- फैक्ट्री से पुलिस ने बरामद किया तीन हजार लीटर तेल, नामी कंपनियों के स्टीकर व कैन बरामद

- सेमलखेड़ा स्थित दुकान में चल रही थी फैक्ट्री, धोखाधड़ी, कापीराइट एक्ट व अन्य गंभीर धाराओं में रिपोर्ट

बरेली : किला के बाद अब बारादरी में पुलिस ने नकली मोबिल फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। एक दुकान में संचालित नकली मोबिल आयल फैक्ट्री से तीन हजार लीटर नकली मोबिल के साथ नामी कंपनियों के स्टीकर व कैन बरामद कर पिता-पुत्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। पकड़े गए आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी, कापीराइट एक्ट व अन्य गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

बारादरी पुलिस को श्यामगंज क्षेत्र स्थित सेमलखेड़ा में नकली मोबिल फैक्ट्री संचालन के बारे में सुराग मिला। इसके बाद टीम फैक्ट्री के सुराग में जुट गई। अहम जानकारी हाथ लगने के बाद टीम के साथ जब फैक्ट्री पर दबिश दी गई तो आरोपित पिता-पुत्र भागने लगे। पुलिस ने आरोपित सुरेश चंद श्रीवास्तव निवासी हनुमानगढ़ी आश्रम मढ़ीनाथ सुभाषनगर व उसके बेटे अर¨वद श्रीवास्तव को पकड़ लिया गया। छापेमारी में पुलिस ने फैक्ट्री से दो सौ लीटर के 14 ड्रम नकली मोबिल, 141 लीटर मोबिल प्लास्टिक के डिब्बों में, 17 लीटर कलर प्लास्टिक की बोतल में, मोबिल कैन, ग्रीस, पै¨कग मशीन व अन्य उपकरण बरामद किये। पकड़े जाने के बाद भी आरोपित सच कबूल करने से बचते रहे। दबाव पड़ा तो मुनाफे के फेर में फंसकर नकली मोबिल का कारोबार शुरू करने की बात कबूली। फैक्ट्री एक दुकान में संचालित की जा रही थी।

किला में भी पिता-पुत्र चला रहे थे फैक्ट्री

किला के कटघर मुहल्ले में पिता-पुत्र द्वारा नकली मोबिल ऑयल बनाने की फैक्ट्री संचालित की जा रही थी। 16 जुलाई को फैक्ट्री संचालित करने वाले आरोपित पिता हसीन अख्तर व पुत्र वसीम अख्तर को किला पुलिस ने गिरफ्तार किया था। फैक्ट्री से पांच सौ पचास लीटर नकली मोबिल आयल के साथ मोबिल बनाने के अन्य उपकरण के साथ नामी कंपनियों के रैपर भी बरामद किये गए थे।

पिता-पुत्र के द्वारा नकली मोबिल आयल फैक्ट्री संचालित की जा रही थी। दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिय गया है।

- रोहित सिंह सजवाण, एसएसपी

यू-ट्यूब से सीख सीधे बन गए फैक्ट्री मालिक

- बेटे ने बाप को दिया आइडिया, नकली को असली बता बाजार में बड़ी मात्रा में खपाया तेल

बरेली : सुरेश चंद श्रीवास्तव लंबे समय से बाजार में जला मोबिल बेचने का काम कर रहा था। कोरोना काल में लॉकडउन लगने के चलते दुकान बंद हो गई। इससे धंधा चौपट हो गया। इसी के बाद बेटा अर¨वद श्रीवास्तव पिता का मददगार बना। यू-ट्यूब से सीखकर उसने पिता को जले मोबिल को असली मोबिल बनाने के धंधे का आडइयिा दिया। कम समय में घाटे की भरपाई के साथ-साथ अधिक मुनाफे के सब्जबाग दिखाये। इसी के बाद लॉकडाउन खुलते ही नकली मोबिल बनाने की फैक्ट्री शुरू कर दी गई।

पूछताछ में सामने आया कि बाप जहां नकली से असली मोबिल तैयार करने की जिम्मेदारी निभाता। वहीं बेटा बाजार में तेल खपाने के लिए मार्के¨टग का काम करता। आरोपित बेटे ने शहर की बजाय देहात पर फोकस किया। फैक्ट्री से सबसे ज्यादा तेल देहात में खपाया जाने लगा। 20 से 22 रुपये प्रतिलीटर जला मोबिल आरोपित खरीदते। इसके बाद जले मोबिल को असली मोबिल का रूप देने के लिए कलर लिक्विड व ग्रीस का इस्तेमाल किया जाता। मशीन से मिलावट के बाद नामी कपंनियों के डिब्बों में भरकर बाजार रेट से 40 से पचास रुपये कम में ग्राहक को दिया जाता। दुकानदार भी एक लीटर में 40 से 50 रुपये मुनाफा देखकर भारी मात्रा में फैक्ट्री से मोबिल खरीदने लगे।

दिल्ली से रैपर, गाजियाबद से तेल व खरीदते थे मोबिल के पुराने डिब्बे

पूछताछ में यह भी सामने आया कि आरोपित जला मोबिल गाजियाबाद से खरीदते थे जबकि रैपर दिल्ली से मंगाया जाता था। मोबिल के डिब्बे बरेली से ही कबाडि़यों से आरोपित खरीदते। इसमें छांटकर वही डिब्बे खरीदे जाते तो बिल्कुल फ्रेश होते थे। पुराने डिब्बों में नकली मोबिल आयल भरकर असली में बेचा जाता था। किसी को मोबिल के नकली होने का शक न हो लिहाजा, नामी कंपनियों के असली मोबिल के डिब्बे व मोबिल सैंपल के रूप में दिखाया जाता। फैक्ट्री से सीधे खरीद की बात पर 40 से 50 रुपये छूट देने की बात कही जाती। इसके बाद आरोपितों की नकली मोबिल फैक्ट्री चल पड़ी थी।