपहर को सर्किट चौराहे जा पहुंची जहां पर सहायता केन्द्र के नाम पर टीन का जर्जर गोल डब्बा देख कर टीम दंग रह गयी और साथ ही यह सोचने पर मजबूर हो गयी कि आखिरकार किस तरह के हालात में पुलिस दिन भर यहां तैनात रहती है। इन दिनों काफी कोहरे के बीच भी पुलिस अपना काम परस्पर कर रही है अब इन तस्वीरों से अंदाजा लगाना बहुत आसान है कि इस केन्द्र से लोगों को कितनी सहायता मिली होगी।

इन सभी पुलिस सहायता केन्द्रों को देखने के बाद एक सवाल भी खड़ा होता है कि इस तरह की लापरवाही, नजरअंदाजी का दोषी किसको ठहरया जाए क्योकि ना केवल लोग बल्कि खुद पुलिस प्रशासन को भी इन हालातों की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सहायता केन्द्र सिर्फ नाम भर का बचा है। साथ ही सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात की बहुत लोगो को तो इसके बारे में पता ही नही है। ना तो कोई इन सहायता केन्द्र को नोटिस करता है।

सत्येन्द्र

रोज श्यामगंज चौराहे से आना जाना होता है लेकिन इन ऑटो की वजह से यहां कोई सहायता केन्द्र भी है पता ही नही चलता। अगर इसको उपयोग में लाना तो पुलिस को कोई सख्त कदम उठाना होगा।

प्रशांत

कभी सहायता केन्द्र जाने की जरूरत तो नही पड़ी लेकिन और लोगो को देखा जाए तो कई लोगो के साथ छोटे मोटे हादसे हो जाते है तो उनके लिए सहायता केन्द्र का सही स्थिति में होना जरूरी है।

आकाश