- ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक कुरुक्षेत्र में यशोत्तर संयोग में ही हुआ था महाभारत

- विधि विधान से पूजन करने पर जातक कार्य क्षेत्र में बनेंगे प्रबल

<- ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक कुरुक्षेत्र में यशोत्तर संयोग में ही हुआ था महाभारत

- विधि विधान से पूजन करने पर जातक कार्य क्षेत्र में बनेंगे प्रबल

BAREILLY:

BAREILLY:

मार्ग शीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी मनुष्य को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त कराती है। यही वजह है कि इसे मोक्षदायिनी एकादशी कहते हैं। इस खास यह है कि क्0 दिसंबर को एकदशी पर यशोत्तर का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यो की मानें तो यह योग जातकों को यशस्वी बनाएगा। इस दिन व्रत रखने वालों को सुख समृद्धि और अंत समय में मोक्ष को प्राप्त होंगे। साथ ही, शुभ प्रभाव वाले जातकों पर कुदृष्टि रखने वालों का विनाश होगा।

क्ख् वर्षो बाद खास संयोग

ज्योतिषाचार्य पं राजेंद्र त्रिपाठी के मुताबिक क्ख् वर्षो बाद एक बार फिर से मोक्षदा एकादशी पर अभिष्ट सर्वाय यशोत्तर संयोग पड़ा है। गौरतलब है कि महाभारत का युद्ध ग्रह, नक्षत्रों के इसी संयोग में बना था। इसके बारे में गीता में लिखा है कि यह मोक्ष प्रदान करने वाली संजीवनी है, जो नकारात्मक ऊर्जा यानि कौरवों की सेना को समाप्त कर पॉजिटिव एनर्जी यानि पांडवों को विजय दिलाने वाली थी। इस विशेष दिन भगवान विष्णु की पूजा और गीता पाठ किया जाना सर्वाधिक लाभ दायक होता है।

संयोग का प्रभाव

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा ने बताया कि यह शनि के प्रभावशाली होने से इसका प्रभाव पड़ना निश्चित है। पर विशेष रूप से इस संयोग का प्रभाव मेष, धनु, तुला, मकर के लिए शुभ रहने, वृष, कर्क, मिथुन, सिंह के लिए सामान्य रहने और कन्या, कुंभ, मीन, वृश्चिक राशि के जातकों के लिए अशुभ रहेगा। उन्होंने शुभ और सामान्य प्रभाव के जातकों को भूमि पूजन, विवाह संस्कार, शुभारंभ और पिता-पुत्र के संबंध बेहतर होने और दुश्मनों के परास्त होंगे, ऐसी संभावना जताई है।

व्रत विधि

सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर श्री कृष्ण का स्मरण कर पूरे घर में पवित्र जल छिड़कें। फिर पूजा की सामग्री तैयार करें। तुलसी की मंजरी विशेष तौर पर पूजन सामग्री में रखें। प्रथम पूज्य गणेश, श्री कृ ष्ण और वेद व्यास की मूर्ति या तस्वीर और गीता की एक प्रति सामने रखें। इसी खास दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को रणभूमि में उपदेश दिया था। ऐसे में उपवास रखकर रात्रि में गीता पाठ करें या गीता प्रवचन सुनते हुए जागरण करें। फिर पूजा-पाठ कर व्रत कथा को सुनकर आरती कर प्रसाद बांटें।

शुभ मुहूर्त

पूजन - सुबह क्0.ब्भ् से दोपहर ख्.ब्ख् बजे तक

कार्य शुभारंभ - सुबह 7 से दोपहर ख्.ख्म् बजे तक

नोट: कृपया इस खबर को अपने यहां के ज्योतिषचार्यो के नाम के साथ लगा सकते हैं।