डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड में एडमिट, सीवियर निमोनिया-कुपोषण की शिकार

एनआरसी में रही थी एडमिट, डीएम की वाइफ ने संग खींची थी सेल्फी, दिए थे गिफ्ट

BAREILLY:

उसे शक्ति की देवी दुर्गा का नाम मिला और जिले के मुखिया की पत्‍‌नी से ढेरों दुलार भी। लेकिन गरीबी और बेबसी से निकले कुपोषण की मार के आगे विश्वास और प्यार की ढाल भी कमजोर पड़ गई। महज तीन महीने की इस नवजात बच्ची के पास शरीर के नाम पर करीब 800 ग्राम का ढांचा है। कुपोषण से उबारने को नवजात की एनआरसी में देखभाल भी हुई। लेकिन कुपोषण से पोषण की सीमा में आने के 14वें दिन ही यह डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड में अपने कमजोर, बीमार और नन्हे शरीर से जिंदगी बचाने की जंग लड़ रही है। दुर्गा की भयावह हालत पर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डॉक्टर व स्टाफ ने अपनी उम्मीदें छोड़ दी हैं। वहीं गरीब मां-बाप बार-बार हाथ जोड़कर किसी चमत्कार की आस लगाए हुए हैं।

ब्रोको निमोनिया से पीडि़त

प्रेमनगर के भूड़ एरिया निवासी अन्नू रिक्शा चलाकर अपने परिवार का गुजर बसर करता है। परिवार में पत्‍‌नी गीता, तीन साल की बड़ी बेटी और महज तीन महीने की नवजात बेटी दुर्गा है। मंडे को दुर्गा की हालत खराब हुई तो उसे ओपीडी में पीडियाट्रिशियन डॉ। एस सागर ने बच्चा वार्ड में एडमिट कराया। कुपोषण की मार के साथ ही दुर्गा को सीवियर ब्रोको निमोनिया ने अपनी चपेट में ले लिया। गर्मी के मौसम में नवजात को निमोनिया होने से डॉक्टर व स्टाफ भी हैरान हैं। डॉक्टर के मुताबिक कुपोषण के चलते ही नवजात जानलेवा बीमारी की चपेट में आ गई।

वृंदा ने संग खींची थी सेल्फी

कुपोषण के चलते दुर्गा को एनआरसी में एडमिट किया गया। इस बीच डीएम गौरव दयाल की वाइफ और इनकम टैक्स में ज्वाइंट कमिश्नर वृंदा देसाई एक एनजीओ के माध्यम से 25 जून को एनआरसी पहुंची। पिता अन्नू के मुताबिक डीएम की वाइफ ने दुर्गा के हंसते चेहरे को देख वार्ड में सबसे प्यारी बच्ची कहा और उसके साथ फोटो खिंचाई। यहीं नहीं वार्ड में सबसे पहले दुर्गा को ही कपड़े व डायपर गिफ्ट किए थे। वहीं 26 जून को एनआरसी से दुर्गा को डिस्चार्ज कर दिया गया और मां-पिता को 12 जुलाई को फिर से लाने को कहा था। लेकिन 11 जुलाई को ही दुर्गा की हालत बिगड़ गई।

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वेंटीलेटर भी नहीं, उखड़ रही सांसे

बच्ची को मौत के मुंह में जाता देख फूट-फूट कर रोते पिता ने बताया कि दिन भर की कमाई से इतना भी नहीं होता था कि दुर्गा को दो वक्त दूध की पूरी खुराक मिल जाए। वहीं दुर्गा की मां गीता खुद भी बेहद कुपोषण का शिकार है। मंडे को दोपहर 1.55 बजे एडमिट हुई दुर्गा की टूटती सांसों को ऑक्सीजन मशीन के सहारे जिंदा रखने की कोशिश की जा रही। वेंटीलेटर न होने से दुर्गा की हालत नाजुक बनी है। हायर सेंटर रेफर करने के लिए भी एम्बुलेंस से दुर्गा को लखनऊ-दिल्ली ले जाने के लिए मां-बाप के पास पैसे नहीं। वहीं बरेली में भी निजी हॉस्पिटल के आईसीयू में एडमिट कराना उनके बस की बात नही।

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