बरेली (ब्यूरो)। प्रेगनेंसी, इस संसार में एक नए मेहमान के आने खुशियां मनाने का मौका होता है। इसको लेकर घर-परिवार में लोग भावनाओं से भरे रहते हैं। नए मेहमान के स्वागत के लिए हर कोई अपनी तरफ से तैयारी में जुटा रहता है। इस खुशी को खास बनाने के लिए हर जतन किए जाते हैं। ऐसे में अगर किसी भी वजह से इंफैंट लॉस हो जाता है तो घर-परिवार में सभी गहरे सदमे मेें डूब जाते हैं। खासकर माता-पिता के लिए तो इस सदमे से उबरना आसान नहीं होता है। हमारे परिवेश में मिसकैरेज सुनने में सिर्फ मामूली सा या सामान्य सा शब्द है, पर यह शब्द दो परिवारों के ढेरों सपने पलभर में चकनाचूर भी कर देता है। प्रेगनेंसी के बाद से हर दिन नए मेहमान को लेकर जिस घर में हजारों सपने बुने जाते हों, उस घर के लोगों के लिए यह सबसे दुख का क्षण होता है। बच्चे के जन्म से पहले ही परिवार का हर सदस्य उससे अपना रिश्ता जोड़ लेता हैे। वल्र्ड प्रेगनेंसी एंड इंफैंट लॉस डे पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की यह रिपोर्ट आपको इंफैंट लॉस के कई अनछुए पहलुओं से रूबरू करा सकती है।

घर की खुशियां
पेरेंट्स भले ही दो लोग बनते हैं, पर यह दो परिवारों को खुशी से भर देने वाला एहसास होता है। नए मेहमान का आना किसी की पूरी लाइफ बदल देता है। कहीं कोई नाना-नानी बनता है, तो कोई दादा-दादी। कोई चाचा बनता है तो कोई मामा। एक के आने से कई रिश्ते बन जाते हैं। हर मां-बाप अपने घर आने वाले मेहमान के लिए हर कुछ करना चाहते है। उसके आने से पहले ही परिवार के लोग सपने बुनना शुरू कर देते है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हालही में एक महिला के याचिका पर सख्त टिप्पणी की। दरअसल 27 साल की महिला ने कोर्ट में याचिका दाखिल की। इसमें गर्भ को नष्ट कराने की इजाजत मांगी गई थी। महिला का कहना है कि डिप्रेशन मे होने की वजह से वह बच्चे की परवरिश नही कर सकती। महिला के इस निर्णय पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन मेंबर की बेंच में केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने डॉक्टर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अजन्मे बच्चे के संरक्षक की तरह मामले पर विचार करने का आग्रह किया। चीफ जस्टिस ने कहा की अबॉर्शन के लिए बच्चे के दिल की धडक़न बंद करनी होगी। हम लोग एक बच्चे को कैसे मार सकते हैैंइसके अलावा कोर्ट ने कहा कि भले ही महिला की इच्छा और स्वायत्तता महत्वपूर्ण है, पर हमारे सामने एक अजन्मे बच्चे के अधिकार का भी मामला है। अदालत को दोनों के बीच संतुलन बनाना होगा।

कितने तरह के गर्भपात
मिस्ड गर्भपात- इसमें किसी प्रकार का बल्ड लॉस नहीं होता है। न ही प्रेगनेंसी लॉस के कोई लक्षण दिखाई देते हैैं।
अधूरा गर्भपात- इसमें भारी मात्रा में बल्ड लॉस होता है और पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है।
पूर्ण गर्भपात- इस तरह के गर्भपात में तेज दर्द होता है और भारी मात्रा में बल्ड लॉस होता है। इसके अलावा भ्रूण पूरी तरह से बाहर आ जाता है।
अपरिहार्य गर्भपात- इस तरह के गर्भपात में यूट्रस खुल जाता है और बच्चा बाहर आ जाता है।
सेप्टिक गर्भपात: इसमें गर्भ में इंफेक्शन हो जाता है।

सावधानी है आवश्यक
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को हर महीने रुटीन चेकअप के लिए हॉस्पिटल जाना चाहिए। यह सावधानी मां और बच्चे, दोनों के लिए अच्छा होता है। इसके साथ-साथ बच्चे के जन्म के बाद भी उसका रुटीन चेकअप कराना चाहिए। कुछ भी अनकंफर्ट फील होते ही तुरंत डॉक्टर से कंसर्न करना चाहिए।
डॉ। अनुजा सिंह, सीनियर गाइनाकोलॉजिस्ट एंड एक्सपट्र्स