बरेली(ब्यूरो)। महाभारत काल में सरोवर पर जल लेने गए सुधिष्ठिर और यक्ष की कथा सर्वविदित है। उस संवाद की साक्षी रही आंवला स्थित लीलौर झील अनदेखी के चलते बदहाली के दौर से गुजर रही है। जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते इतिहास की यह अनमोल धरोहर चिलुप्त होने के कगार पर पहुंचने लगी थी, लेकिन शनिवार को जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी के निरीक्षण के बाद अब इस पर छाए संकट के बादल दूर होने की आस जागती मालूम पड़ रही है। निरीक्षण के दौरान डीएम ने इस की दशा सुधारने को ले कर अधीनस्थों को निर्देश दिए।

जल केस्रोत की ली जानकारी
डीएम ने बताया कि झील को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इस के लिए पहले झील के जल स्रोतों को दुरुस्त किया जाएगा। सेटर्डे को डीएम लीलौर झील पर पहुंचे। उन्होंने चारों तरफ से घूम कर इस का गहन निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस पर अब तक जो धन खर्च किया गया है, वह पूरी तरह व्यर्थ रहा। इस दौरान उन्होंने झील में पानी लाने के स्रोतों पर भी नजर डाली। उन्होने ग्रामीणों से भी झील के इतिहास और झील में पानी लाने के बारे में जानकारी ली। इस के साथ ही ग्रामीणों से अपील की कि वे झील के चारों ओर अपने पूर्वजों के नाम पर एक-एक पौधा लगा कर उस की देख-रेख करें, जिससे उन की स्मृति बनी रहे। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द इस के सौंदर्यीकरण को ले कर कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इस के बाद इसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में तैयार किया जाएगा। निरीक्षण में उन्होंने देखा कि रोड पर जगह-जगह पानी आने के लिए पाइप डाल कर पुलिंयां बनाई गई है, जो बंद पड़ी है। उन्हें शीघ्र ही साफ कराने के निर्देश दिए। इस सब को ले कर
उन्होंने बीडीओ सुखपाल सिंह को दिए निर्देश जारी किए। इस के साथ ही ग्रामीणों ने एक हिस्ट्रीशीटर की शिक़ायत की थी, जिस पर डीएम ने सिरौली इंस्पेक्टर को गांव पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। बीडीओ सुखपाल सिंह को गांव के विकास कार्यों की जांच के आदेश भी दिए हैं। इस दौरान एसडीएम गोविंद मौर्य भी साथ रहे।

सपा सरकार में बनी थी योजना
बता दें कि लीलौर झील को पर्यटन स्थल बनाने की योजना सपा सरकार में बनी थी। योजना के अंतर्गत 1& करोड़ रुपए से इस झील का सौंदर्यीकरण किया जाना था। इस के लिए सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी, वन विभाग और पर्यटन विभाग को कार्य करना था। सिंचाई विभाग को काम करने के लिए साढ़े आठ करोड़ रुपए का बजट भी प्रदान किया गया था, लेकिन उस दौरान इस काम में जम कर धांधली की गई। मिट्टी की खोदाई के नाम पर तत्कालीन सरकार के चेहते ठेकेदारों ने खूब घोटाला किया जिस के चलते इस का सौंदर्यीकरण नहीं हो सका।

कई पर हुई कार्रवाई
प्रदेश में सरकार बदलने के बाद इस झील के सांदर्यीकरण में हुए घोटाले की जांच शुरू करवाई गई। जांच में दोषी पाए गए कई अधिकारियों पर सिंचाई विभाग द्वारा कार्रवाई भी की गई। इस के बाद भी झील के विकास को ले कर कोई काम आगे नहीं बढ़ सका, जिस के चलते झील अभी पर्यटन स्थल नहीं बन पाई है।

महाभारतकाल से है नाता
लीलौर झील आंवला के रामनगर इलाके में है। इस का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी है। महाभारत की लड़ाई के बाद युधिष्ठिर के चार भाई इस सरोवर में निवास करने वाले यक्ष के प्रश्नों के उत्तर न दे पाने के कारण बेसुध हो गए थे। भाइयों के न लौटने से चिंतित युधिष्ठिर जब उन्हें खोजते हुए सरोवर तक पहुंचे तो भाइयों को उस के किनारे पर बेसुध पड़ा देख हैरान रह गया। इस बीच यक्ष उन के समक्ष भी प्रकट हो गए। उन्होंने युधिष्ठिर से भी वे ही प्रश्न किए, लेकिन युधिष्ठिर ने उन के प्रत्येक प्रश्न का बहुत ही समझदारी से उत्तर दिया। इस से संतुष्ट हो कर यक्ष ने उन के भाइयों को ठीक कर दिया था।