rupees 600 per year

ऐसा नहीं है कि घर को सिक्योर करने के लिए लाखों रुपए खर्च करने होंगे। कुछ रुपए खर्च कर पूरे साल के लिए घर सिक्योर किया जा सकता है। इंश्योरेंस कंपनीज के अकॉर्डिंग दस लाख रुपए तक की लागत के मकान का प्रीमियम एक साल का 600 रुपए है। इंश्योरेंस एक साल का होता है। उसके बाद हर साल इसे रिन्यू कराना पड़ता है।

2 परसेंट कट जाता है

दैवीय आपदा या अन्य किसी वजह से मकान को क्षति पहुंचती है तो इंश्योरेंस कंपनी जांच कर क्लेम के पैसे का भुगतान करती है। मकान की टोटल लागत का 2 परसेंट काटने के बाद कंपनी क्लेम का पेमेंट करती हैं।

करीब 3 लाख मकान

सिटी में करीब 3 लाख अप्रूव्ड और  अनअप्रूव्ड मकान हैं। इन घरों में करीब 15 लाख लोग बसते हैं। वहीं चौंकाने वाली बात ये है कि इतने मकानों में से महज कुछ मकान ही इंश्योर्ड हैं।

insurance के लिए document

इंश्योरेंस के लिए हाउस ओनर को अपने और हाउस के बारे में पूरी डिटेल देनी होती है। घर की पूरी लागत के साथ मकान में रखे सामान की कॉस्ट की भी जानकारी देनी होती है। जरूरत पडऩे पर सामान की रसीद भी जमा करनी पड़ सकती है। इंश्योरेंस कंपनी की ओर से सर्वे कर मकान और सामान की कीमत आंकी जाती है।

न के बराबर है ratio

सिटी के अधिकतर लोग हाउस इंश्योरेंस के बारे में अवेयर नहीं है। कंपनियों की मानें तो जितने भी प्राइवेट व गवर्नमेंट बैंक होम लोन देते हैं, उनका इंश्योरेंस कंपनी से टाइ-अप होता है। ऐसे में कंज्यूमर को लोन देते टाइम ही मकान का वन टाइम इंश्योरेंस हो जाता है। मगर खुद के पैसे से मकान बनवाने वाले लोग इंश्योरेंस कराते ही नहीं हैं। सिटी में पर्सनली हाउस इंश्योरेंस कराने वालों की संख्या एक परसेंट भी नहीं है। वहीं रूरल एरिया में तो इंश्योरेंस की स्थिति जीरो परसेंट है। हालांकि बिल्डर्स की ओर से बनाई जाने वाली बिल्डिंग्स के इंश्योरेंस करवाए जाते हैं।

'सिटी में हाउस इंश्योरेंस के मामले में अवेयरनेस की कमी है। बहुत कम ही लोग इंश्योरेंस कराते हैं। बैंक्स की ओर से किए जाने वाले इंश्योरेंस को छोड़ दिया जाए तो बाकी लोगों की संख्या एक परसेंट भी नहीं है.'

सूरज प्रकाश, सीनियर असिस्टेंट, द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी

'हम लोग ऋण रक्षा नाम से इंश्योरेंस करते हैं। इसका वन टाइम प्रीमियम होता है। लोन देते टाइम ही इंश्योरेंस किया जाता है। '

संदीप कुमार अग्रवाल, ब्रांच मैनेजर, एसबीआई, रामपुर गार्डेन