लॉकडाउन में जनजीवन की रफ्तार भले ही स्लो हुई हो पर थमी नहीं है। इससे पहले काम की व्यस्तता के चलते लोगों को यही शिकायत रहती थी कि उन्हें समय ही नहीं मिलता, पर अब ऐसा नहीं है। लॉकडाउन पीरियड में घर पर ही रहने की मजबूरी के चलते सभी को भरपूर समय मिल रहा है। इस समय का सदपयोग लोग अपनी-अपनी तरह से कर रहे हैं। कोई अपने परिवार के साथ भरपूर समय बिताने का मौका मिलने से खुश हो रहा है तो कोई अपनी पुरानी ख्वाइशों को परवान चढ़ाने का मौका मिलने से खुशी महसूस कर रहा है।

तारीख, समय सब बदल रहे हैं, सब चल रहे हैं

तारीखें ,समय, हम सब बदल रहे हैं, सब चल रहे हैं और ठीक पीछे-पीछे वायरस। मुड़कर देखना नहीं, एक रोज वह थक जाएगा और हमें अहसास हो जाएगा, तब मुड़कर देखना और याद करना। शहर के जाने-माने डॉक्टर ब्रिजेश्वर सिंह लॉकडाउन में अपनी कविता रचना के जरिए लोगों को कोरोना महामारी से जीवन में आए बदलाव का आभास करा रहे हैं। उनका कहना है कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में हम सभी को घर पर रहकर अपना सहयोग देना है। उन्होंने बताया कि इन दिनों में वह अपने हास्पीटल में सिर्फ सीरयिस पेशेंट और पुराने पेशेंट ही देख रहे हैं। उन्होंने कहा इन दिनों वह अपने हिन्दी साहित्य रचना और पढ़ने के शौक को पूरा करने के लिए समय निकाल पा रहे हैं। समय मिलने से वह अपनी नई किताब नेक्स्ट पेशेंट को फाइनल कर सके हैं। उन्होंने कहा लॉकडाउन की ओपनिंग स्लोडाउन होनी चाहिए। गवर्नमेंट को चाहिए कि वह फिलहाल लोगों को पैदल चलना और साइकिल पर चलना ही अलाव करे। इससे लोग अपनी जरूरत के लिए बाहर निकलेंगे।

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दिनचर्या रखी है पहले जैसी व्यवस्थित

रक्षपाल बहादुर मैजेमेंट इंस्टीट्यूट की मैनेजिंग डायरेक्टर बीना माथुर कहती है कि लॉकडाउन में जो समय मिल रहा है उसको यूं ही जाया नहीं करना चाहिए। इस दौरान भी सभी की दिनचर्या व्यवस्थित रहनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इन दिनों उन्हें पहले से अधिक समय मिल रहा है तो वह अपने इंस्टीट्यूट और हास्पिटल के आकाउंट, मार्केटिंग जैसे काम पर ध्यान दे रही हैं। कैंपस को मेनटेन करा रही हैं। उन्होंने स्टूडेंट्स को सलाह दी कि वह लॉकडाउन में अपने घर पर ही रहें और ऑनलाइन स्टडी पर फोकस करें। उन्होंने कहा स्टूडेंट्स अपनी स्टडी को लेकर बिलकुल भी लापरवाही न बरतें।