- पिछले माह फूड चेन कंपनीज के लिए गए सैंपल्स हुए फेल, हो रही कार्रवाई

- डॉक्टर्स के मुताबिक फेल हुए सैंपल्स को खाने पर घातक बीमारियों की संभावना

BAREILLY:

विश्व स्तर की क्वालिटी प्रोवाइड कराने वाली फूड चेन कंपनीज लोगों को लजीज डिशेज के नाम पर बीमारियां परोस रही हैं। इसका खुलासा फूड सेफ्टी एंड ड्रग अथॉरिटी की जांच रिपोर्ट में हुआ। रिपोर्ट में एसिडिक, सबस्टैंडर्ड और अनसेफ कैटेगरी के फूड प्रोडक्ट्स परोसने की पुष्टि हुई है। जिसका एक्सपोजर इंसान को बीमार करने के लिए काफी है।

कौन-कौन हुए फेल

लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर फूड चेन पर कार्रवाई का सिलासिला शुरू हुआ। इसी वर्ष एफएसडीए ने केएफसी, बिगबाजार, मैक डोनाल्ड समेत फेम प्रतिष्ठान सागर रत्‍‌ना से सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भेजे। करीब दो माह बाद एक एक कर रिपोर्ट आना शुरू हुआ। तो कंपनीज के क्वालिटी के दावों का खुलासा हुआ। मार्च में भरे गए केएफसी के सैंपल अनसेफ, फरवरी में भरे गए बिगबाजार के एनर्जी ड्रिंक सैंपल सब स्टैंडर्ड, अप्रैल में सागर रत्‍‌ना के रसम मसाला सैंपल अनसेफ, पापड़ और रिफाइंड सैंपल सबस्टैंडर्ड यानि अधोमानक, और मई में मैक डोनाल्ड से भरे गए सैंपल में बर्गर एसिडिक, रिफाइंड पाम ऑयल सबस्टैंडर्ड, प्रिया चोकोविच वायलेंस ऑफ रेग्यूलेशंस पाए गए हैं।

क्या हुई कार्रवाई

एफएसडीए अधिकारियों ने बताया कि फेम होने की वजह से इन फूड चेन्स में महंगी कीमत अदा करने में लोग हिचकिचाते नहीं हैं। इसी का फायदा कंपनीज उठाती हैं। वह कस्टमर को मैक्सिमम रिटेल प्राइस पर लो क्वालिटी डिश प्रोवॉइन कराती हैं। जो कि फूड एक्ट एंड सेफ्टी का उल्लंघन है। लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने पर बिग बाजार और केएफसी पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। वहीं, मैक डोनाल्ड और सागर रत्‍‌ना का फूड एक्ट का उल्लंघन करने पर लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। इसी वर्ष सिटी के चार सौ से ज्यादा स्थानीय ब्रांड्स, प्रतिष्ठान और दुकानों के सैंपल फेल पाए जाने पर कुछ को नोटिस और कई पर मुकदमा किया जा चुका है।

मुनाफा के लिए घालमेल

वर्तमान समय में तेजी के साथ फूड चेन कंपनीज में इजाफा हुआ है। फॉरेन ब्रांड्स के प्रति लोगों की विश्वसनीयता भी बढ़ी। लेकिन इसी विश्वास के बलबूते फ्रेंचाइजी ने मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है। डॉक्टर्स के मुताबिक सैंपल रिपोर्ट के मुताबिक डिश का एसिडिक मतलब है बासी खाना। जिसमें एसिड की मात्रा बढ जाने से केमिकल टॉक्सिटी का खतरा बढ़ जाता है। भूख कम लगना, पेट में मरोड़ और दर्द, दस्त, खून आना, आंतों में घाव होना, पीलिया, लिवर और किडनी फेलियर, नर्वस सिस्टम पर इफेक्ट, एसिडिटी और डायजेस्टिव संबंधित कई बीमारियां होने की संभावना रहती है।

अनसेफ और वायलेंस

अनसेफ मतलब दूषित भोजन अर्थात् मिलावट होना। इसमें मिलावट के आधार पर बीमारियां और क्वालिटी पर असर पड़ता है। जबकि वायलेंस ऑफ रेग्यूलेशंस मतलब पैकेट पर लिखी सामग्री का प्रयोग फूड में न करना यानि बड़ी दुकान फीके पकवान। ऐसे भी कई सारे फूड प्रोडक्ट्स के ब्रांड्स हैं, जो रैपर पर तो क्वालिटी के दावे करते हैं लेकिन उनकी जांच होने पर दावे खोखले निकलते हैं।

विभाग की ओर से सैंपल लिए जा रहे हैं। क्वालिटी कंट्रोल न पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ फूड एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है।

अजय जायसवाल, अभिहीत अधिकारी, एफएसडीए