गोरखपुर (ब्यूरो)। भाग्य के इस मोह जाल में फंसकर कई परिवार तबाही का शिकार हो चुके हैं। ताश के पत्तों पर कहीं तिकड़ी तो कहीं किट्टी के नए-नए नाम से जुआ खेला जा रहा है। लती युवा रोज घर की पूंजी गंवा रहे हैं। इतना ही नहीं बीसी के नाम से भी एक जुआ धड़ल्ले से खेला जा रहा है जिसमें धनाढ्य के साथ छोटे व्यापारी भी शामिल हैं। इसके बाद भी जुआ को बंद कराने के लिए पुलिस प्रशासन कोई एक्शन नहीं ले रहा है।

कोतवाली क्षेत्र में खेला जा रहा जुआ

जुआ को लेकर यह स्थिति किसी एक थाने की नहीं है। हर थाना चौकी क्षेत्र में धड़ल्ले से ताश के पत्तों पर जुए के फड़ एक से दूसरे गांव, कस्बों और मेन मार्केट में सुबह से ही शुरू हो जाते हैं। कोतवाली क्षेत्र में भी खुलेआम जुआ खेला जा रहा है लेकिन पुलिस ने आंखें बंद की है।

सूद पर मिल रहे रुपये

ग्रामीण क्षेत्रों की बात छोडि़ए यहां तो बड़हलगंज कस्बे के दीनदयाल उपाध्याय चौक, मछ्ली हट्टा, पुरानी हनुमान गढ़ी घाट, संगम टाकीज सहित अन्य कई स्थानों पर दिनदहाड़े जुआ खुलेआम हो रहा है। यहां भी देवकली गांव की तरह सूद पर रुपए मिल जाते हैं।

बीसी के नाम पर उगाही

एरिया में बीसी खेली जा रही है। बीसी में धनाढ्य लोगों, व्यापारियों के साथ छोटे व्यापारी भी शामिल होते हैं। दस से बीस व्यक्तियों के बीच होने वाले बीसी में हर माह लाख रुपए के आसपास जमा किया जाता है। यह खेल 20 माह तक चलता है। इसमें भी सूद पर रुपए का लेनदेन होता है। बीसी जुआ में तो कभी-कभी इसे खेलाने वाला ही रुपए लेकर बैठ जाता है। तीन वर्ष पूर्व ऐसी घटना नगर में घट चुकी है किन्तु शिकायत कोई कर नहीं सकता क्योंकि दो नंबर का खेल है। वहीं ग्रामीण का कहना है कि ताश के खेल से लगायत बीसी तक सब पुलिस के संज्ञान में खेला जाता है। इस खेल से खिलाने वाला व स्थनीय पुलिस दोनों को फील गुड होता है।